- Home
- /
- दिल्ली-एनसीआर
- /
- हमने स्याही से उजाला...
हमने स्याही से उजाला लिक्खा, उनका कहना है कि काला लिक्खा

दिल्ली। दिल्ली के विश्व पुस्तक मेला में भगवान स्वरूप कटियार के नए कविता संग्रह 'भीड़ के पांव' का विमोचन ए आर पब्लिशिंग हाउस के स्टाल पर हुआ। यह उनका आठवां कविता संग्रह है। उनकी कविताओं पर टिप्पणी करते हुए कवि कौशल किशोर ने कहा कि कटियार जी की कविता की दुनिया संवेदना, विचार, प्रेम, प्रतिरोध आदि से मिलकर बनती है। यह परिंदे का स्वप्न जीती है जहां बटी हुई धरती नहीं बल्कि खुला आसमान होता है। उनके लिए कोई सरहद नहीं होती। ऐसे ही भाव-विचार के कवि कटियार जी हैं।
कटियार जी ने अपने संग्रह से एक कविता 'किताबें मेरी दोस्त' का पाठ भी किया। इसमें वे यह बात लाते हैं कि किताबें कोई निर्जीव वस्तु नहीं है बल्कि उसमें सजीवता होती है जो मानव मस्तिष्क को जीवंत और सक्रिय बनाए रखती है। इस अर्थ में मनुष्य की सबसे अच्छी और सच्ची दोस्त किताबें होती हैं। विमोचन के इस कार्यक्रम में सुभाष राय, वीरेंद्र सारंग, महेश आलोक, नवनीत पांडे, अरविंद तिवारी, विमल किशोर, शिवि कटियार, शिवानंद तिवारी और ठाकुर प्रसाद चौबे शामिल थे।
न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन के स्टाल पर कौशल किशोर की नई कृति 'भगत सिंह और पाश - अंधियारे का उजाला' का लोकार्पण हुआ। यह जननायक व साहित्यकारों-संस्कृतिकर्मियों पर लिखा कवि का गद्य है। लोकार्पण से पहले 'लेखक से मिलिए' कार्यक्रम के दौरान बातचीत में कौशल किशोर ने इरोम शर्मिला की कविता को उद्धृत किया जिसमें वह कहती हैं 'इंसानी जिंदगी बेशकीमती है /होने दो मुझे अंधियारे का उजाला'। इस कृति में जिन शख्सियतों पर केंद्रित किया गया है, वे इस अंधियारे का उजाला हैं। यह किताब मात्र स्मृति लेख नहीं है। इनमें यादें हैं, संस्मरण हैं, रचना और विचार यात्रा है और इसके माध्यम से अपने समय की पहचान करने की कोशिश है।
न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन के स्टाल पर ही रामकुमार कृषक की 'रचना समग्र' का भी लोकार्पण हुआ। कृषक जी हमारे दौर के जनधर्मी रचनाकारों में अग्रणी हैं। उनका लेखन विभिन्न विधाओं के माध्यम से सामने आता है। फिर भी उन्हें अपने गीतों और जनवादी ग़ज़लों के लिए पहचाना जाता है। अब उनका रचना - समग्र भी उपलब्ध है। इसका प्रकाशन छह खंडों में न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, नई दिल्ली ने किया है। इसका संपादन कथाकार और आलोचक महेश दर्पण द्वारा किया गया है । उन्होंने कृषक जी के रचना - कर्म और रचनात्मक संघर्ष पर प्रकाश डाला और कहा कि 'रामकुमार कृषक : रचना - समग्र ' इनकी छह दशकों की लेखन यात्रा का प्रमाण है। इसका प्रारंभ कहानी - लेखन से हुआ, लेकिन शीघ्र ही ये कविता के क्षेत्र में आ गए , और वह भी छंदबद्ध कविता के क्षेत्र में। लेकिन किसी तरह का रूढ़िवाद वहां नहीं है। न भाषा में, न शिल्प में। मुक्तछंद कविता भी इनके यहां है। यही नहीं, समकालीन हिंदी ग़ज़ल में भी इनका काम और नाम अविस्मरणीय है। संपादन कर्म, आलोचना कर्म और साक्षात्कार भी उल्लेखनीय हैं। विश्वास है ' रचना समग्र ' से इनके समग्र रचनाकर्म के मूल्यांकन का अवसर मिलेगा।
इस मौके पर सुधीर विद्यार्थी बरेली से आए थे। आत्मीय भाव से उन्होंने कहा कि सादतपुर में कृषक जी का घर मेरा दूसरा घर है। रचना कर्म और जीवन में ये निरंतर संघर्ष करते आए हैं। 'अलाव ' और 'नई पौध' की चर्चा करते हुए विद्यार्थी जी ने कहा कि कृषक जी का संपादन कर्म और इनके संपादकीय आलेख नितांत पठनीय और विचारणीय हैं। अपने पाठकों की समझ और समय को पैना करने वाले हैं।
लखनऊ से आए कवि और संस्कृति कर्मी कौशल किशोर आदि वक्ताओं के अलावा वरिष्ठ कथाकार और व्यंग्य लेखक प्रदीप पंत ने कहा कि कृषक जी ने 'साक्षी' साप्ताहिक में 'छींटे' और 'धब्बे' शीर्षक जो व्यंग्य कालम लिखे, वे गजब के हैं, और आज भी ताज़ा लगते हैं। इनमें हम नागार्जुन की व्यंग्य धर्मिता को भी याद कर सकते हैं जबकि उन दिनों ये उनकी कविता से परिचित भी नहीं थे। कहा जा सकता है कि उन जैसे प्रगतिशील और जनवादी लेखक के रचना - समग्र का आना उनकी लेखकीय यात्रा का पड़ाव - भर है , ठहराव नहीं।
इस मौके पर रामकुमार कृषक ने अपनी एक ग़ज़ल भी सुनाई। उसके शेर कुछ यूं हैं 'हमने स्याही से उजाला लिक्खा/उनका कहना है कि काला लिक्खा/लोग डरते जो किताबों से बहुत/उनके माथे पर मलाला लिक्खा/हमसे कवियों की लिस्ट मांगी थी /हमने सौ बार निराला लिक्खा'।
न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन के स्टाल पर विमोचन के कार्यक्रमों में अच्छी जुटान हुई। इसमें प्रदीप पंत, सुधीर विद्यार्थी, सुभाष राय, कौशल किशोर, विमल किशोर, तस्वीर नकवी, वीरेंद्र सारंग, महेश दर्पण, मदन कश्यप, शैलेश पंडित, सुभाष वसिष्ठ, राकेश रेणु, भगवान स्वरूप कटियार, रमेश प्रजापति, प्रताप अनम, राधेश्याम तिवारी, आनंद क्रांतिवर्धन, अवधेश श्रीवास्तव, राकेश, एम एम चंद्रा , महेश आलोक, उमेश पंकज, प्रवीण परिमल, कुमार आलोक, विकास दुबे, विभूति नारायण ओझा आदि सहित कृषक जी के परिजनों में बेटी अर्चना, कनुप्रिया, अंजु, कौशल कुमार और सिद्धांत शामिल थे। न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन की ओर से मुकेश ने धन्यवाद ज्ञापित किया।