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पुस्तक मेला में वीरेंद्र सारंग के कविता संग्रह 'कथा का पृष्ठ' का लोकार्पण हुआ

Admin4
15 Feb 2024 10:16 AM GMT
पुस्तक मेला में वीरेंद्र सारंग के कविता संग्रह कथा का पृष्ठ का लोकार्पण हुआ
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दिल्ली। दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में वाणी साहित्य घर में वीरेंद्र सारंग के कविता संग्रह 'कथा का पृष्ठ' का लोकार्पण तथा परिचर्चा का आयोजन हुआ। इस कृति का प्रकाशन वाणी प्रकाशन ग्रुप के द्वारा किया गया जिसमें वाणी प्रकाशन, भारतीय ज्ञानपीठ तथा यात्रा बुक्स शामिल हैं। इस मौके पर कवि और संस्कृतिकर्मी कौशल किशोर ने वीरेंद्र सारंग के रचनाकर्म पर अपने विचार रखे तथा संवाद किया। उनका कहना था कि वीरेंद्र सारंग ने जहां कई उपन्यास लिखे, वहीं बीते चार दशक से कविता भी लिख रहे हैं। 'कथा का पृष्ठ' पांचवा कविता संग्रह है। वह लिखते हैं 'वह डर गया है राजा से, कोतवाल से! वह अपना कवि-पन छिपा रहा है/ओ मेरे वर्ष अपने कवि को बचा ले रे /वही तो गायक है जिंदगी का!' वीरेन्द्र सारंग की कविता में जिंदगी का गान है। उसके अनेक रंग और शेड्स हैं।
कौशल किशोर का कहना था कि वीरेंद्र सारंग की कविता में बीजू, सेवाराम, मुसई, छेदी, फुलेश्वरी, रामधन, रजवंती, देवलाल, राजाराम, रामदास, तपेसिया जैसे अनेक चरित्र हैं जो आम आदमी के प्रतीक हैं। इनका दुख-दर्द, हर्ष-विषाद और संघर्ष विभिन्न रूपों में व्यक्त हुआ है। कविता में कथा-रस भरपूर है। अभिव्यक्ति में सहजता और सपाटता की जगह कविता में क्या कहा जाए के साथ कैसे कहा जाए इसे लेकर सजगता है।
वीरेन्द्र सारंग से रचना प्रक्रिया तथा गद्य और पद्य लेखन के सन्तुलन के बारे में प्रश्न किया गया। उन्होंने कहा कि कविता हमें जीवन से जोड़ती है, लय से जोड़ती है। कविता में लय का होना जरूरी है। वह दिल से शुरू जरूर होती है पर दिमाग तक जाती है। वह हमें बेहतर आदमी बनाती है। उनका कहना था कि कविता का हाथ पकड़ो, मरने से बचो । कविता ही है जो इस संकट में हमारे दिल-दिमाग को विषाक्त होने से बचा सकती है। कविता को बचाना अपने अंदर की संवेदना और विचार को बचाना है। ऐसे मेले साहित्य और समाज के लिए आवश्यक है। उनका साहित्यसुधी पाठकों और श्रोताओं से यह भी कहना था कि वे किताबों से जुड़ें और जो पसंद आए उसे खरीद कर अपने पास रखें।
वीरेंद्र सारंग ने अपने इस संग्रह से कई कविताओं के अंश सुनाएं। एक कविता 'लिख दो यहां गद्य' में वह कहते हैंं 'पिता डांटते बोलते हैं जैसे कोई दिमाग/मां पुचकारती है, मुस्कुराती है जैसे कोई हृदय /पिता के पास जाने का मन नहीं करता, हिम्मत भी नहीं होती /मां के पास से हटते का मन नहीं करता/ मां की गोद में सिर रखकर सोने से डर नहीं लगता।' श्रोताओं ने काव्य पाठ का पूरा आनन्द उठाया। कार्यक्रम का समापन 'कथा का पृष्ठ' कविता संग्रह के अनावरण से हुआ। इस मौके पर कवि वीरेन्द्र सारंग और कौशल किशोर सहित व्यंग्यकार अरविंद तिवारी, कवि महेश आलोक, कथाकार सूर्यनाथ सिंह आदि मौजूद थे। स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन वाणी प्रकाशन ग्रुप की दुर्गेश्वरी के द्वारा किया गया।
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