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जेएनयू में हिंसा पर कुलपति का बड़ा बयान

Renuka Sahu
7 July 2022 5:50 AM GMT
VCs big statement on violence in JNU
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फाइल फोटो 

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति शांतिश्री धूलिपुडी पंडित का कहना है कि राजनीतिक आकांक्षाओं वाले छात्रों को विश्वविद्यालय के बाहर जाकर अपनी इस इच्छा की पूर्ति करते हुए चुनाव लड़ना चाहिए।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पहली महिला कुलपति शांतिश्री धूलिपुडी पंडित का कहना है कि राजनीतिक आकांक्षाओं वाले छात्रों को विश्वविद्यालय के बाहर जाकर अपनी इस इच्छा की पूर्ति करते हुए चुनाव लड़ना चाहिए। कुलपति ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि विश्वविद्यालय के 90 प्रतिशत छात्र गैर-राजनीतिक हैं और केवल 10 प्रतिशत ही उपद्रवी हैं। उन्होंने कहा कि भाषा एक संवेदनशील मुद्दा है और इसपर ज्यादा जोर देने से क्षेत्रवाद हो सकता है।

पंडित ने कहा, 'जेएनयू राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करने वाला स्थान नहीं है। जिन लोगों ने कैंपस में राजनीति की वे इस समय जेल में हैं। 90 प्रतिशत छात्र गैर-राजनीतिक हैं। केवल 10 प्रतिशत ही उपद्रवी हैं। उन्हें लगता है कि जेएनयू में उनका राजनीतिक करियर बन सकता है। भाषा एक संवेदनशील मुद्दा है, किसी विशेष भाषा पर ज्यादा जोर देने से क्षेत्रवाद पनप सकता है।'
एनईपी से अच्छी चीजें ले
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में बहुभाषावाद के मुद्दे पर बात करते हुए, जेएनयू वीसी ने कहा कि सरकार को क्षेत्रीय भाषाओं को आगे बढ़ाते समय सावधान रहना चाहिए ताकि इससे क्षेत्रीय पहचान ना बन सके। उन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देते हुए बहुभाषावाद के ढांचे का पालन करने का सुझाव दिया। शिक्षकों के एक वर्ग द्वारा विरोध किए जाने पर कुलपति ने कहा कि एनईपी से अच्छी चीजें ली जा सकती हैं।
उन्होंने कहा, 'एनईपी बहुभाषावाद के लिए है और मैं इसका पूरा समर्थन करती हूं। केवल एक बात मेरी राय थोड़ी अलग है कि हम भारत की 27 भाषाओं को कैसे पढ़ाने वाले हैं। हमें भाषाओं को लेकर थोड़ा सावधान रहना होगा क्योंकि यह मौलिक पहचान की चीज है।' उन्होंने यह भी कहा कि भाषाई दल काफी लोकप्रिय हैं और अगर मातृभाषा पर बहुत ज्यादा दबाव डाला जाता जाएगा तो वे इसका फायदा उठा सकते हैं।
जेएनयू में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं
पंडित ने कहा कि विश्वविद्यालयों को एनईपी से अच्छी चीजें लेनी चाहिए और इसे किसी पर थोपा नहीं जा रहा है। यह (एनईपी) सिर्फ एक दस्तावेज है। यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे किसी पर थोपा जा रहा हो। मुझे लगता है कि हम इससे अच्छी चीजें ले सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जेएनयू राजनीतिक रूप से सक्रिय परिसर है लेकिन विश्वविद्यालय में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। जो नेता बनना चाहते हैं, उन्हें बाहर जाकर चुनाव लड़ना चाहिए।
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