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UNSC: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंक विरोधी समिति की जनवरी में भारत करेगा अध्यक्षता
Deepa Sahu
27 Dec 2021 5:20 PM GMT
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आतंकवाद विरोधी समिति की अध्यक्षता जनवरी में भारत के पास रहेगी।
भारत जनवरी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आतंकवाद विरोधी समिति की अध्यक्षता करेगा. उसे 2012 के बाद इस समिति की कमान सौंपी जा रही है. दरअसल, अमेरिका के न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 को आतंकवादी हमला हुआ था, जिसके बाद सितंबर 2001 में यूएनएससी ने इस समिति का गठन किया था.
वहीं, पिछले महीने भारत ने यूएनएससी की सदस्यता में लगातार जारी बहिष्करण और असमानता के समाधान की आवश्यकता पर बल दिया था और सवाल उठाया था कि विकासशील दुनिया की 'अर्थपूर्ण आवाज' को कब तक नजरंअदाज किया जाएगा. इसके साथ ही भारत ने रेखांकित किया था कि शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने के लिए वैश्विक ढांचे में सुधार किए जाने की जरूरत है.
वर्तमान अध्यक्ष मेक्सिको की अगुवाई में सुरक्षा परिषद में 'अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा का पालन: बहिष्करण, असमानता और संघर्ष' विषय पर आयोजित खुली बहस को संबोधित करते हुए विदेश राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने कहा था कि शांति व सुरक्षा बनाए रखने और शांति निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय ढांचे में सुधार की जरूरत है. सुरक्षा परिषद की सदस्यता में निरंतर बहिष्करण और असमानता का समधान करने की आवश्यकता है.
भारत 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य
भारत वर्तमान में दो साल के कार्यकाल के लिए 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है और यह इस शक्तिशाली वैश्विक निकाय की स्थायी सदस्यता के लिए एक प्रबल दावेदार है. भारत लगातार आतंकवाद के खिलाफ अतंरराष्ट्रीय मंचों पर आवाज उठाता रहा है. हाल ही में उसने संयुक्त राष्ट्र में कहा था कि वह पाकिस्तान से प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ और निर्णायक कार्रवाई करना जारी रखेगा. किसी भी सार्थक वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है जो केवल आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त माहौल में आयोजित की जा सकती है.
पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था, भारत ने दिया था करारा जवाब
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की कौंसलर काजल भट ने यूएनएससी में कहा था, 'भारत, पाकिस्तान सहित सभी पड़ोसी देशों के साथ सामान्य संबंध चाहता है और अगर कोई लंबित मुद्दा है तो उसे शिमला समझौते तथा लाहौर घोषणा के अनुसार द्विपक्षीय और शांतिपूर्ण तरीके से निपटाने के लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि, कोई भी सार्थक बातचीत आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त माहौल में ही हो सकती है. इस तरह के अनुकूल माहौल बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है. तब तक भारत सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद का जवाब देने के लिए दृढ़ और निर्णायक कदम उठाता रहेगा. पाकिस्तान द्वारा यूएनएससी में कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने के बाद भारत ने उसपर पलटवार किया था.
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