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राज्‍यसभा में केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाव‍िया बोले, 'देश में 'जबरन' नहीं लाया जाएगा जनसंख्‍या न‍ियंत्रण कानून'

Renuka Sahu
2 April 2022 3:50 AM GMT
राज्‍यसभा में केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाव‍िया बोले, देश में जबरन नहीं लाया जाएगा जनसंख्‍या न‍ियंत्रण कानून
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फाइल फोटो 

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं पर‍िवार कल्‍याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने शुक्रवार को राज्यसभा में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर बात रखी.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं पर‍िवार कल्‍याण मंत्री मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) ने शुक्रवार को राज्यसभा (Rajya Sabha) में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर बात रखी. उन्‍होंने कहा कि देश में जबरन जनसंख्‍या न‍ियंत्रण कानून (Population Control Bill) नहीं लाया जाएगा. उन्‍होंने कहा कि भारत की जनता इसे खुद से ही न‍ियंत्रित कर रही है और इसके ल‍िए जागरूकता अभ‍ियान भी चलाया जा रहा है. भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने जुलाई 2019 में राज्यसभा में अपना जनसंख्या विनियमन विधेयक पेश किया था. इस पर बात करते हुए मंडाव‍िया ने कहा कि देश में राष्‍ट्रीय जनसंख्‍या नीति और राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य नीति लागू की गई है.

राकेश सिन्हा ने स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के हस्तक्षेप के बाद शुक्रवार को विधेयक वापस ले लिया. मंडाविया ने यहां विभिन्न परिवार नियोजन कार्यक्रमों के प्रभाव को सूचीबद्ध किया, जिसमें कुल प्रजनन दर (टीएफआर) में कमी शामिल है. उन्होंने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-V और जनगणना के आंकड़ों के साथ-साथ जनसंख्या वृद्धि की दर घटने के आंकड़ों का हवाला दिया. उन्‍होंने कहा कि जब हम एनएफएचएस के बारे में बात करते हैं और जनगणना को देखते हैं, तो हम उस सफलता को देख सकते हैं जो हमने हासिल की है.
'जनसंख्या नियंत्रण पर सरकार की नीतियां बिना बल प्रयोग किए कर रही काम'
उन्‍होंने कहा कि 1971 में औसत वार्षिक घातीय वृद्धि 2.20 थी. यह 1991 में 2.14, 2001 में 1.97 और 2011 में 1.64 हो गई. यह दर्शाता है कि जनसंख्या वृद्धि में गिरावट आई है. 60 और 80 के दशक के बीच देखी गई विकास दर में काफी कमी आई है. यह एक अच्छा संकेत है. एनएफएचएस-वी में कुल प्रजनन दर घटकर 2.0 रह गई है. मंडाविया ने किशोर जन्म दर और किशोर विवाह में क्रमशः 6.8 प्रतिशत और 23.3 प्रतिशत की गिरावट पर प्रकाश डाला. उन्‍होंने कहा कि यह इंगित करता है कि जनसंख्या नियंत्रण पर सरकार की नीतियां बिना बल प्रयोग किए काम कर रही हैं. उन्‍होंने कहा, 'मैं राकेश स‍िन्‍हा से अनुरोध करता हूं कि हम आपके उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में काम करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि सभी वर्गों, समुदायों को व‍िकसित होने का मौका मिले. मैं आपसे विधेयक को वापस लेने का अनुरोध करता हूं.'
'हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, पारसी शब्दों का इस्तेमाल इसे असंवैधानिक नहीं बनाता'
अपने विधेयक को वापस लेते हुए, सिन्हा ने विश्वास व्यक्त किया कि इस संबंध में सरकार द्वारा किए जा रहे गंभीर प्रयासों के कारण 'हम जाति, धर्म, भाषा और जिले से ऊपर उठकर अपनी आबादी को नियंत्रित करने में सक्षम होंगे'. 'हमारे प्रयास संवैधानिक तरीके से किए जा रहे हैं. हम आपातकाल को दोहराना नहीं चाहते हैं.' सिन्हा ने कहा कि उन्होंने अपने विधेयक में हिंदू या मुस्लिम शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया है, लेकिन किसी मुद्दे पर चर्चा करते समय 'तथ्यों' का इस्तेमाल करने में संकोच नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा, 'हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, पारसी शब्दों का इस्तेमाल इसे असंवैधानिक नहीं बनाता है. 1901 और 2011 के बीच हिंदू आबादी में 13.8 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि मुस्लिम आबादी में 9.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह सच्‍चाई है. मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता कि यह वृद्धि अच्छी है या बुरी, लेकिन आप तथ्यों से मुंह नहीं मोड़ सकते.'
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