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केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने दिल्ली में नॉर्थ-ईस्ट कल्चरल फेस्टिवल 'ईशान मंथन' का किया उद्घाटन
Deepa Sahu
25 March 2022 1:09 PM GMT
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केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी (G Kishan Reddy) ने शुक्रवार को दिल्ली में 3 दिवसीय उत्सव ‘ईशान मंथन’ (Festival Ishan Manthan) का उद्घाटन किया है.
केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी (G Kishan Reddy) ने शुक्रवार को दिल्ली में 3 दिवसीय उत्सव 'ईशान मंथन' (Festival Ishan Manthan) का उद्घाटन किया है. जिसमें पूर्वोत्तर भारत (North East India) की संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी. ईशान मंथन का आयोजन 25 से 27 मार्च तक, दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में होगा. जिसमें पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति, कला, संगीत, लोक नृत्य, हस्तशिल्प और पारंपरिक खानपान से रुबरू होने का अवसर मिल सकेगा. ईशान मंथन का आयोजन तीनों दिन सुबह 10 बजे से रात के 10 बजे तक होगा.
इस दौरान लोग यहां आकर सांस्कृति कार्यक्रमों का लाभ उठा सकते हैं. यहां पूर्वोत्तर भारत के परिधान से लेकर वहां की कारीगरी से जुड़ी वस्तुएं खरीदी जा सकेंगी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस में प्रजन प्रवाह और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. ईशान मंथन में पूर्वोत्तर भारत के राज्यों असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा को जानने और समझने का मौका मिलेगा. पूर्वोत्तर भारत के विकास के बारे में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार इस क्षेत्र में कई विकास परियोजनाओं का नेतृत्व कर रही हैकेंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने उत्सव का उद्घाटन किया
विकास के लिए राजनीतिक नेटवर्क बनाया गया
पूर्वोत्तर भारत में रेल नेटवर्क के लिए एक लाख करोड़ और सड़क नेटवर्क के लिए 55 लाख करोड़ रुपये खर्च करने के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्षेत्रीय दलों के साथ एक 'राजनीतिक नेटवर्क' भी बनाया है, जो राज्यों के सुचारू शासन और विकास के काम को सुनिश्चित करता है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'वो तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ही थे, जिन्होंने पूर्वोत्तर के लिए एक अलग मंत्रालय स्थापित किया था. पूर्वोत्तर के लोग वनों के संरक्षण और पर्यावरण की रक्षा के लिए बहुत योगदान दे रहे हैं.'
Inaugurated "Ishan Manthan", a 3 day festival to celebrate the rich ethnicity & colours of North Eastern India today at @ignca_delhi. pic.twitter.com/0IGspcbdVK
— G Kishan Reddy (@kishanreddybjp) March 25, 2022
सांस्कृतिक एकता की अभिव्यक्ति है
प्रजन प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे नंदकुमार ने भाषण देते हुए कहा कि पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक विविधता अनिवार्य रूप से भारत की सांस्कृतिक एकता की अभिव्यक्ति है. उन्होंने कहा, 'अंतर्निहित एकता ही विविधता के रूप में प्रकट होती है. हमने मतभेदों पर अधिक जोर देने और एकता के लिए खतरे वाली चीजों को नजरअंदाज करने की आदत विकसित की है. आजादी के सात दशक बाद भी औपनिवेशिक शिक्षा का जारी रहना अंग्रेजों द्वारा बनाए गए मिथकों को कायम रखता है. जिसमें हमारे इतिहास, संस्कृति, धर्म और समाज से जुड़ी गलत व्याख्याएं हैं.'
जेएनयू के प्रोफेसर ने भाषण दिया
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने कहा कि भारत ने कभी भी सैन्य शक्ति के माध्यम से संस्कृति, व्यापार और वाणिज्य के माध्यम से दुनिया के किसी भी हिस्से पर विजय प्राप्त नहीं की है. उन्होंने कहा कि भारत ने पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र को सांस्कृतिक रूप से प्रभावित किया है. इस उद्घाटन सत्र में लोक संस्कृति पर दो पुस्तकों 'लोक बियॉन्ड फॉक' और 'ज्वेल्स ऑफ नॉर्थ ईस्ट इंडिया' नामक दो पुस्तकों का विमोचन भी हुआ है. आईजीएनसीए के मेंबर सेक्रेटरी डॉक्टर सच्चीदानंद जोशी ने कहा कि जिस पूर्वोत्तर क्षेत्र की आज बम बात करते हैं, कभी वो अखंड भारत का केंद्र था. आईजीएनसीए की निदेशक आईपीएस प्रियंका मिश्रा ने सबका आभार जताया.
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