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सरकारी स्कूल में पंखा गिरने से दो छात्राएं जख्मी, परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप
आउटर दिल्ली के नागलोई इलाके में स्थित दिल्ली सरकार के गर्ल्स सीनियर सेकंडरी स्कूल के क्लास रूम में छत का पंखा गिरने से दो छात्राएं घायल हो गईं. जहां दोनों छात्राओं का हॉस्पिटल में उपचार कराया गया. जिनमें से एक छात्रा के सिर में चोट आई हुई है. इसकी वजह से उसको लगातार चक्कर आ रहे हैं और उसे हॉस्पिटल में एडमिट किया है. हालांकि पीड़ित परिवार का आरोप है कि हादसा स्कूल प्रशासन की लापरवाही के चलते हुआ. वहीं स्कूल प्रशासन और दिल्ली सरकार अब उनकी बच्ची की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. न ही प्रॉपर इलाज करवा रहे हैं, जिससे पीड़ित परिवार काफी दुखी और परेशान है.
क्या है पूरा मामला
मामला बीते शनिवार का है, जहां 9वीं कक्षा के क्लास रूम में पढ़ाई करते वक्त अचानक चलता हुआ छत का पंखा छात्राओं के ऊपर आ गिरा. जहां पंखे की चपेट में आने से दो छात्राएं घायल हो गईं. जिनमें से एक छात्रा को बेहोशी की हालत में तुरंत स्कूल प्रशासन द्वारा संजय गांधी हॉस्पिटल पहुंचाया गया और प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें दोबारा स्कूल भेज दिया. वहीं घटना के बाद स्कूल प्रशासन द्वारा पीड़ित छात्राओं के परिजनों को बुलाकर उन्हें किराया देकर घर भेज दिया गया, लेकिन मामला उस वक्त बिगड़ गया जब घर पहुंची छात्रा अचानक बेहोश हो गई और उसकी हालत बिगड़ने लगी. इसके बाद परिवार वालों ने तुरंत मामले की जानकारी स्कूल प्रशासन को दी और जानकारी मिलते ही स्कूल प्रशासन ने दोबारा छात्रा को स्कूल में बुलवाया, जहां स्कूल पहुंचने के बाद छात्रा की स्थिति देखकर स्कूल प्रशासन ने उसे पास के सोनिया हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया. जहां अब उसका इलाज चल रहा है और सिर पर पंखा गिरने से उसके सिर में गुम चोटें आई हुई है और उसे लगातार चक्कर आ रहे है. इसके बाद उसके सिर का सीटी स्कैन और एमआरआई कराया गया है. वहीं पीड़ित परिजनों का आरोप है कि स्कूल प्रशासन की लापरवाही के चलते उनकी बेटी के साथ यह हादसा हुआ. जहां क्लास रूम की छत में सीलन आई हुई थी और सीलन की वजह से पंखे की रॉड सड़ गई थी और इसी वजह से चलता हुआ पंखा टूट कर नीचे गिर गया.
पीड़ित परिजनों का यह भी आरोप है कि स्कूल प्रशासन ने पहले मामले को हल्के में लिया और स्कूल पहुंचे परिजनों को रिक्से का किराया देकर घायल लड़की को घर भेज दिया. अब जब बात बिगड़ गई तो आनन-फानन में छात्रा और उसके परिजनों को दुबारा स्कूल बुलाया और स्कूल के गार्ड को भेजकर प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया, लेकिन स्कूल की प्रिंसिपल ने पीड़ित छात्रा व उसके परिवार से हॉस्पिटल में आकर मिलने की जहमत तक नहीं उठाई. हालांकि कुछ टीचर हॉस्पिटल पहुंची और बच्ची की हाल खबर ली, लेकिन बाद में वह भी स्कूल की तरफ से हॉस्पिटल का बिल देकर वापस चली गई. वहीं अभी छात्रा ठीक भी नहीं हुई थी कि 2 दिन बीतते ही स्कूल प्रशासन ने हाथ खड़े कर लिए. वहीं पेमेंट न मिलने के डर से हॉस्पिटल प्रशासन भी छात्रा को डिस्चार्ज करने की बात कह रहा है, लेकिन छात्रा की स्थिति को देखकर माता-पिता घबराए हुए हैं. उनका कहना है कि बच्ची अभी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुई है और उसको पैसे के अभाव में इलाज नहीं दिया जा रहा. जहां इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद भी न तो दिल्ली सरकार और न ही स्कूल प्रशासन अब इनकी ओर ध्यान दे रहे हैं. वहीं पूरे मामले में स्कूल प्रशासन ने भी चुप्पी साध रखी है और पूरे मामले में कुछ भी कहने से स्कूल प्रशासन बच रहा है. वही इस हादसे को देखकर यह सवाल उठना लाजमी है कि दिल्ली के स्कूलों और शिक्षा व्यवस्था का दमखम भरने वाली दिल्ली सरकार के रोल मॉडल स्कूल क्या ऐसे ही है?