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फास्ट ट्रैक कोर्ट में डिजिटल रेप मामले में ट्रायल हुआ शुरू, जानिए पूरा मामला

Admin Delhi 1
14 July 2022 1:51 PM GMT
फास्ट ट्रैक कोर्ट में डिजिटल रेप मामले में ट्रायल हुआ शुरू, जानिए पूरा मामला
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एनसीआर ग्रेटर नॉएडा न्यूज़: ग्रेटर नोएडा में एक 7 साल की बच्ची के साथ डिजिटल रेप की वारदात को अंजाम दिया गया था। इस मामले में गौतमबुद्ध नगर फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रायल शुरू हो गया है। पुलिस उपायुक्त मीनाक्षी कात्यान ने बताया कि 5 दिनों के अंदर पुलिस ने इस मामले में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की और बुधवार को इस मामले में 5 लोगों की गवाही हुई। आरोपी के वकील ने शुक्रवार के लिए डेट लिया है। इस मामले में शुक्रवार को अन्य न्यायिक कार्रवाई पूरी होगी।

क्या है पूरा मामला: पुलिस अधिकारियों कहना है कि इस मामले में जल्द से जल्द सजा दिलवाने का प्रयास किया जा रहा है। मालूम हो कि 6 जुलाई को थाना दनकौर क्षेत्र के नवादा गांव में रहने वाली 7 माह की बच्ची के साथ बच्ची के दादा के दोस्त ने डिजिटल रेप किया था। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया है। इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 5 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल की और न्यायालय से निवेदन कर इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में शुरू करवाई।

क्या होता है डिजीटल रेप: गौतमबुद्ध नगर में पिछले कुछ महीनों से डिजिटल रेप के मामले काफी ज्यादा बढ़ रहे हैं। जिसके बाद नोएडा के लोगों और पुलिस विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों में भी इसके बारे में जानने की उत्सुकता दिखाई दी। लोगों ने गूगल पर सर्च किया और इसके बारे में जानकारी एकत्र की। जो वह समझ रहे तो यह जानकारी उसे बिल्कुल अलग निकली। इस डिजीटल रेप का मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रानिक्स डिवाइस से कोई लेना लेना ही नहीं है। डिजिटल रेप का मतलब यह नहीं कि, किसी लड़की या लड़के का शोषण इंटरनेट के माध्यम से किया जाए। यह शब्द दो शब्दों यानि डिजिटल और रेप से बना है। अंग्रेजी के डिजिट का मतलब जहां अंक होता है वहीं अंग्रेजी शब्दकोश के मुताबिक उंगली, अंगूठा, पैर की अंगुली इन शरीर के अंगों को भी डिजिट से संबोधित किया जाता हैं। यानि यह बलात्कार की वह स्थिति है जिसमें उंगली, अंगूठा, पैर की अंगुली का इस्तेमाल नाजुक अंगो पर किया गया हो। डिजिटल रेप कहा जाता है।

बच्चों को बैड टच और गुड टच के माध्यम से भी बताया जा रहा है डिजीटल रेप: डिजीटल रेप को लेकर भी सोशल मीडिया पर पिछले पांच सालों से जागरूकता फैलाई जा रही है। ऐसा जब हुआ जब 2016 में स्कूल से पढ़ कर घर लौटते वक्त स्कूल बस के कंडक्टर ने केजी में पढऩे वाली बच्ची के साथ बस में यौन शोषण किया। बच्ची के साथ हुई इस घिनौनी हरकत को जानने के बाद बच्ची के माता-पिता का गुस्सा फूटा और उन्होंने इंसाफ पाने के लिए कई प्रदर्शन किए। इसी के चलते उस समय सोशल मीडिया पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर कैंपेन भी चलाए गए। आरोपी कंडक्टर को बीस साल की सजा सुनाई गई। इसके बाद से ही मासूम बच्चों के साथ हो रहे अत्याचारों से उन्हें अवगत कराने के लिए प्ले स्कूलों, प्राइमरी स्कूलों में कई तरह की मुहीम भी चलाई जा रही हैं और डिजिटल रेप के बारे में जानकारी भी दी जा रही है।

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