दिल्ली-एनसीआर

दिल्ली एम्स में जल्द शुरू होगी कोवाक्सिन व कोर्बेवैक्स की ट्रायल प्रक्रिया, दोनों टीके हैं स्वदेशी

Renuka Sahu
11 Feb 2022 3:10 AM GMT
दिल्ली एम्स में जल्द शुरू होगी कोवाक्सिन व कोर्बेवैक्स की ट्रायल प्रक्रिया, दोनों टीके हैं स्वदेशी
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फाइल फोटो 

कोरोना की पांचवीं लहर का प्रकोप थमने के साथ ही दिल्ली में कोवाक्सिन और कोर्बेवैक्स वैक्सीन की क्लीनिकल ट्रायल प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना की पांचवीं लहर का प्रकोप थमने के साथ ही दिल्ली में कोवाक्सिन और कोर्बेवैक्स वैक्सीन की क्लीनिकल ट्रायल प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। दोनों ही स्वदेशी वैक्सीन हैं। एम्स में कोवाक्सिन की एहतियाती खुराक पर परीक्षण शुरू होगा। इसके लिए पंजीयन भी किए जा रहे हैं। इस परीक्षण के दौरान लोगों को नोजल के जरिये तीसरी खुराक दी जाएगी। इस दौरान कोविशील्ड लेने वालों पर भी परीक्षण किया जाएगा ताकि यह पता चल सके कि कोवाक्सिन की एहतियाती खुराक देश में मौजूदा अन्य वैक्सीन को लेकर भी समान असर दिखाती है या नहीं।

इसी तरह दिल्ली के अपोलो अस्पताल और जीटीबी में बायोलॉजिकल ई-फॉर्मा कंपनी की कोर्बेवैक्स का परीक्षण शुरू होगा। हाल ही में इस वैक्सीन को सरकार ने आपात इस्तेमाल की अनुमति भी दी है। साथ ही पिछले दिनों पांच करोड़ खुराक का प्री ऑर्डर भी दिया है। अब फॉर्मा कंपनी इस वैक्सीन की तीसरी खुराक की ताकत भी दिखाना चाहती है।
इसके लिए कंपनी ने कोवाक्सिन और कोविशील्ड दोनों वैक्सीन लेने वाले लोगों का चयन किया है, क्योंकि अभी तक इन्हीं दो वैक्सीन को लेने वाले सर्वाधिक लोग हैं। हालांकि अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. विनय कांत्रु ने बताया कि अभी तक उनके यहां ट्रायल के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू नहीं हुए हैं। कुछ समय पहले ट्रायल के बारे में सूचना मिली थी। इसे अस्पताल की एथिक्स कमेटी की ओर से अनुमति भी मिली है जिसमें देरी होने की वजह से रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया। उधर, जीटीबी अस्पताल से जानकारी मिली है कि उनके यहां एथिक्स कमेटी की अनुमति दी जा चुकी है।
...इसलिए एहतियाती खुराक पर बढ़ा जोर
सफदरजंग अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. जुगल किशोर का कहना है कि देश में कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम शुरू हुए एक वर्ष से भी अधिक समय निकल गया है। अनुमानित तौर पर हमने देखा कि टीकाकरण की वजह से ओमिक्रॉन की लहर हल्की रही लेकिन वैज्ञानिक तौर पर टीकाकरण के असर और इससे बनने वाली एंटीबॉडी की उम्र इत्यादि को जानने के लिए भी अध्ययन हो रहे हैं।
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