- Home
- /
- दिल्ली-एनसीआर
- /
- वायु प्रदूषण की समस्या...
वायु प्रदूषण की समस्या से निजात के लिए दिल्ली सरकार ने जनता से मांगे सुझाव, राजधानी को जल्द मिलेंगी प्रीमियम बसें
दिल्ली न्यूज़: दिल्ली सरकार ने अपनी उस मसौदा योजना पर जनता की प्रतिक्रिया मांगी है, जिसका मकसद लोगों को प्रीमियम वातानुकूलित (एसी) बस सेवा उपलब्ध कराकर शहर में निजी वाहनों से सफर में कमी लाना है, ताकि वायु प्रदूषण की समस्या पर काबू पाया जा सके। सरकार ने दिल्ली मोटर व्हीकल लाइसेंसिंग ऑफ एग्रीगेटर्स (प्रीमियम बस) योजना के मसौदे पर आठ सितंबर तक सुझाव आमंत्रित किए हैं। मसौदे के मुताबिक एग्रीगेटर को एक लाख रुपए का लाइसेंस शुल्क देना होगा। स्वच्छ परिवहन विकल्पों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इलेक्ट्रिक बसों के लिए लाइसेंस शुल्क न लेने का फैसला किया गया है।
इसमें कहा गया है कि लाइसेंस पांच साल की अवधि के लिए वैध होगा। मसौदा योजना के तहत हर एग्रीगेटर को न्यूनतम 50 प्रीमियम बसों का बेड़ा रखना होगा और उसे डीटीसी (दिल्ली परिवहन निगम) की एसी बसों के अधिकतम किराये से अधिक शुल्क वसूलने की छूट मिलेगी, जिसे मांग के अनुरूप तय किया जा सकेगा। योजना के अनुसार एग्रीगेटर को केवल वेब या मोबाइल आधारित एप्लिकेशन के माध्यम से यात्रियों की बुकिंग करने की इजाजत होगी और कोई बस में कोई टिकट जारी नहीं किया जा सकेगा। मसौदा योजना में कहा गया है कि सफर शुरू होने से पहले एग्रीगेटर वाहन, चालक और कर्मचारियों के विवरण के अलावा एक यात्री सूची पोस्ट करेगा। योजना में स्पष्ट किया गया है कि यात्री सूची में केवल यात्रियों का उपनाम और उम्र जैसे विवरण शामिल किए जाएंगे। इसमें उनके नाम का जिक्र नहीं होगा। मसौदा योजना के मुताबिक एग्रीगेटर को अपने एप पर शिकायत दर्ज करने के लिए एक तंत्र भी प्रदान करना होगा और बस के अंदर शिकायत निवारण तंत्र के विवरण को प्रमुखता से दर्शाना पड़ेगा।
इसमें कहा गया है कि एप में महिला यात्रियों के लिए पैनिक बटन भी होगा। मसौदा योजना में यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी यात्री से किराया लेने के बाद कोई यात्रा रद्द नहीं की जा सकेगी। अगर किसी अप्रत्याशित घटना की स्थिति होती है तो एग्रीगेटर को या तो वैकल्पिक वाहन उपलब्ध कराना होगा या फिर पूरा किराया लौटाना पड़ेगा। मसौदे के अनुसार योजना के तहत सिर्फ बीएस-6 मानक की वातानुकूलित सीएनजी या इलेक्ट्रिक बसें संचालित की जा सकेंगी। इसमें कहा गया है कि एग्रीगेटर द्वारा संचालित सीएनजी बसें तीन साल से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिए। यही नहीं एक जनवरी 2024 के बाद शामिल की जाने वाली सभी बसें केवल इलेक्ट्रिक होंगी।