दिल्ली-एनसीआर

कांग्रेस में नंबर 2 बनने के लिए गुलाम नबी आजाद ने ठुकराया सोनिया गांधी का प्रस्ताव, जानें क्या बोले

Renuka Sahu
3 Jun 2022 1:39 AM GMT
To become number 2 in Congress, Ghulam Nabi Azad rejected Sonia Gandhis offer, know what he said
x

फाइल फोटो 

कांग्रेस को फिर से खड़ा करने में लगीं पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए कुछ भी ठीक होता नहीं दिख रहा है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कांग्रेस को फिर से खड़ा करने में लगीं पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए कुछ भी ठीक होता नहीं दिख रहा है. पहले चुनाव विशेषज्ञ प्रशांत किशोर से बात बनते-बनते बिगड़ी, फिर पार्टी के पूर्व सांसद कपिल सिब्बल और गुजरात से हार्दिक पटेल ने इस्तीफा दिया. अब खबर है कि गुलाम नबी आजाद पार्टी से नाराज चल रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस में दूसरे नंबर पर काम करने से इनकार कर दिया है.

सोनिया गांधी ने खुद की थी बात
इंदिरा गांधी के साथ अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले गुलाम नबी आजाद को आगामी राज्यसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया है. हालांकि, राज्यसभा के लिए उम्मीदवार घोषित करने से पहले सोनिया गांधी ने आजाद से मुलाकात की थी और उनसे काफी देर बात भी की थी. बताया गया था कि उन्होंने उनके लिए कांग्रेस की योजना को व्यक्त किया था. सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी से बातचीत में उन्होंने राज्यसभा चुनाव के बारे में बात नहीं की, लेकिन आजाद से पूछा कि क्या वह संगठन में नंबर दो के पद पर काम करने में सहज महसूस करेंगे. इस पर गुलाम नबी आजाद ने इनकार कर दिया था.
ये बताई इनकार करने की वजह
संगठन में नंबर दो पर काम करने से इनकार करने को लेकर किए गए सवाल पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, ''आज पार्टी चलाने वाले युवाओं और हमारे बीच एक पीढ़ी का अंतर आ गया है. हमारी सोच और उनकी सोच में फर्क है. इसलिए युवा पार्टी के दिग्गजों के साथ काम करने को तैयार नहीं हैं.'' आजाद पिछले कुछ दिनों से बीमार हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती भी कराया गया था. दरअसल, पार्टी ने युवा नेतृत्व के उत्थान की दिशा में काम करते हुए पार्टी की अल्पसंख्यक शाखा के अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा भेजने का फैसला किया। सूत्रों ने कहा कि यह फैसला राहुल गांधी ने लिया था, जिस पर सोनिया गांधी सहमत थीं.
आजाद के राज्यसभा जाने पर बिगड़ सकते थे समीकरण
इमरान 'युवा' और 'अल्पसंख्यक' दोनों हैं, इसलिए वह कांग्रेस में रहकर लक्ष्य पर निशाना साध सकते हैं. चूंकि कांग्रेस अल्पसंख्यकों को टिकट नहीं दे सकीं, इसलिए सोनिया गांधी ने आजाद को संगठन में शामिल करने के लिए कहा. दरअसल आजाद के राज्यसभा जाने से राज्यसभा के अंदर कांग्रेस के नेतृत्व के समीकरण बिगड़ सकते थे. वर्तमान में मल्लिकार्जुन खड़गे विपक्ष के नेता हैं. पहले गुलाम नबी आजाद के पास यह पद था. आजाद के रिटायर्ड होने के बाद खड़गे को विपक्ष का नेता घोषित किया गया था. आजाद वर्तमान में पार्टी की कार्यकारी समिति के सदस्य हैं और हाल ही में सोनिया गांधी द्वारा गठित राजनीतिक मामलों के समूह के सदस्य भी हैं. सूत्रों ने बताया कि आजाद पिछले कुछ दिनों से पार्टी के कामों में ज्यादा दिलचस्पी भी नहीं ले रहे हैं. उदयपुर में आयोजित चिंतन शिविर में आजाद ने समिति की बैठकों में बहुत कम बात की.
अब सबकी निगाह गुलाम नबी आजाद के अगले कदम पर
सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी ने बातचीत के दौरान आजाद को यह स्पष्ट नहीं किया था कि नंबर दो पर उनकी क्या भूमिका होगी. क्या उन्हें उपाध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष या संगठन का महासचिव बनाने का प्लान था, इस पर सोनिया ने स्थिति साफ नहीं की थी, ऐसे में सोनिया गांधी के प्रस्ताव को गुलाम नबी आजाद द्वारा ठुकराने को इसे भी एक कारण माना जा रहा है. अब सभी की निगाहें आजाद के अगले कदम पर टिकी हैं. कई दशकों तक कांग्रेस के लिए काम कर चुके आजाद को बिहार के एक क्षेत्रीय दल ने राज्यसभा भेजने की पेशकश की थी. उन्होंने यह कहते हुए इसे ठुकरा दिया कि 'उनका आखिरी समय कांग्रेस के झंडे तले गुजरेगा.'
Next Story