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नॉएडा न्यूज़: नोएडा में अब आशियाना खरीदने और बनाने का सपना भी महंगा हो गया है। 23 अप्रैल को हुई नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में आवासीय भूखंड, ग्रुप हाउसिंग और संस्थागत उपयोग की संपत्तियों की आवंटन दरों में छह से दस प्रतिशत की बढोत्तरी की है। इससे उद्योग लगाने के साथ मकान बनाने में लोगों को अधिक पैसा खर्च करना पड़ेगा। वर्ष 2022 में भी आवंटन दरों में 10 से 15 प्रतिशत तक प्राधिकरण ने इजाफा किया था। इस साल भी 10 फीसदी तक रेट बढ़े हैं। नोएडा प्राधिकरण के बोर्ड रूम में 23 अप्रैल को अवस्थापना और औद्योगिक विकास आयुक्त और नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में बोर्ड बैठक हुई। इस दौरान 19 प्रस्ताव रखे गए। बोर्ड बैठक के दौरान ई-श्रेणी के आवासीय सेक्टरों के सबसे अधिक दस प्रतिशत का इजाफा किया गया है। ए-प्लस श्रेणी की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। जबकि ए, बी, सी और डी श्रेणी के सेक्टरों में भूखंड की दरों में छह प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। आवासीय भवन यानी फ्लैट और व्यावसायिक संपत्ति की दरों में कोई इजाफा नहीं हुआ है। बीते महीनों में औद्योगिक भूखंडों की नीलामी में अधिक रेट प्राधिकरण को प्राप्त हुए थे। ऐसे में औद्योगिक क्षेत्र की फेज वन, फेज टू और फेज तीन की दरों में छह प्रतिशत इजाफा किया गया है। संस्थागत संपत्ति क्षेत्र में भी फेज वन, फेज टू और फेज तीन में स्थित आईटी-आईटीईएस और डाटा सेंटर उपयोग की संपत्तियों में भी छह प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।
11 अगस्त 2022 से पहले सेक्टर 102, 115, 158 और 162 आदि सेक्टरों में आवासीय प्लॉट की कीमत 36200 वर्ग मीटर थी। ई श्रेणी वाले इन सेक्टरों में अब प्लॉट खरीदने का बेस प्राइस ही 45,380 रुपए वर्गमीटर हो गया है। उस पर भी ईऑक्शन के दौरान नीलामी होगी और इस बेस्ट प्राइस से ऊपर जो बढ़-चढ़कर बोली लगाएगा, उसे ही वह प्लॉट दिया जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि 1 वर्ग मीटर जमीन महज 8 महीने में 9180 रूपए महंगी हो गई। प्रतिशत में अगर इस बढ़ोतरी को देखा जाए तो तकरीबन 24 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 11 अगस्त 2022 को करीब 14 फीसद दाम बढ़ाए गए थे और 23 अप्रैल 2023 को हुई बैठक में 10 प्रतिशत दाम बढ़ाने के प्रस्ताव पर मुहर लग गई है। इसके साथ-साथ अगर इंडस्ट्रियल सेक्टर में उपलब्ध भूखंडों की बात करें तो उन पर करीब 40 फीसद की महज 8 महीनों में वृद्धि हुई है। जबकि इन 8 महीनों के दौरान सोने के दाम की अगर बात करें तो उनमें महज 24 से 28 फीसद बढ़ोतरी हुई है। यह देखने वाली बात होगी कि नोएडा में आवासीय और औद्योगिक काम के लिए मिलने वाली जमीन सोने के दाम से भी ज्यादा तेजी से बढ़ रही है।
किसी भी अथॉरिटी के अंदर बोर्ड बैठक के दौरान जब दाम बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया जाता है तो उससे पहले काफी कागजी कार्यवाही की जाती है। रिसर्च होती है और साथ ही एक टीम उस पर काम करती है। अथॉरिटी में जमीन की कीमत बढ़ाने के लिए एक कमेटी बनी हुई है। ये कमेटी जमीन अधिग्रहण खर्च, डेवलपमेंट खर्च, एक्सटर्नल डेवलपमेंट खर्च मेंटेनेंस खर्च समेत अन्य खर्च जोड़ कर प्रति वर्ग मीटर में दरें तय करती है। इसके साथ साथ श्रेणी और लोकेशन भी देखी जाती है। साथ ही आरबीआई के कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स अर्बन को देखा जाता है। इस इंडेक्स में पिछले वित्तीय वर्ष में 6 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जमीनों के दाम आसमान छू रहे हैं। इस बात को लेकर टाउन प्लानर कोई भी हैरानी नहीं जताते हैं। उनका कहना है कि यह होना ही था, क्योंकि जिस तरीके से नोएडा और फिर ग्रेटर नोएडा की टाउन प्लानिंग की गई थी आने वाले समय में यह एनसीआर का सबसे महंगा शहर होने वाला है।
टाउन प्लानर अभिनव सिंह चौहान ने आईएएनएस से खास बातचीत करते हुए बताया कि जिस तरीके से यहां पर बसाई गए सेक्टर्स, बनाई गई सड़कें, ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा है, उसे देखते हुए यहां के दाम तो बढ़ने ही थे। साथ ही साथ यहां पर अब ट्रांसपोर्टेशन का जाल जैसे जैसे बिछता जा रहा है वैसे वैसे यहां के दाम और भी तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि सबसे जरूरी चीज जो अथॉरिटी ने समय पर की वह थी टाउन प्लैनिंग और उसी के चलते नोएडा के बाद ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी जहां पर बहुचर्चित परियोजनाएं आने वाली हैं वहां पर भी भविष्य को ध्यान में रखते हुए प्लानिंग की गई है। इस वजह से ही जमीनों के दाम लगातार आसमान छू रहे हैं।