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दिल्ली में प्रति एक लाख पर एड्स से 14 व्यक्ति हैं पीड़ित
दिल्ली: राजधानी में बीते एक दशक में एड्स पीड़ितों की संख्या में गिरावट आई है, लेकिन राष्ट्रीय औसत से अब भी बहुत पीछे है। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के (2021) आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में हर साल एक लाख की आबादी पर एड्स के करीब 14 मरीज मिल रहे हैं। वहीं देेश में यह आंकड़ा महज पांच है। दूसरी तरफ एड्स की घटने की दशकीय दर दिल्ली में 14.12 फीसदी है, जबकि देश में यह आंकड़ा 46.25 फीसदी है। दिल्ली में हर साल 2736 एड्स पीड़ित मिल रहे हैं, जबकि देशभर में यह आंकड़ा 62,967 है। दिल्ली में 15 से 49 साल की उम्र के बीच मरीजों की संख्या 0.31 फीसदी है। दिल्ली में अभी 55801 मरीज एड्स से पीड़ित हैं। वहीं, देश की बात करें तो 15 से 49 साल के उम्र के मरीजों की संख्या 0.21 फीसदी है, जो दिल्ली से 0.10 फीसदी कम है। देशभर में एड्स पीड़ितों की संख्या 24, 01284 है। किया जा रहा है उन्मूलन का प्रयास : देश में एड्स उन्मूलन की दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि भारत को पूरी तरह से एड्स मुक्त करने में लंबा समय लगेगा। देश में 15 से 49 वर्ष की उम्र के बीच के करीब 24 लाख लोग एड्स से प्रभावित हैं। यह आंकड़ा विश्व में एड्स प्रभावित लोगों की सूची काफी ऊपर है।
दवाओं का प्रयोग जरूरी: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के वरिष्ठ डॉ. पीयूष रंजन ने कहा कि एड्स पीड़ितों को दवाई बंद नहीं करनी चाहिए। दवाओं के नियमित सेवन से मरीज की स्थिति में सुधार आता है और ज्यादा समय तक सुरक्षित रहता है। बता दें कि एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) के प्रयोग में आने के बाद एड्स से मरने वालों की संख्या में कमी आई। 2007 से 2011 के बीच एड्स से मरने वाले लोगों की संख्या में वार्षिक आधार पर 29 फीसदी की कमी आई।
कैसे चलता है पता: डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में चर्म रोग के विशेषज्ञ रहे डॉ. मनीष जागड़ा ने बताया कि एड्स की पहचान का कोई लक्षण नहीं है। इससे संक्रमित मरीज की पहचान जांच के बाद हो पाती है। आरएमएल में अन्य बीमारी के साथ पहुंचने वाले मरीजों में एड्स की पुष्टि हो जाती है। इन मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम पाई जाती है जिस कारण उनकी बीमारी ठीक होने में काफी समय लगता है।
एड्स का प्रसार: राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के अनुसार दिल्ली में (2021) में वयस्क एचआईवी प्रसार की 0.31 फीसदी है। इनमें एचआईवी के साथ रहने वाले मरीजों की संख्या एक लाख में 0.56 है।