दिल्ली-एनसीआर

मेट्रो स्टेशन पर छेड़खानी का शिकार हुई महिला को आखिरकार दस साल बाद मिला इंसाफ, जानें क्या है पूरा मामला

Renuka Sahu
6 Aug 2022 1:59 AM GMT
The woman who was molested at the metro station finally got justice after ten years, know what is the whole matter
x

फाइल फोटो 

मेट्रो स्टेशन पर छेड़खानी का शिकार हुई महिला को इंसाफ के लिए एक दशक तक इंतजार करना पड़ा।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मेट्रो स्टेशन पर छेड़खानी का शिकार हुई महिला को इंसाफ के लिए एक दशक तक इंतजार करना पड़ा। भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर तैनात महिला के साथ मेट्रो के महिला कोच के आगे सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात शख्स ने ही छेड़खानी की थी। महिला अधिकारी ने मौके पर ही आरोपी को पकड़ कर डीएमआरसी अधिकारियों की उपस्थिति में पुलिस के सुपुर्द कर दिया था। लेकिन, चार साल बाद मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने आरोपी सिक्योरिटी गार्ड को बरी कर दिया।

महिला अधिकारी ने हार न मानते हुए मामले को सत्र अदालत में चुनौती दी। एक दशक बाद सत्र अदालत ने महिला के साथ हुई छेड़खानी की सत्यता पर मुहर लगाते हुए सिक्योरिटी गार्ड को दोषी करार दिया है। साकेत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रशांत शर्मा की अदालत ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आरोपी सिक्योरिटी गार्ड पारस नाथ को बरी करने के आदेश को रद्द कर दिया है।
कोर्ट 13 अक्तूबर को सुनाएगी सजा
अदालत ने कहा कि मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने इस बात पर तो यकीन किया कि आरोपी ने खुद अदालत में कबूला कि गलती से उसका हाथ पीड़िता को लगा हो सकता है। लेकिन, पीड़िता के बयानों को संबंधित अदालत ने सिरे से खारिज कर दिया, जबकि पीड़िता शिक्षित महिला है और एक उच्च पद पर आसीन है। सत्र अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इस तमाम जद्दोजहद के बीच इस बात पर गौर करना जरूरी था कि पीड़ित महिला अधिकारी के पास सिक्योरिटी गार्ड को झूठे आरोप में फंसाने की कोई वजह नहीं थी। अदालत ने दोषी की सजा निर्धारित करने के लिए 13 अक्तूबर की तारीख तय की है।
केंद्रीय सचिवालय स्टेशन की घटना
यह घटना 6 मई 2012 को केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन पर घटित हुई थी। सेना में कैप्टन महिला केन्द्रीय सचिवालय से मेट्रो बदलने के लिए जैसे ही प्लेटफार्म पर आई, आरोपी ने उनसे छेड़खानी की। महिला ने तत्काल पीछे मुड़कर आरोपी को वहीं दबोच लिया। आरोपी महिला कोच के सामने ड्यूटी दे रहा सिक्योरिटी गार्ड था। पकड़े जाने पर वह महिला से बदसलूकी करने लगा।
अदालत ने यात्रियों की चुप्पी पर सवाल उठाए
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने 22 फरवरी 2016 को आरोपी सिक्योरिटी गार्ड को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। इस फैसले के बाद महिला अधिकारी ने ठानी की वह हरहाल में अपने साथ हुए गलत कृत्य के लिए आरोपी को अंजाम तक पहुंचाकर रहेगी। महिला अधिकारी ने अभियोजन के माध्यम से निचली अदालत के आदेश के खिलाफ सत्र अदालत में अपील दायर की और निचली अदालत के आदेश को रद्द कराने में सफलता पाई। अदालत ने अफसोस जताया कि जिस समय यह घटना हुई, मेट्रो में मौजूद लोगों ने मदद नहीं की। अदालत ने कहा कि सब की चुप्पी के बावजूद आरोपी को सबक सिखाने की महिला की हिम्मत की सराहना की जानी चाहिए।
Next Story