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देश के इन 5 राज्यों में बढ़ रहा कम उम्र में बच्चों की शादी का ट्रेड, सुधार करने में सबसे आगे छत्तीसगढ़, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने जारी की NFHS-5 की रिपोर्ट
Renuka Sahu
7 May 2022 2:46 AM GMT
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फाइल फोटो
कम उम्र में विवाह का राष्ट्रीय औसत कम हुआ है. जबकि पंजाब, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, त्रिपुरा और असम में अंडरएज मैरिज में वृद्धि हुई है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कम उम्र में विवाह का राष्ट्रीय औसत कम हुआ है. जबकि पंजाब, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, त्रिपुरा और असम में अंडरएज मैरिज में वृद्धि हुई है. साल 2019 से 2021 के बीच आयोजित 5वें दौर के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) में यह बात निकलकर सामने आई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने गुरुवार को गुजरात के वडोदरा में एनएफएचएस-5 का नवीनतम डेटा जारी किया. इस रिपोर्ट के मुताबिक त्रिपुरा में 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी में सबसे ज्यादा उछाल आया है. साल 2015-17 में आयोजित एनएचएफएस-4 में यह आंकड़ा 33.1 फीसदी था, जो अब बढ़कर 40.1 फीसदी हो गया है. वहीं पुरुषों में 16.2 फीसदी से बढ़कर 20.4 फीसदी हो गया है.
एनएफएचएस-5 के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल 23.3% लड़कियों की शादी 18 वर्ष की कानूनी आयु प्राप्त करने से पहले हो गई, जो एनएफएचएस-4 में रिपोर्ट किए गए 26.8% से कम है. पुरुषों में कम उम्र में विवाह का आंकड़ा 17.7% (NFHS-5) और 20.3% (NFHS-4) है. कानूनी विवाह में सुधार के कुछ सबसे बड़े लाभ छत्तीसगढ़ में देखे गए हैं, जहां कम उम्र में विवाह महिलाओं में 21.3 प्रतिशत से घटकर 12.1% और पुरुषों में 26.9 प्रतिशत से घटकर 16.2 प्रतिशत हो गया है. हरियाणा (महिलाओं के लिए 19.4% से 12.5% और पुरुषों के लिए 23.9% से 16%); मध्य प्रदेश (महिलाओं के लिए 32.4% से 23.1%), और राजस्थान (35.5% से 25.5% महिलाओं के लिए, 35.7% से 28.2% पुरुषों के लिए) में भी कमी आई है.
NHFS-5 के अनुसार, जम्मू-कश्मीर, लक्षद्वीप, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, गोवा, नागालैंड, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में कम उम्र में शादियां सबसे कम दर्ज हुई हैं. यानी इन राज्यों में कानून के मुताबिक आयु होने के बाद ही लड़की और लड़के की शादियां होती हैं. सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक कम उम्र में गर्भधारण 7.9% से घटकर 6.8% हो गया है. NFHS-5 के अनुसार, जो महिलाएं कार्यरत हैं, उनमें आधुनिक गर्भनिरोधक का उपयोग करने की अधिक संभावना है. सर्वे डेटा के मुताबिक 66.3% कार्यरत महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधक पद्धति का उपयोग करती हैं, जबकि जो महिलाएं कार्यरत नहीं हैं उनमें 53.4% आधुनिक गर्भनिरोधक पद्धति का उपयोग करती हैं.
इस रिपोर्ट से जो निष्कर्ष निकलता है उसके मुताबिक उन समुदायों और क्षेत्रों में गर्भनिरोधक का उपयोग बढ़ा है, जिन्होंने अधिक सामाजिक आर्थिक प्रगति देखी है. सर्वेक्षण की रिपोर्ट बताती है कि भारत में गर्भनिरोधक विधियों का ज्ञान लगभग सार्वभौमिक है. 15 से 49 वर्ष की आयु के 99% से अधिक विवाहित महिलाएं और पुरुष कम से कम एक आधुनिक गर्भनिरोधक विधि जानते हैं. लेकिन परिवार नियोजन के लिए आधुनिक गर्भ निरोधकों का उपयोग केवल 56.4% है, जैसा कि NFHS-5 बताता है. इस सर्वे के आंकड़ों से पता चलता है कि घरेलू हिंसा 2015-16 में 31.2% के मुकाबले घटकर 2019-21 में 29.3% हो गई है.
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