दिल्ली-एनसीआर

कोविड-19 के कारण कुपोषण का खतरा बढ़ा, फूड सेफ्टी प्रोग्राम में अंडे को कानूनन अनिवार्य करने की सिफारिश

Renuka Sahu
4 July 2022 2:06 AM GMT
The risk of malnutrition increased due to Kovid-19, the recommendation to make eggs legally mandatory in the food safety program
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फाइल फोटो 

देश में कोविड 19 महामारी के कारण कुपोषण बढ़ने की आशंकाएं सामने आ रही हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।देश में कोविड 19 महामारी (Covid-19) के कारण कुपोषण बढ़ने की आशंकाएं सामने आ रही हैं. यहबात अंतर मंत्रालयी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताई है. उसने इसके साथ ही यह भी सिफारिश की है कि देश के स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को परोसे जाने वाले भोजन में अंडे (Egg), फलियां, नट्स समेत कैल्सियम, आयरन, जिंक, फोलेट और विटामिन ए जैसे तत्वों से युक्त व्यंजनों को कानूनी रूप से अनिवार्य किया जाए. कमेटी का मानना है कि इससे देश में बढ़ रहे कुपोषण (Undernutrition) के मामलों को कम करने में मदद मिलेगी.

फूड सेफ्टी प्रोग्राम में अंडे व अन्य प्रोटीन युक्त भोजन शामिल करने की सिफारिश करने वाली कमेटी में खाद्य मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय के अलावा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) व फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के भी वैज्ञानिक शामिल हैं. मौजूदा समय में अंडों को देश के 13 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में मिड डे मील के तहत परोसा जाता है.
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अंडे के खिलाफ भी हैं कई धार्मिक संगठन
इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अंडों के परोसे जाने के समय में हफ्ते में पांच दिन से लेकर महीने में पांच दिन तक का अंतर है. इसक खर्च राज्य सरकार उठाती हैं. हालांकि फूड सेफ्टी प्रोग्राम में अंडों को शामिल करने की खिलाफत कई धार्मिक समूह कर चुके हैं. इसके साथ ही कुछ मुख्यमंत्रियों ने भी इसकी खिलाफत की है, जिनमें मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हैं.
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प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने पर विचार
दरअसल समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में कुपोषण को दूर करने के लिए बच्चों को दिए जाने वाले दोपहर के भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है. अंतर मंत्रालयी कमेटी ने सुझाव दिया है कि कुपोषण जैसी समस्या से लड़ने के लिए जरूरी है कि बच्चों के भोजन में प्रोटीन शामिल किया जाए. कमेटी ने अपनी सिफारिश में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 का भी जिक्र किया है.
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