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मस्जिद मोठ गांव का नाम पुराने जमाने में विक्रमपुरी था, सिकंदर लोधी ने यहां मोठ मस्जिद बनवाई थी

Admin Delhi 1
25 Jun 2022 5:46 AM GMT
मस्जिद मोठ गांव का नाम पुराने जमाने में विक्रमपुरी था, सिकंदर लोधी ने यहां मोठ मस्जिद बनवाई थी
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दिल्ली न्यूज़: मस्जिद मोठ का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी में सिकंदर लोधी ने यहां मोठ मस्जिद बनवाई थी। जब से यह मस्जिद यहां बनी हुई है। हालांकि अब इसमें नमाज नहीं होती। यह पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। ग्राम वासियों का कहना है कि गांव का पुराना नाम विक्रमपुरी था। यहां पहले मोठ की खेती होती थी। इसलिए गांव का नाम मस्जिद मोठ पड़ गया।

20 हजार से ज्यादा है जनसंख्या: गांव की मस्जिद में अब ग्रामवासी तीज आदि का कार्यक्रम आयोजित कर लेतेे हैं। गांव में 100 साल पुराना एक राधा कृष्ण मंदिर है। इसके अलावा गांव में दुर्गा मंदिर, शनिमंदिर, चर्च, कृष्ण मंदिर समेत हिंदुओं के कई पूजा स्थल हैं। जिनपर वर्षों से पूजा अर्चना होती आयी है। मस्जिद मोठ में तकरीबन 600 घर हैं, जिसमें सबसे ज्यादा परिवार सैनियों के है। इसके बाद यहां पंडित, जाटव, गुप्ता, हरिजन, सिख आदि जातियां रहती हैं। एक किमी. से ज्यादा क्षेत्र में बसे इस गांव की जनसंख्या 20 हजार से ज्यादा हैं। यहां करीब 10 हजार मतदाता हैं।


इसी गांव से बने थे दिल्ली के पहले मेयर: आजादी के बाद दिल्ली के पहले मेयर पं. त्रिलोक चंद्र शर्मा बने थे जो मस्जिद मोठ गांव के निवासी थी। इसके बाद भी मस्जिद मोठ ने प्रतिभाओं ने निकलकर यहां का नाम रौशन किया है। मस्जिद मोठ के रहने वाले राम सिंह सैनी रेलवे में डायरेक्टर बने। यहां का बेटा ललित कुमार सैनी लेफ्टीनेंट कर्नल बना। ललित इस समय पुणे में तैनात हैं। इसके अलावा गांव से एक लडक़ा सेना में कैप्टन बना है। गांव में वकीलों व रियलस्टेट बिजनेसमैन की अच्छी तादात है।

मस्जिद मोठ नाम बदला जाए: मुझे कुछ दिन पहले ही पता चला कि गांव का नाम बदलने की बात चल रही है। मस्जिद मोठ नाम मुझे भी पसंद नहीं है। बदल जाए तो अच्छा है। बाकी जो भी नाम रखा जाएगा हमारी सहमति होगी।-प्रेमलता सैनी

अटल ग्राम रखा जाए नया नाम: मैं 40 साल से यहां रह रही हूं। इस गांव का नाम मस्जिद मोठ से बदलना चाहिए। जो नया नाम अटल ग्राम सुझाया गया है वह सही है। अटल ग्राम ही नया नाम हो। -मुन्नी देवी

जागरुकता की कमी से लोग कर रहे विरोध: नाम बदला जाना ठीक है, लेकिन गांव के कुछ लोग विरोध में है। उनका कहना है कि फिर उनके राशन कार्ड, वोटर कार्ड पर भी नया नाम चढ़वाना पड़ेगा। -मंदीप सैनी

गांव का नया नाम अभी तय नहीं: 120 साल से मेरा परिवार यहां रह रहा है। हम लोग नाम बदलने पर आपस में चर्चा कर रहे हैं। नया नाम क्या हो यह अभी तय नहीं किया गया है। गांव में इसके लिए पंचायत भी हो सकती है। -दिनेश गुप्ता

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