दिल्ली-एनसीआर

गाजीपुर, भलस्वा और ओखला में अब नहीं दिखेगा कूड़ो का पहाड़, उपराज्यपाल ने दिए निर्देश

Renuka Sahu
30 May 2022 2:16 AM GMT
The mountain of garbage will no longer be seen in Ghazipur, Bhalswa and Okhla, the Lieutenant Governor has given instructions
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फाइल फोटो 

उपराज्यपाल वी के सक्सेना अब तीनों लैंडफिल साइटों को पूरी तरह समाप्त होने तक निगम की कार्य योजना पर नियमित रूप से निगरानी रखेंगे।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उपराज्यपाल वी के सक्सेना अब तीनों लैंडफिल साइटों को पूरी तरह समाप्त होने तक निगम की कार्य योजना पर नियमित रूप से निगरानी रखेंगे। यदि आवश्यक होगी तो वह नियमित अंतराल पर वास्तविक प्रगति देखने के लिए साइटों का दौरा करेंगे। साप्ताहिक आधार पर इस काम की निगरानी के लिए एलजी सचिवालय में एक विशेष प्रकोष्ठ बनाया जाएगा।

एलजी ने रविवार को गाजीपुर लैंडफिल साइट का दौरा किया और दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों को अगले तीन दिनों के भीतर गाजीपुर, भलस्वा और ओखला स्थित तीनों कूड़े के पहाड़ों को पूरी तरह से हटाने की कार्य योजना प्रस्तुत करने के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किया। एलजी के साथ दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार, एमसीडी के विशेष अधिकारी अश्वनी कुमार और आयुक्त ज्ञानेश भारती मौजूद थे।
एलजी ने इन अधिकारियों को पिछले साल गांधी जयंती पर स्वच्छ भारत 2.0 के शुभारंभ के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्या आह्वान किया था, उसे याद कराया। उन्होंने कहा कि दिल्ली की पूरी सरकारी मशीनरी को इस तीनों कूड़े के पहाड़ को समाप्त करने में लगाने की जरूरत पड़े तो लगाया जाना चाहिए। इस काम को पूरा करने के लिए एक निश्चित तिथि तय की जानी चाहिए और कार्य योजना तैयार करने के लिए अधिकारियों की एक समर्पित टीम गठित होनी चाहिए। उन्होंने इसके लिए रिवर्स इंजीनियरिंग मॉडल को अपनाने का सुझाव दिया है।
भीषण गर्मी में दो घंटे चला लैंडफिल साइट पर निरीक्षण
एलजी ने भीषण गर्मी के बीच लैंडफिल साइट के ऊपरी हिस्से में पहुंचकर करीब दो घंटे तक यहां चल रही विभिन्न गतिविधियों का मुआयना किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि टीले पर कचरे के पुनर्चक्रण गतिविधियों से पर्याप्त धूल उड़ रही है। इसके कारण आसपास के क्षेत्रों में धुंध और प्रदूषण बढ़ रहा है। उन्होंने तत्काल अधिकारियों से धूल को रोकने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी का छिड़काव कराने का सुझाव दिया।
कचरे को उपयोग में लाने और धनार्जन का भी निर्देश
एलजी ने गाजीपुर लैंडफिल साइट पर अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पन्न करने वाले संयंत्र को जल्द से जल्द चालू करने का निर्देश दिया, ताकि साइट पर ताजा कचरा कम किया जा सके। एलजी ने अधिकारियों से कहा कि वह पता लगाएं कि एनएचएआई दूसरे राज्यों से सड़कों के निर्माण के लिए किस तरह का कचरा ले रहा है, इसके अलावा एनसीआर में बिल्डरों से संपर्क कर सीएंडडी कचरे को बेचने की संभावनाएं भी तलाशने के लिए कहा है। इससे निगम को राजस्व लाभ की संभावना है। उन्होंने इस काम को आगे बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों से राय लेने के लिए कहा है।
कूड़े के तीन पहाड़ों पर 270 लाख मीट्रिक टन कचरा
गाजीपुर लैंडफिल साइट करीब 70 एकड़ क्षेत्रफल में फैली है और यहां पर करीब 140 लाख मीट्रिक टन कचरा फैला है। पूर्वी दिल्ली क्षेत्र में रोजाना करीब 2,600 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न होता है। इसी तरह उत्तरी दिल्ली के भलस्वा लैंडफिल साइट पर 80 लाख मीट्रिक टन और दक्षिणी दिल्ली में ओखला लैंडफिल साइट पर करीब 50 लाख मीट्रिक टन कचरा फैला है। इन साइटों पर ठोस कचरा तीन श्रेणियों रिफ्यूज्ड व्युत्पन्न ईंधन (आरडीएफ), निर्माण और विध्वंस (सीएंडडी) और निष्क्रिय अपशिष्ट के रूप में आता है। आरडीएफ कचरे का उपयोग अपशिष्ट से बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जा रहा है। एनएचएआई द्वारा अपनी सड़कों के निर्माण के लिए थोड़ी मात्रा में निष्क्रिय अपशिष्ट लिया जा रहा है, जबकि संशोधित सीएंडडी कचरे का उपयोग निर्माण और गड्ढों को भरने के लिए किया जा रहा है।
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