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भूमाफिया ने किया नॉएडा में सबसे बड़ा घोटाला, प्राधिकरण को लगाया एक लाख करोड़ रुपए का चूना
एनसीआर नॉएडा क्राइम न्यूज़: ग्रेटर नोएडा में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है। जिसकी बदौलत ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को कम से कम एक लाख करोड़ रुपए का चूना लगाया गया है। मामला कुछ इस तरह है। अथॉरिटी द्वारा खरीदी गई जमीन पर कॉलोनोनाइजर और भू-माफियाओं ने कब्जा किया हुआ है। यह जमीन करीब एक लाख करोड़ रुपए की बताई जा रही है। इस जमीन पर अवैध कॉलोनी, गेस्ट हाउस, ओयो रूम्स, होटल और फ्लैट बनकर तैयार हुए हैं। सबसे ज्यादा जमीन पर कब्जा ग्रेटर नोएडा वेस्ट के गांवों में किया गया है। बड़ी बात यह है कि इस पूरे घोटाले के बारे में अथॉरिटी के अफसर जानकारी रखते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई करने से बच रहे हैं। कुल मिलाकर प्राधिकरण 'बेचारा' बन गया है।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के इन 23 गांवों में अथॉरिटी की जमीन: 'ट्राईसिटी टुडे' को पड़ताल करने पर मिली जानकारी के मुताबिक शाहबेरी, बिसरख, पतवाड़ी, जलपुरा, तुस्याना, चौगानपुर, सुथियाना, हबीबपुर, डेरीन, सैनी, सुनपुरा, वैदपुरा, जलपुरा और ऐमनाबाद आदि गांवों में प्राधिकरण की सबसे ज्यादा जमीन हैं। वहीं, ईस्ट में अमरपुर, कासना, सूरजपुर, देवला, आमका, धूम मानिकपुर, गुलिस्तापुर, सिरसा और खानपुर आदि गांवों में भी अथॉरिटी की जमीन हैं। कुल मिलाकर ग्रेटर नोएडा वेस्ट और ईस्ट के इन 23 गांवों में अथॉरिटी की जमीन पड़ी हुई है।
अमरपुर गांव में अथॉरिटी ने खरीदी 800 बीघा जमीन: बताया जाता है कि अमरपुर गांव में बिजली सयंत्र और किसानों के लिए कृषि फार्म हाउस स्कीम निकालने के लिए करीब 800 बीघा जमीन खरीदी गई थी। यह जमीन किसानों से ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने खरीदी थी। अब इस जमीन पर ना तो बिजली सयंत्र बना और ना ही किसानों के लिए कृषि फार्म हाउस स्कीम आई गई।
सत्ता की आड़ में हजम कर गए करोड़ों का माल: बताया जा रहा है कि अभी इस जमीन पर भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री समेत कई लोगों ने कब्जा कर लिया है। ये लोग इस जमीन पर हर साल लाखों रुपए की फसल उगाते हैं और सत्ता की आड़ में हजम कर जाते हैं। बिसरख गांव में भी प्राधिकरण ने कृषि फार्म हाउस की स्कीम निकाली थी। इसके लिए प्राधिकरण ने करोड़ों रुपए खर्च करके जमीन खरीदी थी, लेकिन यह स्कीम परवान नहीं चढ़ी। अब इस जमीन पर अवैध कॉलोनी और फार्म हाउस बनकर खड़े हो गए हैं।
प्राधिकरण के पास नहीं कोई चारा: जलपुरा में अथॉरिटी ने करीब 500 बीघा जमीन का अधिग्रहण किया था। इस जमीन पर भी अवैध कॉलोनी बस गई हैं। इसी तरीके से ग्रेटर नोएडा के अन्य गांवों में भी अवैध रूप से अवैध कॉलोनियां, फार्म हाउस और फ्लैट बनकर तैयार हो गए हैं। इस जमीन पर ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में जांच कर रही सीएजी की टीम ने आपत्ति जाहिर की थी। अधिकारियों से कई बार पत्र जारी करके प्राधिकरण से जमीन की डिटेल मांगी गई है, लेकिन प्राधिकरण अभी तक जमीन की जानकारी नहीं जुटा पाया है। जिसकी वजह से आज भी यह जमीन कागजों में तो प्राधिकरण के पास है, लेकिन मौके से गायब है।
सत्तारूढ़ दल में डेपुटेशन पर आए नेताजी घोटाले के संरक्षक: ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में हुए इस अरबों रुपए के भूमि घोटाले में सत्ता पक्ष से ताल्लुक रखने वाले बड़े नेताजी शामिल हैं। पूर्व मंत्री जो आजकल डेपुटेशन पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में काम कर रहे हैं, उन्होंने बड़े रकबे पर अवैध कब्जा किया हुआ है। भारतीय जनता पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं का यहां तक कहना है, "यह नेताजी सत्ता पक्ष के साथ रहकर अपनी अवैध संपत्तियों को बचा रहे हैं। इनका भारतीय जनता पार्टी या किसी दूसरे राजनीतिक दल की विचारधारा से कोई सरोकार नहीं है। पिछले दो-ढाई दशक के दौरान राज्य में जिस पार्टी की सरकार रही, यह नेताजी उसी पार्टी में पूर्व मंत्री बने रहे हैं।" इन पूर्व मंत्री ने कासना के आसपास भी बड़े पैमाने पर सरकारी जमीनों पर कब्जे किए हैं। एलएमसी, यूपीएसआईडीए और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की जमीनों पर बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी कर रखी हैं।
जमीन पर भूमाफिया के कब्जे से सीएजी और सरकार परेशान: दूसरी तरफ महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में इस घोटाले को उजागर किया गया है। सीएजी ने सरकार से सिफारिश की है कि प्राधिकरण की जमीन से कब्जा हटाया जाए। जमीन को वापस हासिल किया जाए। शासन भी लगातार चिंता जाहिर कर रहा है, लेकिन अथॉरिटी में इस बहुमूल्य संपत्ति को वापस हासिल करने की सुगबुगाहट तक नहीं है। इतना ही नहीं यह जमीन खरीदने के लिए अथॉरिटी ने भारी-भरकम कर्ज लिए थे। आज की तारीख में प्राधिकरण करीब 6,500 करोड़ रुपए के कर्ज में दबा हुआ है। अगर भूमाफिया के चंगुल से जमीन को वापस निकाल लिया जाए तो ना केवल अथॉरिटी कर्ज मुक्त हो जाएगी बल्कि बड़ी आर्थिक ताकत मिलेगी। इस जमीन की मौजूदा बाजारू कीमत करीब एक लाख करोड़ रुपए आंकी जा रही है।