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पेड़ों की सुरक्षा के अनिवार्यता को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

Renuka Sahu
7 April 2022 3:03 AM GMT
पेड़ों की सुरक्षा के अनिवार्यता को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
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फाइल फोटो 

उच्च न्यायालय ने पीडब्ल्यूडी के दो वरिष्ठ अधिकारियों को दक्षिण दिल्ली के चितरंजन पार्क में पेड़ों की कटाई के मामले में आदेश का उल्लंघन करने के लिए अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उच्च न्यायालय ने पीडब्ल्यूडी के दो वरिष्ठ अधिकारियों को दक्षिण दिल्ली के चितरंजन पार्क में पेड़ों की कटाई के मामले में आदेश का उल्लंघन करने के लिए अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया है। अदालत ने कहा कि पेड़ों की सुरक्षा की अनिवार्यता को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पिछले चार-पांच वर्ष में शहर में वायु प्रदूषण का सबसे खराब दौर देखा गया है।

न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने अपने 61 पन्नों के आदेश में कहा कि दिखाई गई तस्वीरों में अदालत के निर्देशों का घोर उल्लंघन स्पष्ट है। अदालत ने दक्षिणी दिल्ली दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) और लोक निर्माण विभाग पर क्रमश: 40 हजार और एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने कहा निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि एसडीएमसी द्वारा किए गए कार्य के दौरान 13 पेड़ क्षतिग्रस्त हो गए थे और 10 पेड़ पीडब्ल्यूडी द्वारा क्षतिग्रस्त किए गए।
सजा आज सुनाई जाएगी
अदालत ने अवमानना के अपराध में दोषी ठहराए गए अधिकारियों को सजा बृहस्पतिवार को सुनाया जाएगा। अदालत के कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं देने के बाद मुख्य अभियंता और कार्यकारी अभियंता दोनों को अदालत ने दोषी ठहराया। अदालत ने पाया कि 25 फरवरी को अदालत द्वारा यथा स्थिति के आदेश पारित करने के बावजूद साइट पर निर्माण कार्य, केबल, पाइप बिछाने का काम जारी रहा। आदेशों की परवाह किए बिना और स्वस्थ पेड़ों की किसी भी देखभाल या चिंता पूरी तरह से अवहेलना है। अदालत को बताया गया कि पेड़ संभवत: दो दशकों से जमीन में जड़े हुए थे। अदालत ने स्पष्ट किया कि पेड़ों की सुरक्षा की अनिवार्यता को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि शहर ने पिछले चार-पांच वर्षों में वायु प्रदूषण की सबसे खराब अवधि देखी है।
हाईकोर्ट व एनजीटी के आदेशों की अवज्ञा का आरोप
अदालत ने यह आदेश अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद और धृति छाबड़ा के माध्यम से नई दिल्ली नेचर सोसाइटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका में उच्च न्यायालय और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के पिछले आदेशों की जानबूझकर अवज्ञा करने के लिए अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने की मांग की गई थी। याची ने अदालत को सुनवाई के दौरान बताया कि एक एजेंसी द्वारा सड़क के एक हिस्से को खोदा जाता है और उस एजेंसी द्वारा आमतौर पर काम पूरा करने से पहले ही दूसरी एजेंसी आती है और उसी सड़क को फिर से खोदती है। यह सिलसिला साल भर चलता रहता है, चाहे वह इंटरनेट केबल, बिजली लाइन, पानी के पाइप, टेलीफोन केबल आदि बिछाने का काम हो।
पेड़ प्रभावित हो तो पहले लें मंजूरी : अदालत ने कहा कि अगर किसी भी मौजूदा पेड़ से दो मीटर की दूरी के भीतर काम किए जाने की संभावना है तो किसी भी नागरिक कार्य को शुरू करने से पहले पेड़ अधिकारी की अनुमति पहले ली जाए। अदालत ने मुख्य सचिव को इस संबंध में एक आदेश पारित कर सभी केंद्र सरकार की एजेंसियों, नगर निगमों के आयुक्तों और दिल्ली छावनी बोर्ड के सीईओ को एक प्रति भेजने का निर्देश दिया है।
डीसीपी को निगरानी का निर्देश
अदालत ने कहा कि पुलिस ने माना कि उसने पहले ही निर्माण कार्य कर रही एजेंसियों को चेतावनी दी थी लेकिन उन्होंने फिर भी काम जारी रखा। अदालत ने संबधित पुलिस उपायुक्त को व्यक्तिगत रूप से जांच की निगरानी करने और एक स्थिति रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं अदालत ने उन्हें मामले में अन्य दोषियों का पता लगा कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा जब कभी वृक्ष अधिकारी या वन रक्षक द्वारा पुलिस सहायता के लिए अनुरोध किया जाता है तो संबंधित थाना प्रभारी कम से कम दो पुलिस अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करेंगे।
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