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दिल्ली पुलिस की छवि को जीरो टालरेंस की नीति से सुधारा जायेगा, जानियो पूरी खबर
दिल्ली स्पेशल न्यूज़: पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने पदभार संभालते ही भ्रष्टाचार पर सख्त टिप्पणी की और अपराध पर जीरो टॉलरेंस की नीति को टॉप पर रखा। यही नहीं अपने कार्यकाल में पुलिस की छवि को सुधारने और उनको सहूलियत देने में भी कमिश्नर ने अनेक बदलाव किए। वर्क का प्रेशर न बढ़े नतीजतन उन्होंने तीन शिफ्टों में भी काम कराना शुरू कर दिया साथ ही ऐसे नेक्सस को भी तोड़ा जिसके तहत केवल कुछ ही इंस्पेक्टर थानों की कमान संभालते थे और ऐसे में करीब 200 से अधिक इंस्पेक्टरों की तैनाती कर नए लोगों का काम करने का मौका भी दिया। लगा था कि जल्द ही ऐसे बदलाव के बाद दिल्ली पुलिस में बदलाव होगा और पुलिसकर्मियों को अच्छा माहौल मिलेगा साथ ही भ्रष्टाचार कम होगा, लेकिन मौजूदा हालातों ने दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े किए है। लगातार विवादों में पुलिस अधिकारी सहित पुलिसकर्मी आ रहे हैं। आखिर क्यों, क्या हैं बड़े कारण और कहां कमी रह गई पुलिस आयुक्त की प्रशासनिक व्यवस्थाओं में, जिसके कारण ऐसा हो रहा है। इसी पर नवोदय टाइम्स के लिए संजीव यादव की विशेष रिपोर्ट।
दिल्ली पुलिस आयुक्त ने संसाधनों का खोला पिटारा: पुलिस आयुक्त को पदभार संभाले एक साल होने को है, इस एक साल के दौरान पुलिस आयुक्त ने जहां टेक्नोलॉजी में बदलाव किया, वहीं पुलिसिंग में इतने बदलाव किए जितने शायद दशकों में भी नहीं हुए। अपने कार्यकाल के दौरान पुलिस आयुक्त ने पहली बार अच्छी पुलिसिंग और बेहतर प्रबंधन के लिए सेंट्रल से सबसे ज्यादा फंड लिया। जिसके तहत दिल्ली पुलिस को गत वर्षों की अपेक्षा 1701.03 करोड़ की ज्यादा धनराशि आवंटित की गई है, जोकि दिल्ली पुलिस को अब तक पिछले कई बजट में हासिल धनराशि से कहीं ज्यादा है।
कमिश्नर की पॉलिसी के तहत 287 करोड़ राजधानी की सुरक्षा संबंधी इंतजामों पर जिसमें अत्याधुनिक साजो-सामान की खरीद, दिल्ली पुलिस के आधुनिकीकरण, दिल्ली पुलिस की संचार व्यवस्था को मजबूत करने, साइबर हाइवे और डिजीटल ट्रंकिंग रेडियो सिस्टम को मजबूत करने, राज्य की राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर अत्याधुनिक बनाने पर खर्च का प्रावधान रखा।
हर वीक पुलिसकर्मियों से मिलने की कोशिश: पुलिस आयुक्त ने पुलिसकर्मी और अधिकारियों के बीच गैप कम करने के लिए खुद पहल की। जिसके तहत वे कांस्टेबल से लेकर हर उस पुलिसकर्मी से मिले जिसे किसी तरह की शिकायत या फिर विभाग से दिक्कतें थी। इसके पीछे केवल मंशा थी जहां पुलिसकर्मी एक अच्छे माहौल में काम करें वहीं अच्छी पुलिसिंग भी शहर को दिखे।
पुलिसकर्मियों के काम को तीन शिफ्टों में किया विभाजित: पहली बार दिल्ली पुलिस में एक बड़ा बदलाव करते हुए थानों को तीन शिफ्टों को रखा गया। जिसके तहत एक एसएचओ सहित दो इंस्पेक्टर अलग से रखे गए। इसके पीछे मंशा है कि काम तेजी से होगा साथ ही कोई पीड़ित अब निराश नहीं होगा। वर्क लोड भी कम होगा तो काम भी अच्छा होगा।
पहली बार महिला अधिकारियों को तवज्जो: पुलिस आयुक्त ने महिला सशक्तीकरण नीति के तहत राजधानी में महिला डीसीपी अधिकारियों की नियुक्ति की, साथ ही ज्वाइंट सीपी रेंज समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर महिला अधिकारियों को लगाया, मंशा है कि महिला अधिकारियों की नियुक्ति से महिला सुरक्षा में बड़ा बदलाव होगा साथ ही कई नए कार्य भी देखने को मिलेगें क्योंकि गत वर्षों में अक्सर दिल्ली पुलिस महिला सुरक्षा को लेकर ही निशाने पर रहती थी।
भ्रष्टाचार में ऐसे घिरती दिखी दिल्ली पुलिस: जुए और सट्टे पर लगातार संरक्षण: भ्रष्टाचार पर जीरों टॉलरेंस की नीति के बाद भी राजधानी दिल्ली में सट्टा, जुए का अवैध कारोबार पूरी तरह से संचालित है। यही नहीं, हाल में अवैध कब्जे करवाने की शिकायतें भी पाई जिसमें देखा गया कि पुलिस की संरक्षण में ये करवाया गया। जिसके बाद से दिल्ली पुलिस लगातार आम पब्लिक के निशाने पर रही। बदमाशों से पुलिस की सांठगांठ: दिल्ली पुलिस पर माफियाओं को गैंगस्टरों को संरक्षण देने का भी गंभीर आरोप है। इस संबंध में कई शिकायतें मुख्यालय तक पहुंची, जिसमें पाया गया कि स्थानीय बदमाशों और गैंगस्टरों को दिल्ली पुलिस के कुछ कर्मी संरक्षण देते हैं,जिसके चलते उनका धंधा फलता फूलता है।
भ्रष्टाचार में लगातार गिरफ्तार हुए पुलिसकर्मी: पुलिस दावों के मुताबिक, सीबीआई ने तीन माह के दौरान 7 पुलिसकर्मियों को रिश्वत लेते रंगेहाथों गिरफ्तार किया। इनमें 2 सब इंस्पेक्टर और 1 इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी भी थे। यही नहीं दिल्ली पुलिस ने आंतरिक जांच में पाया कि कई पुलिसकर्मी लगातार रिश्वत ले रहे हंै,जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया या हटाया गया। महज 50 हजार की रिश्वत में जांच बदली, हुए गिरफ्तार: सीबीआई ने मालवीय नगर पुलिस स्टेशन में तैनात एक सब-इंस्पेक्टर और एक असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर को गिरफ्तार किया था। दोनों को एक अन्य अधिकारी, एसआई मनोज से 50,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए कथित तौर पर पकड़ा गया था। एसआई मनोज पहले दक्षिण जिले में तैनात थे। 3 अगस्त को एक महिला कांस्टेबल ने उसके खिलाफ रेप का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।