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उत्तर प्रदेश के कई जिलों में धूमधाम से मनाया गया भाई दूज का त्यौहार

Admin Delhi 1
26 Oct 2022 9:44 AM GMT
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में धूमधाम से मनाया गया भाई दूज का त्यौहार
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लखनऊ न्यूज़: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आज 26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा धूमधाम से मनाया गया। गोवर्धन पूजा के अवसर पर बहनों ने भाई की रक्षा और लंबी आयु के लिए व्रत रखा और साथ ही गोवर्धन भगवान की पूजा की। इस दिन मुख्य रूप से भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। यह त्यौहार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। अलग-अलग जगहों पर इसे अलग–अलग नाम से जाना जाता है। कई जगह इस त्योहार को गोवर्धन पूजा, भाईदूज और अन्नकूट भी कहते हैं।

क्यों मनाया जाता है यह त्योहार: उत्तर प्रदेश में 26 अक्टूबर को मनाए जा रहे इस त्यौहार में सुबह उठकर बहनें अपने भाई के नाम पर व्रत रखती हैं और गोवर्धन भगवान की पूजा करती हैं। शाम में अपने भाइयों को गोवर्धन भगवान को चढ़ाई गई बजरी खिलाकर अपना व्रत तोड़ती हैं और उनके लंबी आयु की कामना करती हैं। गोवर्धन पूजा में गौ धन यानी गायों की पूजा की जाती है। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने आज के दिन गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को भगवान इंद्र के गुस्से से बचाया था। उस समय से ही भगवान कृष्ण के भक्त उन्हें गेंहू, चावल और बेसन से बनी सब्जी और पत्तेदार सब्जियां चढ़ाते हैं।

क्यों कहा जाता है अन्नकूट: गोवर्धन पूजा के त्यौहार पर सभी श्रद्धालु कई तरह के पकवान बनाकर भगवान कृष्ण को भोग लगाते हैं। आज के दिन 56 प्रकार के व्यंजन भगवान कृष्ण को चढ़ाया जाता है। इन 56 तरह के पकवानों को अन्नकूट कहा जाता है। आज के दिन मंदिरों में भी अन्नकूट का आयोजन किया जाता है। कई जगहों पर भगवान गोवर्धन की गोबर से मूर्ति बनाकर उन्हें लाठी से कूटने की भी परंपरा है। आज के दिन भाई दूज का भी त्योहार मनाया जाता है। भाई दूज के दिन बहन अपने भाई के लिए व्रत रखती है और भाई उन्हें उपहार देकर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। भारत में भाई दूज को 'भैया दूज', 'भाऊबीज', 'भत्रा द्वितीय', 'भाई द्वितीय', 'भथरु द्वितीय', 'भाई फोटा' आदि के नाम से जाना जाता है।

भाईदूज की पौराणिक मान्यताएं: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान सूर्यनारायण की पत्नी छाया की कोख में यमराज और यमुना थे। जन्म के बाद यमुना यमराज से बहुत स्नेह करती थीं। वह उनसे बार-बार निवेदन करती थी कि वह अपने मित्रों के साथ उनके घर आकर भोजन करें, लेकिन यमराज उनकी बात को टालते थे कार्तिक शुक्ल के दिन यमुना ने यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण दिया और उन्हें अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया। यमराज ने यमुना को वर मांगने के लिए कहा, तो यमुना ने कहा की जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार के साथ भोजन कराएगी उसे यमराज का भय नहीं होगा। यमराज ने इस बात पर तथास्तु कहा। यमुना को अमूल्य वस्त्र आभूषण देकर यमलोक की तरफ निकल गए। तभी से इसे भाई दूज के रूप में जाना जाता है।

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