दिल्ली-एनसीआर

दिल्ली विश्वविद्यालय में समायोजन की मांग हुई तेज, दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने धरना दे दिखाया दम

Admin Delhi 1
25 Jun 2022 5:41 AM GMT
दिल्ली विश्वविद्यालय में समायोजन की मांग हुई तेज,  दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने धरना दे दिखाया दम
x

दिल्ली न्यूज़: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों के समायोजन की मांग को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के बैनर तले विवि के गेट नंबर एक पर धरना दिया। दिल्ली विश्वविद्यालय और सम्बद्ध कॉलेजों में लगभग साढ़े चार हजार से अधिक तदर्थ/अस्थाई शिक्षक विभिन्न पूर्णकालिक, अनुमोदित और स्वीकृत पदों पर असुरक्षित नौकरी और सामाजिक असुरक्षा के बीच कार्य कर रहे हैं।

समायोजन के मामले में हस्तक्षेप की मांग: डूटा अध्यक्ष डॉ. ए. के. भागी और डूटा कार्यकारिणी सदस्य व वरिष्ठ शिक्षक प्रतिनिधियों के नेतृत्व में आयोजित धरने में बड़ी संख्या में शिक्षकों ने भागीदारी की। धरने में शिक्षकों को संबोधित करते हुए डा.एके भागी ने समायोजन की मांग को जाएज बताते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से समायोजन के मामले में हस्तक्षेप की मांग की। डूटा सचिव डॉ सुरेंद्र सिंह ने कहा की सरकार को संज्ञान लेकर यूजीसी और शिक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर एकबारगी समायोजन की रूपरेखा तैयार कर अध्यादेश/बिल लाना चाहिए।डूटा ने समायोजन की मांग पर जोर देते हुए कहा कि समायोजन समानता,शिक्षक गरिमा,लैंगिक समानता और डीयू में शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने में सहायक होगा।

5 दिसंबर 2019 के रिकॉर्ड ऑफ डिस्कशन को लागू करें: धरने पर डूटा ने मांग की कि डीयू और यूजीसी पांच दिसंबर ,2019 के रिकॉर्ड ऑफ़ डिस्कशन को लागू करे। डीयूअ ौर सम्बद्ध कॉलेजों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के आरक्षण (ईडब्ल्यूएस) के लागू होने पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त पदों की स्वीकृति मिलनी चाहिए। आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी के आरक्षण को पूर्व प्रभावी रूप से लागू न किया जाए। धरने को कई डूटा एग्जीक्यूटिव, शिक्षक नेताओं सहित वरिष्ठ शिक्षकों ने सम्बोधित किया। पूर्व डूटा अध्यक्ष डॉ.अदित्य नारायण मिश्रा एवं डॉ.राजीब रे ने इस समस्या के समाधान के लिए डूटा द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में सभी शिक्षकों से भागीदारी की अपील की। विद्वत परिषद सदस्य सुनील कुमार ने कहा कि समायोजन के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए जाने की आवश्यकता है। कई तदर्थ शिक्षकों ने भी धरने को सम्बोधित करते हुए अपने अनुभव और भावनाएं साझा की ताकि उनकी आवाज सम्बन्धित अधिकारियों तक पहुंचे और उनकी लंबित मांगों का समाधान हो सके।

Next Story