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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पांच नए जजों की नियुक्ति की
Rani Sahu
4 Feb 2023 4:34 PM GMT
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दिल्ली : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पांच नए जजों की नियुक्ति की है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पिछले महीने ही इन नामों की सिफारिश की थी. जिन पांच नामों को मंजूरी मिली है, उनमें राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मिथल, पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल, मणिपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पीवी संजय कुमार, पटना हाई कोर्ट के जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस मनोज मिश्रा का नाम शामिल है.
इसके साथ सुप्रीम कोर्ट में अब 32 जज हो गए हैं. जबकि यहां 34 जजों के पद स्वीकृत हैं. एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति को स्वीकृति ना मिलने पर नाराजगी जताई थी. कोर्ट ने कहा था कि हमें सख्त फैसले लेने को मजबूर ना करें. इस बीच, यूपी के प्रयागराज में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि मैंने आज एक मीडिया रिपोर्ट देखी, जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी है. भारतीय संविधान हमारा मार्गदर्शक है. कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता.
क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने…
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति में देरी किए जाने का मामले तूल पकड़ गया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पांच दिन का अल्टीमेटम दिया था. जबकि सरकार की तरफ से कहा गया थ कि नियुक्ति के संबंध में रविवार तक निर्णय कर लेंगे. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की बेंच 13 फरवरी को सुनवाई करेगी. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में खाली पदों की भर्ती पर रविवार तक फैसला हो जाएगा.
जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि हम उसके लिए आपको पांच दिन मोहलत देते हैं. एजी ने कहा कि हम कह तो रहे हैं कि कॉलेजियम की सिफारिशों पर निर्णय कर रहे हैं. जस्टिस कौल ने कहा कि हम कर रहे हैं और हम करेंगे. दोनों में फर्क होता है. कोर्ट में सुनवाई की शुरुआत में अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से 13 प्रस्ताव हमारे पास आए हैं.
जस्टिस कौल ने कहा कि हमारे पास जो था, वो हमने आपको भेज दिया है. अब हमारे पाए कुछ भी पेंडिंग नहीं है. आपका रवैया हमारे लिए परेशान करने वाला है. हाईकोर्ट में जजों के तबादले की हमारी सिफारिशों पर अब तक कोई अमल नहीं हुआ. जब हमें लगता है कि किसी जज को किसी वजह से A कोर्ट या B कोर्ट में होना चाहिए तभी हम सिफारिश करते हैं. लेकिन आप उसे भी लटकाए रखते हैं. ये गंभीर मुद्दा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हमें मजबूर करेंगे कि हम कोई गंभीर फैसला लें. हम किसी तीसरे को इस मामले में खेला नहीं करने देंगे. हमें गंभीर फैसले लेने को विवश न करें. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सरकार से साफ कहा है कि पिछली सिफारिशों में वर्णित नाम वरिष्ठता क्रम के मुताबिक रहने चाहिए. जिनकी सुफरिशें पहले गई हैं वो वरिष्ठ होंगे, जिनकी बाद में गई हैं, वो कनिष्ठ होंगे. यानी सरकार हाल की सिफारिशों को पिछली के साथ मिलाकर एक साथ ना कर दे. उसका सीधा असर भावी चीफ जस्टिस की कुर्सी पर बैठने वाले पर होता है.
{जनता से रिश्ता इस खबर की पुष्टि नहीं करता है ये खबर जनसरोकार के माध्यम से मिली है और ये खबर सोशल मीडिया में वायरलहो रही थी जिसके चलते इस खबर को प्रकाशित की जा रही है। इस पर जनता से रिश्ता खबर की सच्चाई को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं करता है।}
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Rani Sahu
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