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कविनगर में युवती के साथ हुई गैंगरेप का मामला रूह कपा देगा, जानिए पूरी खबर
दिल्ली क्राइम न्यूज़ अपडेट: कविनगर थानाक्षेत्र में बीती 31 मार्च को 22 वर्षीय युवती के साथ रूह कंपा देने वाली दरिंदगी की गई। तीन दरिंदों ने युवती को ऑटो में अगवा कर उसके साथ न सिर्फ गैंगरेप किया बल्कि उसके जिस्म को भी नौंच.नौंच कर खाया और जलती सिगरेट से दागा। पीडि़ता को दो दिन तक बंधक बनाकर ऐसी हैवानियत की गई कि डाक्टरों को ऑपरेशन के जरिए उसके मल-मूत्र का रास्ता एक करना पड़ा। जिस तरीके से पीडि़त परिवार ने दावा किया है उससे यह घटना दिल्ली में हुए निर्भया कांड से किसी मायने में कमतर दिखाई नहीं देती। गनीमत सिर्फ इतनी है कि ढाई माह से बिस्तर पर पड़ी पीडि़ता आज भी जिंदगी मौत के बीच जूझ रही है।
पीडि़त परिवार का कहना है कि उनकी बेटी रात में नींद के दौरान वहशी दरिंदों द्वारा ढाए गए जुल्मों को याद कर चीख उठती है। एक ओर जहां वहशी दरिंदों ने युवती के साथ हैवानियत का नंगा खेल खेला। वहीं, कविनगर पुलिस ने भी पीडि़त परिवार पर दबाव बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। पहले तो कविनगर पुलिस ने पूरे मामले में कोई कार्रवाई नहीं की और फिर घटना को दबाने के लिए पीडि़त परिवार पर मुंह बंद रखने का दबाव बनाया। पुलिस ने पीडि़त परिवार पर इस कदर दबाव बनाया कि उसे शहर से पलायन करने को मजबूर होना पड़ा। बेशक पुलिस तीनों दरिंदों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है और पुलिस कप्तान द्वारा कविनगर थाने के लापरवाह एसएचओ और दो दरोगाओं को सस्पेंड किया जा चुका है, लेकिन यह घटना आज भी चर्चा का विषय बनी हुई है। शहर से पलायन कर चुके पीडि़त परिवार ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इसके अलावा वह चाहते हैं कि उनकी बेटी की जिंदगी बर्बाद करने वाले दरिंदों को फांसी की सजा दी जाए।
साहब: बेटे की जिंदगी बर्बाद करने की धमकी देते थे पुलिसकर्मी: गैंगरेप पीडि़ता की मां का कहना है कि जहां तीन दरिंदों ने उनकी बेटी की जिंदगी बर्बाद की। वहीं, मुंह खोलने पर पुलिस वाले उनके बेटे की जिंदगी बर्बाद करने की धमकी देते थे। वह उनके बेटे को जेल भेजने की धमकी देकर परिजनों में दहशत फैलाते थे। पुलिस वालों ने कई बार उन्हें लालच देकर भी शांत कराने की कोशिश की। आरोप है कि कविनगर पुलिस ने पीडि़ता की मां और भाई को धोखाधड़ी के एक मामले में तीन दिन तक अवैध हिरासत में रखा। पीडि़ता उन्हें छुड़ाने आई तो पुलिस वालों ने उसे देर रात साढ़े 11 बजे आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज लाने के लिए घर भेज दिया। घर से थाने लौटने के दौरान वह ऑटो गैंग का शिकार हो गई। पीडि़त परिवार अपनी बेटी के साथ हुई घटना में पुलिस वालों को पूरी तरह से दोषी बता रहा है।
बेटों व बेटी की परवरिश के लिए आए, कलंक लेकर लौटना पड़ा: पीडि़ता की मां का कहना है कि वह मूलरूप से मेरठ की रहने वाली हैं। उनके पति का देहांत हो चुका है। बेटों व बेटी की परवरिश के लिए वह गाजियाबाद आकर लालकुआं इलाके में किराए के मकान में रहने लगीं। लेकिन, यहां आकर उनके परिवार पर ऐसा कलंक लगेगा यह सपने में भी नहीं सोचा था। दरिंदों ने उनकी बेटी और हमारे परिवार को कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा। पीडि़त मां का कहना है कि पुलिसकर्मियों ने उच्चाधिकारियों से शिकायत न करने की एवज में उनके बेटे को 15 दिन में दरोगा बनाने का भी लालच दिया था। पुलिसकर्मी ने उनके बेटे को महंगे स्पॉटर््स जूते पहनाने को भी कहा था, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया।
दरिंदगी के बाद पीडि़ता को बेचना चाहते थे आरोपी: पीडि़ता की मां का दावा है कि दरिंदगी के बाद आरोपी दरिंदे उनकी बेटी को बेचने चाहते थे। इसके लिए उन्होंने दो खरीददार भी तलाश लिए थे। लेकिन जब खरीददारों ने पीडि़ता की हालत देखी तो वह भी पीछे हट गए। उन्होंने दरिंदों से कहा कि पीडि़ता में अब बचा ही क्या है? इससे बेहतर हो कि वह उसे मार दें। इससे पूर्व कि आरोपी अपने अगले मंसूबे में कामयाब हो पाते पुलिस ने उन्हें दबोच लिया।
हापुड़ पुलिस की जांच में दोषी पाए जाने पर हुई कार्रवाई: पीडि़त परिवार ने जिले के अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई थी। सुनवाई न होने पर पीडि़त परिवार मेरठ जोन के एडीजी के दरबार में पहुंचा था। एडीजी ने पूरे मामले की जांच हापुड़ पुलिस से कराई। हापुड़ के एएसपी सर्वेश मिश्रा की जांच में कविनगर पुलिस की घोर लापरवाही सामने आई। उन्होंने कविनगर थाने के एसएचओ आनंद प्रकाश मिश्र, दरोगा इच्छाराम और गुडवीर को दोषी माना। जिसके बाद पुलिस कप्तान मुनिराज जी ने तीनों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया।