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सुप्रीम कोर्ट ने पलटा छावला रेप-मर्डर केस में मौत की सजा का फैसला, तीनों दोषियों की रिहाई के आदेश
नई दिल्ली न्यूज़: दिल्ली के छावला सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। वर्ष 2012 में हुए इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीनों दोषियों की मौत की सजा का फैसला पलट दिया। साथ ही अदालत ने इनकी रिहाई का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस यू यू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोमवार को इस मामले में फैसला सुनाते हुए तीनों दोषियों रवि कुमार, राहुल और विनोद को बरी कर दिया है। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। तीनों दोषियों राहुल, रवि और विनोद को निचली अदालत ने 2014 में मौत की सजा सुनाई थी, जिस पर दिल्ली हाई कोर्ट भी अपनी मुहर लगा चुका था, सुप्रीम कोर्ट ने अदालत के उस फैसले को आज पलटा है। यह फैसला जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने सुनाया है। सामूहिक दुष्कर्म का यह मामला करीब 10 साल पुराना है। 9 फरवरी 2012 को 17 साल की नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात हुई थी। दरअसल, नाबालिग लड़की दो सहेलियों के साथ रात करीब पौने नौ बजे छावला स्थित हनुमान चौक से घर की तरफ जा रही थी। तभी रास्ते में एक लाल रंग की इंडिका कार आई जिससे दो युवक बाहर निकले और उन्होंने लड़की को जबरन कार में खींच लिया। पहचान छिपाने के लिए युवकों ने अपने मुंह को कपड़े से ढका हुआ था।
क्या था मामला ?
दिल्ली की निर्भया को देर से ही सही न्याय मिल चुका है। उन चारों दरिंदों को मिली फांसी के बाद उस मां को भी इंसाफ मिल गया जो उस दर्दनाक घटना के बाद से न्याय का इंतजार कर ही थी। लेकिन क्या आपको पता है कि साल 2012 में दिल्ली में ही एक और लड़की के साथ निर्भया जैसी ही घटना हुई थी। 19 साल की उस लड़की के साथ वहशी दरिंदों ने वहशीपन की सारी हदें पार कर उसकी हत्या कर दी थी। इसी मामले में दोषियों के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना दिया है। दिल्ली की निचली अदालत और हाईकोर्ट ने दोषियों के लिए मौत का फैसला सुनाया है। निर्भया की ही तरह इस मासूम का नाम भी बदलकर अनामिका रखा गया था। वह मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली थी। दिल्ली में वह छावला के कुतुब विहार में रहती थी। 9 फरवरी 2012, आम दिन की तरह अनामिका अपने काम से खाली होकर घर की ओर जा रही थी। तभी रास्ते में राहुल, रवि और विनोद नाम के तीनों आरोपियों ने लड़की को अगवा कर लिया। इसके बाद उन हैवानों ने उस लड़की के साथ जो किया वह किसी की कलेजा चीर देगी। बेटी के न मिलने पर परिवार वालों ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज की और तलाशी शुरू की गई। काफी खोजबीन के बाद पुलिस को लड़की की लाश हरियाणा के रेवाड़ी में बहुत बुरी हालत में पाई गई। बाद में जांच में पता चला कि उसे काफी यातनाएं दी गई थीं।
जांच में पता चला कि लड़की के साथ गैंगरेप करने के अलावा आरोपियों ने उसके शरीर को सिगरेट और गर्म लोहे से दागा था। लड़की के चेहरे और आंखों पर तेजाब डाला गया था। उसे कार में मौजूद औजारों से बुरी तरह पीटा गया था। अनामिका के गैंगरेप का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अब तक की अपडेट के अनुसार, जस्टिस यूयू ललित और एश रवींद्र भट्ट और बेला एम त्रिवेदी ने इस मामले पर 6 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा था। दिल्ली सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने फांसी की सजा की पुष्टि की मांग की थी। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा था कि इन वहशी दरिंदों की वजह से परिवारों को अपनी लड़कियों को बाहर भेजने से डर लगता है। इस दौरान दोषियों के सुधार आने की संभावना पर विचार करने का भी अनुरोध किया गया था। कोर्ट को यह दलील दी गई कि दोषियों में से एक जिसका नाम विनोद है वह बौद्धिक अक्षमता से पीड़ित है। उसके सोचने विचारने की शक्ति ठीक नहीं है। दोषियों की तरफ से पेश वकील ने इनके खिलाफ सहानुभूति भरा रवैया अपनाने का आग्रह किया था।