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स्कूली बच्चे की पिटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, यह कैसी शिक्षा दी जा रही

SANTOSI TANDI
25 Sep 2023 12:09 PM GMT
स्कूली बच्चे की पिटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, यह कैसी शिक्षा दी जा रही
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यह कैसी शिक्षा दी जा रही
नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरनगर में एक शिक्षक द्वारा छात्रों से सहपाठी को थप्पड़ लगवाने वाले मामले पर कहा कि अगर आरोप सही है तो इससे राज्य की अंतरात्मा को झटका लगना चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आज आदेश दिया कि मामले की जांच की निगरानी के लिए एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को नियुक्त किया जाए। अदालत ने इसे गंभीर और चिंताजनक बताते हुए कहा कि यह जीवन के अधिकार का मामला है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी बच्चे को उसके धर्म के कारण पीटने का आदेश दिया गया? कैसी शिक्षा दी जा रही है? जिस तरह से एफआईआर दर्ज की गई, उस पर हमें गंभीर आपत्ति है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिता ने बयान में आरोप लगाया था कि धर्म के कारण उसको पीटा गया है, लेकिन एफआईआर में इसका जिक्र नहीं है। अगला सवाल यह है कि वीडियो ट्रांसक्रिप्ट कहां है?
क्या था मामला?
इस मामले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था जिसके बाद बड़े पैमाने पर लोगों में गुस्सा देखा गया था। इस वीडियो में साफतौर पर देखा जा सकता था एक छात्र को उसके सहपाठियों ने बारी-बारी से थप्पड़ मारे। वीडियो में शिक्षक को छात्रों से उसे जोर से मारने के लिए कहते हुए भी सुना गया था और एक खास समुदाय को लेकर नफरत की भावना के आरोप भी महिला टीचर पर लगे थे।
कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह मामला गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बारे में है, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में संवेदनशील शिक्षा भी शामिल है। जिस तरह से यह हुआ है, उससे राज्य की अंतरात्मा को झकझोर देना चाहिए। जस्टिस केएम नटराज ने कहा कि सांप्रदायिक पहलू को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। वहाँ कुछ तो है, यह बहुत गंभीर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की निगरानी में मामले की जांच कराएं। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में चार्जशीट कब दाखिल होगी? गवाहों और बच्चे को क्या सुरक्षा दी जाएगी?
सुप्रीम कोर्ट कहा कि यह आपराधिक कानून को लागू करने में विफलता का मामला है। साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के मौलिक अधिकारों और आरटीई एक्ट का उल्लंघन भी है। इसके साथ ही यह किसी बच्चे को शारीरिक दंड देने पर लगे प्रतिबंध का भी उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 30 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले में शामिल छात्रों की काउंसलिंग पर रिपोर्ट दाखिल करने और पीड़ित बच्चे की शिक्षा की जिम्मेदारी लेने का निर्देश दिया।
FIR पर गम्भीर आपत्ति दर्ज की
सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर पर भी गंभीर आपत्ति दर्ज की, जिसमें बच्चे के पिता द्वारा लगाए गए आरोप शामिल नहीं हैं। अदालत ने कहा, “पिता ने बयान दिया था कि उसके बेटे को उसके धर्म के कारण पीटा गया था, लेकिन एफआईआर में इसका उल्लेख नहीं किया गया था।” अदालत ने कहा यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मामला है जिसमें संवेदनशील शिक्षा भी शामिल है। उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया कि मामले का सांप्रदायिक पहलू बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है।
6 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जिला पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट मांगी थी। इसमें पूछा गया कि आरोपियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई और बच्चे के परिवार की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए। आरोपी 60 वर्षीय शिक्षिका मुजफ्फरनगर के नेहा पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल भी हैं, उनका नाम तृप्ता त्यागी ने पहले कहा कि वह अपने किए से शर्मिंदा नहीं हैं, लेकिन बाद में उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी किया जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि उनके मन में कोई सांप्रदायिक भावना नहीं है।
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