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HC में अपील पर सुनवाई शुरू न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 साल कैद काट चुके उम्र कैदी को दी जमानत

Deepa Sahu
23 Jan 2022 2:42 PM GMT
HC में अपील पर सुनवाई शुरू न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 साल कैद काट चुके उम्र कैदी को दी जमानत
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सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने साढ़े ग्यारह साल जेल काट चुके उम्रकैदी की अपील पर हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू न होने को देखते हुए उसे जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता अभियुक्त को ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि की शर्तें पूरी करने पर जमानत दी जाती है। जमानत की अन्य शर्तों के साथ ही अभियुक्त प्रत्येक माह के पहले सोमवार को स्थानीय थाने में रिपोर्ट करेगा। इस मामले में अभियुक्त अवधेश ने सुप्रीम कोर्ट से जमानत मांगते हुए अपराध के वक्त किशोर होने का दावा किया था।

किशोर माने जाने का दिया आधार
उसने अपने दावे के समर्थन में गैंगेस्टर एक्ट के मामले में जुविनाइल जस्टिस बोर्ड द्वारा उसे अपराध के वक्त किशोर माने जाने के आदेश को आधार बनाया था। अभियुक्त अवधेश को सत्र अदालत ने हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा सुनवाई है जिसके खिलाफ उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर रखी है जिस पर अभी तक सुनवाई शुरू नही हुई है। इस बीच अभियुक्त साढ़े ग्यारह साल कैद काट चुका है।
याचिका का निस्‍तारण किया
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और एमएम सुंद्रेश की पीठ ने याचिकाकर्ता अभियुक्त के वकील ऋषि मल्होत्रा की दलीलें सुनने के बाद शुक्रवार को अभियुक्त को जमानत देते हुए याचिका निपटा दी। इससे पहले मल्होत्रा ने अभियुक्त को जमानत दिए जाने का अनुरोध करते हुए कहा था कि अभियुक्त अपराध के वक्त 26 फरवरी 2010 को किशोर था। उस समय उसकी उम्र सिर्फ 14 वर्ष आठ महीने छह दिन थी।
साढ़े ग्यारह साल काट चुका है कैद
जुविनाइल जस्टिस बोर्ड ने अपने आदेश में अभियुक्त को घटना के समय किशोर माना है। कानून के मुताबिक किशोर को अधिकतम तीन वर्ष के कारावास की सजा हो सकती है जबकि इस मामले में अभियुक्त साढ़े ग्यारह साल कारावास काट चुका है।
जमानत पर रिहा करने के आदेश
मल्होत्रा ने कहा कि हाईकोर्ट ने यह कह कर जमानत देने से मना कर दिया कि अभियुक्त को दूसरे मामले गैंगेस्टर एक्ट में किशोर घोषित किया गया है। वह तीन साल से बहुत ज्यादा सजा भुगत चुका है ऐसे में कोर्ट उसे तत्काल जमानत पर रिहा करने का आदेश दे। पीठ ने याचिका स्वीकार करते हुए अभियुक्त को जमानत दे दी।
क्या है मामला
याचिकाकर्ता अभियुक्त अवधेश और उसके दो साथियों के खिलाफ 26 फरवरी 2010 को गौतमबुद्ध नगर के सूरज पुर में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ। हत्या के इस मुकदमे के कारण ही 2010 में ही पुलिस ने अभियुक्त के खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट की धारा 2-3 में भी सूरजपुर थाने में गैंगेस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज किया। उधर जनवरी 2014 को ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता अभियुक्त और उसके दो साथियों को हत्या के जुर्म में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। जिसके खिलाफ अभियुक्त ने 2014 में ही हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर दी।
जमानत अर्जी कर दी थी खारिज
साल 2016 में अभियुक्त ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की लेकिन उच्‍च न्‍यायालय ने जमानत अर्जी खारिज कर दी। इस बीच दिसंबर 2017 अभियुक्त की मां ने गैंगेस्टर एक्ट मामले में गौतमबुद्ध नगर के स्पेशल जज गैंगेस्टर एक्ट के समक्ष अर्जी दाखिल कर घटना के समय अभियुक्त के किशोर होने का दावा करते हुए उसे किशोर घोषित करने की मांग की।
2010 का है मामला
अर्जी में कहा गया कि अभियुक्त अवधेश की जन्मतिथि 21 मई 1995 है जबकि हत्या के आरोप का मुख्य मामला 26 फरवरी 2010 का है इस तरह घटना के वक्त अभियुक्त अवधेश की उम्र मात्र 14 वर्ष 11 महीने थी। समर्थन में स्कूल प्रमाणपत्र और आधार कार्ड दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामला जुविनाइल जस्टिस बोर्ड को भेज दिया। बोर्ड ने मामले की जांच करने के बाद 20 अप्रैल 2018 को अभियुक्त अवधेश को घटना के वक्त किशोर घोषित किया।


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