दिल्ली-एनसीआर

सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर का नामोनिशान कल हो जाएगा जमींदोज, पढ़ें किसकी-क्या तैयारी

Renuka Sahu
27 Aug 2022 3:53 AM GMT
Supertech builders twin tower will be named tomorrow, read whose preparations
x

फाइल फोटो 

भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़े सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर रविवार दोपहर ढाई बजे जमींदोज हो जाएंगे।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़े सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर (एपेक्स और सियान) रविवार दोपहर ढाई बजे जमींदोज हो जाएंगे। करोड़ों की लागत से बनी इन इमारत को गिराने के लिए लड़ी गई लड़ाई के लिए सोसाइटी के 400 फ्लैट मालिकों ने चंदा जुटाया। देश में इससे पहले इतनी ऊंची इमारत नहीं गिराई गई है। ऐसे में यह ध्वस्तीकरण ऐतिहासिक होगा।

एमरॉल्ड कोर्ट सोसाइटी की एओए के अध्यक्ष और सेवानिवृत्त डीआईजी उदयभान सिंह तेवतिया ने आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान' को बताया कि सुपरटेक बिल्डर को सेक्टर-93ए में 23 दिसंबर 2004 को एमरॉल्ड कोर्ट के नाम पर भूखंड आवंटित हुआ, जिसमें 14 टावर का नक्शा पास हुआ। इसके बाद योजना में तीन बार संशोधन हुआ और दो नए टावर की मंजूरी दे दी गई। ये दोनों टावर ग्रीन पार्क, चिल्ड्रन पार्क और दो मंजिला कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स की जमीन पर बनाए गए।
फ्लैट खरीदारों ने इसके खिलाफ पहली बार मार्च 2010 में आवाज उठाई और नोएडा प्राधिकरण से नक्शा मांगा। हमें प्रशासन, पुलिस और शासन तक गए, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। इस पर वर्ष 2012 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। सोसाइटी में एओए और कानूनी समिति का गठन किया गया, जिसका अध्यक्ष उन्हें चुना गया। इस संघर्ष के लिए 40 सदस्यीय टीम बनाई गई थी।
फैसला आने से पहले निधन
कानूनी समिति के सदस्य एमके जैन ने हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक बिल्डर-प्राधिकरण के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन इस मामले में फैसला आने से पहले ही उनका निधन हो गया। उनके साथ ही राजपाल टंडन और वशिष्ठ शर्मा आदि का भी सहयोग रहा। एस.के शर्मा ने बताया कि उच्च न्यायालय में मामला पहुंचने पर सोसाइटी के फ्लैट मालिकों से पहले तीन-तीन हजार रुपये चंदा लिया गया। केस सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा तो 17-17 हजार रुपये चंदा और जुटाए गए।
खुद सबूत जुटाए
रवि बजाज और गौरवदेव नाथ ने बताया कि लड़ाई के दौरान सारे साक्ष्य खुद जुटाने पड़े। इसके लिए आईआईटी दिल्ली और रुड़की के चक्कर लगाए। ट्विन टावर का ध्वस्तीकरण नियम तोड़ने वाले बिल्डर के लिए नजीर है। यह पूरी एमरॉल्ट कोर्ट सोसाइटी की जीत है।
प्लांट में मलबे का निस्तारण
टावर ध्वस्तीकरण से निकले करीब 28 हजार मीट्रिक टन मलबे का मानकों के अनुसार निस्तारण किया जाएगा। नोएडा के सेक्टर-80 स्थित सी एंड डी वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट में वैज्ञानिक पद्धति से मलबा निस्तारित होगा। बाकी मलबा टावर के बेसमेंट में और एक गांव में गहरे गड्ढे में पहुंचाया जाएगा।
सुपरटेक के ट्विन टावर उदय से अंत तक
आगाज- नोएडा प्राधिकरण ने सुपरटेक बिल्डर को 20 जून 2005 में एमराल्ड कोर्ट के निर्माण की मंजूरी दी थी। इस परिसर में 14 टावर बनाए जाने थे। टावर में भूतल और नौ मंजिल बनाने की अनुमति दी गई। लेकिन, बिल्डर ने वर्ष 2006 में इसमें बदलाव कर भूतल और 11 मंजिल के साथ ही दो अतिरिक्त टावर योजना में शामिल कर लिए। इसके बाद वर्ष 2009 में नक्शे में बदलाव कर टावर की ऊंचाई बढ़ाई गई। इस बार टावर में 24 मंजिल बनाना तय किया गया। वर्ष 2012 में ऊंचाई को 40 मंजिल तक बढ़ाने के लिए मानचित्र में फिर से संशोधित किया गया।
आपत्ति- वर्ष 2009 में दोनों टावर का निर्माण शुरू हुआ तो एमरॉल्ड कोर्ट सोसाइटी में रह रहे लोगों ने सुपरटेक बिल्डर और नोएडा प्राधिकरण के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई। नए नक्शे पास करने के बारे में जानकारी मांगी गई तो प्राधिकरण ने देने से इनकार कर दिया। इसके बाद सोसाइटी की एओए ने दिसंबर 2012 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया। न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया कि नियम का उल्लंघन कर ट्विन टावर के बीच की दूरी 16 मीटर के बजाए नौ मीटर रखी गई। अन्य नियम भी तोड़े गए। न्यायालय से फटकार के बाद प्राधिकरण ने नक्शा दिया।
आदेश- इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने डेढ़ साल की सुनवाई के बाद 11 अप्रैल 2014 में विवादित ट्विन टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया। सुपरटेक बिल्डर ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को बिल्डर और प्राधिकरण गठजोड़ पर टिप्पणी करते हुए एमरॉल्ड कोर्ट के खरीदारों के पक्ष में फैसला सुनाया। इस आदेश के मुताबिक तीन महीने के अंदर ये दोनों टावर गिराए जाने थे, लेकिन तीन बार तारीख बढ़ गई। अब रविवार को दोनों टावर गिराए जाएंगे। इसके लिए बारूद लगाने का काम पूरा हो गया है।
ऐसे गिरेगी भ्रष्टाचार की इमारत
टावर सोक ट्यूब सिस्टम के तहत ध्वस्त किए जाएंगे। इस तकनीक में मलबा पानी के झरने की तरह सीधे नीचे गिरता है। टावर को गिराने के लिए अलग-अलग सेकेंड में विस्फोट किए जाएंगे। टावर गिरने की शुरुआत बेसमेंट से होगी। एक-एक कर स्लैब गिरेंगे। दोनों टावर का पहला फ्लोर एक सेकेंड और अंतिम फ्लोर सात सेकेंड में ध्वस्त हो जाएगा।
सियान में पहले धमाका
एमरॉल्ड कोर्ट में बने 29 मंजिला सियान टावर में पहले धमाका होगा। यह टावर एटीएस विलेज सोसाइटी के पास है। इसकी ऊंचाई 97 मीटर है।
कुछ पल बाद एपेक्स धराशायी होगा
सियान में धमाके के चंद सेकेंड में 32 मंजिला एपेक्स टावर गिरेगा। इसकी ऊंचाई 103 मीटर है। सोसाइटी के टावर नंबर एक से इसकी दूरी सिर्फ नौ मीटर है।
कम कंपन होगा
एडीफाइस एजेंसी के अधिकारियों ने बताया कि टावर गिरने के दौरान अधिकतम 34 और न्यूनतम 2 एमएम प्रति सेकेंड कंपन का स्तर रहने का अनुमान है। ऐसे में 10 मीटर के दायरे में, जो फ्लैट हैं, उनमें सिर्फ नाममात्र का क्रेक आ सकता है। बाकी पर कोई असर नहीं होगा। इस दौरान शोर का स्तर 150 डेस्बिल रहने की संभावना है। नोएडा सिसमिक जोन-4 में आता है। यहां बनाई गई सभी इमारतें सात और आठ रिक्टर स्केल के भूकंप सहन कर सकती हैं। इन इमारतों को 300 मिमी प्रति सेकेंड के कंपन का सामना करने के अनुसार बनाया गया है। कंपन को कम करने के लिए दोनों टावर के बेसमेंट में कांक्रीट वेव बनाए गए हैं।
तीन डेडलाइन असफल होने के बाद अब ध्वस्त होंगे टावर
1. 30 नवंबर 2021 सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को तीन महीने के अंदर दोनों टावर ध्वस्त करने का आदेश दिया, लेकिन इस तारीख तक सुपरटेक बिल्डर टावर ध्वस्त करने के लिए एजेंसी तक का चयन नहीं कर सका। कुछ और दिक्कतों का हवाला देते हुए मोहलत मांगी।
2. 22 मई 2022 फिर 22 मई 2022 की तिथि तय हुई। सुपरटेक मामलों में नियुक्त आईआरपी ने कहा कि 10 अप्रैल को हुए टेस्ट ब्लास्ट के बाद डिजाइन में मामूली बदलाव करना होगा। इसलिए समय चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त से पहले टावर ध्वस्त करने का आदेश दिया।
3. 21 अगस्त 2022 नोएडा प्राधिकरण ने बैठक कर 21 अगस्त की तारीख तय की। सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विस्फोटक दो अगस्त से लगने शुरू हो जाएंगे। इस बीच सुपरटेक बिल्डर ने सीबीआरआई को फीस देने से मना कर दिया। ऐसे में सीबीआरआई ने मामले में कोई राय नहीं दी। नोएडा पुलिस और सीबीआरआई ने विस्फोटक लगाने के लिए देर से एनओसी दी।
4. 28 अगस्त 2022 सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में 28 अगस्त की तिथि तय की गई। हालांकि, तकनीकी या मौसम संबंधी कारणों का हवाला देते हुए नोएडा प्राधिकरण ने चार सितंबर तक का अतिरिक्त समय लिया।
रविवार के लिए किसकी-क्या तैयारी
यातायात- नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे ट्विन टावर ध्वस्तीकरण के कारण रविवार दोपहर 215 बजे से 45 मिनट तक बंद रहेगा। इसके अलावा इस इलाके में एटीएस तिराहे से गेझा फल सब्जी मंडी तिराहे तक का मार्ग, एल्डिको चौराहे से सेक्टर-108 की ओर का रास्ता सर्विस रोड, श्रमिक कुंज चौराहे से सेक्टर-92 रतिराम चौक तक का मार्ग, श्रमिक कुंज चौराहे से सेक्टर-132 की ओर फरीदाबद फ्लाईओवर और सेक्टर-128 से श्रमिक कुंज चौराहे-फरीदाबाद फ्लाईओवर तक का मार्ग बंद रहेगा।
पुलिस- ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण के दिन 400 पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाएगा। इसके अलावा यातायात व्यवस्था बनाने के लिए 150 से 200 ट्रैफिक पुलिसकर्मी लगाए जाएंगे। दमकल की चार गाड़ियां और एक दर्जन से अधिक दमकलकर्मी सेक्टर-93ए में मौजूद रहेंगे।
अस्पताल- स्वास्थ्य विभाग ने चार अस्पतालों में सेफ हाउस बनाए हैं। जरूरत पड़ने पर इनमें मरीजों का इलाज हो सकेगा। इसके लिए जिला अस्पताल, फेलिक्स अस्पताल, जेपी अस्पताल और यथार्थ अस्पताल का चयन किया गया है। 28 अगस्त को छह एंबुलेंस, डॉक्टर और जीवनरक्षक दवाएं मौके पर उपलब्ध रहेंगी।
विमानों के उड़ने पर पाबंदी- उड्डयन मंत्रालय ने टावर ध्वस्तीकरण के चलते दोपहर दो से शाम चार बजे तक सेक्टर-93 के आसपास विमानों के उड़ने पर रोक को मंजूरी दे दी है। वहीं, पुलिस ने भी ट्विन टावर के आसपास के क्षेत्र में धारा-144 लागू कर दी है। यहां पर 26 से 31 अगस्त तक कोई भी ड्रोन नहीं उड़ा सकेगा।
गैस लाइन का बचाव- जहां पर दोनों टावर गिराए जाने हैं, वहां पास से ही गेल की गैस पाइप लाइन है। इंजीनियरों ने दावा किया कि गैस पाइप लाइन पर टावर के मलबे से कोई असर नहीं पड़ने दिया जाएगा। पाइप लाइन जमीन में तीन मीटर अंदर है। फिर भी इसके ऊपर स्टील की दो मीटर की प्लेट लगाई गई है। अगर कोई मलबा जाता है तो ये प्लेट रोक लेंगी।
धूल से बचाव के इंतजाम- ध्वस्त होते ही 300 मीटर ऊंचाई तक धूल का गुबार उठेगा। दमकल की गाड़ियां धूल को दबाने के लिए पानी का छिड़काव करेंगी। प्राधिकरण के 50 कर्मचारियों की टीम एमरॉल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसाइटी की सफाई के लिए उतरेगी। एंटी स्मॉग गन, 50 टैंकर और 10 मैकेनिकल स्वीपिंग मशीन भी सफाई करेंगी। लोगों के आने से पहले पीएम-2.5 और पीएम -10 स्तर की जांच होगी। इसके बाद ही लोगों को सोसाइटी में प्रवेश दिया जाएगा।
Next Story