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गुरुग्राम के हार्ट सेंटर में हुआ सफल प्रयोग, हार्ट सर्जरी संभव नहीं तो एंजियोप्लास्टी से बचाएंगे जान

Admin4
21 Aug 2022 8:29 AM GMT
गुरुग्राम के हार्ट सेंटर में हुआ सफल प्रयोग, हार्ट सर्जरी संभव नहीं तो एंजियोप्लास्टी से बचाएंगे जान
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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

शनिवार को सेक्टर 10 स्थित नागरिक अस्पताल के हार्ट सेंटर में ऐसे ही एक मरीज की एंजियोप्लास्टी की गई। इसका प्रसारण होटल लीला में बैठे सैकड़ों कार्डियोलाजिस्ट ने देखा। अभी तक ये तकनीकी जापान में प्रयोग हो रही थी, भारत में इसका कम ही इस्तेमाल हो रहा है।

हृदय की मुख्य धमनियां बंद हो गई हैं। ऑपरेशन करना बहुत मुश्किल है तो भी मरीज की जान बचाई जा सकती है। ऐसे मरीजों की जान जटिल एंजियोप्लास्टी से बचेगी। शनिवार को सेक्टर 10 स्थित नागरिक अस्पताल के हार्ट सेंटर में ऐसे ही एक मरीज की एंजियोप्लास्टी की गई। इसका प्रसारण होटल लीला में बैठे सैकड़ों कार्डियोलाजिस्ट ने देखा।

अभी तक ये तकनीकी जापान में प्रयोग हो रही थी, भारत में इसका कम ही इस्तेमाल हो रहा है। अब इसका दायरा बढ़ा कर आम मरीजों को इसकी सुविधा देने की तैयारी हो रही है। इसके लिए इंडो जापानी सीटीओ (क्रोनिक टोटल आक्लूजन ) क्लब की आठवीं तीन दिवसीय कांफ्रेंस यहां हो रही है।

जिसमें जापान, जर्मनी आदि देशों के विशेषज्ञों के साथ देश के दो सौ से अधिक कार्डियोलाजिस्ट शामिल हो रहे हैं। तीन दिवसीय कांफ्रेंस का शुभारंभ शुक्रवार को हुआ, समापन रविवार को होगा। इस मौके पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को भी आना था, लेकिन व्यस्तता के कारण वो नहीं आ सके।

सेक्टर दस के नागरिक अस्पताल में मेडिट्रिना अस्पताल के सहयोग से पीपीपी मोड पर संचालित हार्ट सेंटर के नार्थ इंडिया ऑपरेशनल हैड प्रवीण तिवारी ने बताया कि इस जटिल तकनीकी को समझने और कम से कम खर्च में आम आदमी तक इसको उपलब्ध कराने में ये कांफ्रेंस मील का पत्थर साबित होगी।

पहले ऐसे गंभीर मरीजों का इलाज सिर्फ हार्ट सर्जरी से होता था, लेकिन अब एंजियोप्लास्टी से भी इनका इलाज किया जा सकता है। कांफ्रेंस में अलग-अलग हृदय रोग विशेषज्ञ अपने शोध और व्यक्तिगत अनुभव बता रहे हैं।

होटल लीला में मेडिट्रिना अस्पताल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर कार्डियोलाजिस्ट डॉ. एन प्रताप कुमार ने कहा कि यह कांफ्रेंस नए अवसरों को सीखने का मंच है। कार्यक्रम की अध्यक्षता हैदराबाद के कोर्स डायरेक्टर डॉ. सूर्यप्रकाश राव, मुंबई के डॉ. गणेश कुमार और लखनऊ के डॉ. पीके गोयल के अलावा केरल के डॉ. प्रताप कुमार ने की।

जापान के डॉ. केन्या नासु और डॉ. नागमात्सु, जर्मनी से डॉ. गेराल्ड वर्नर, इटली से डॉ. अल्फ्रेडो गैलेसी, कनाडा से डॉ. संजोग कालरा ने यहां हृदयरोगों को समय से संभालने के उपाय बताए। सजीव प्रसारण में मेडिट्रिना हार्ट सेंटर सिविल हॉस्पिटल गुड़गांव, केयर हॉस्पिटल बंजारा हैदराबाद, सकुरबक्शी वतनबे हॉस्पिटल जापान, डार अल फौद हॉस्पिटल मिस्र जैसे अस्पताल शामिल हुए।

बंद धमनियों को खोलने की प्रक्रिया

क्रॉनिक टोटल ऑक्लूजन (सीटीओ) लंबे समय से 100 प्रतिशत बंद धमनियों को खोलने की प्रक्रिया है। जापान के हृदयरोग विशेषज्ञों ने ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट (डीईएस) डाल कर बंद धमनियों को खोल कर इलाज करना शुरू किया है। ये स्टेंट धीरे-धीरे दिल की धमनियों में दवाएं छोड़ते हैं, जो धमनियों का ब्लाकेज खोल कर खून का प्रवाह सामान्य करती हैं। इस सर्जरी में विशेष डिजाइन के वायर, गुब्बारे और कैथेटर जैसे सूक्ष्म उपकरणों की मदद से बंद धमनी में छेद किया जाता है, जिससे डीईएस डाला जाता है।

-1.6 से 7.4 फीसदी ग्रामीण, 1 से 13.1 फीसदी शहरी गंभीर हृदयरोगों से पीड़ित

-हृदय की मुख्य धमनियों के बंद होने के बाद आती है ऑपरेशन की नौबत

-ऑपरेशन से बचने के लिए एंजियोप्लास्टी की उच्च तकनीकी का प्रशिक्षण

-भारत के केवल 20 प्रतिशत कार्डियोलॉजिस्ट इस सर्जरी के लिए प्रशिक्षित

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