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सुब्रमण्यम बोले- जम्मू-कश्मीर-भारत के बीच यह व्यवस्था एक समझौता थी, इसे खत्म नहीं किया जा सकता
SANTOSI TANDI
9 Aug 2023 11:39 AM GMT
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समझौता थी, इसे खत्म नहीं किया जा सकता
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली 23 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार 9 अगस्त को चौथे दिन सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता मुज्जादार इकबाल खान की ओर से सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम ने सुबह 11 बजकर 25 मिनट से जिरह शुरू की। इसे बाद में सीनियर एडवोकेट जफर शाह ने जारी रखा। सुनवाई शाम 4 बजकर 5 मिनट ( कुल चार घंटे 40 मिनट) तक चली।
इससे पहले तीन दिन 8, 3 और 2 अगस्त को एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें दी थी।
सुब्रमण्यम ने कहा कि विलय के समय जम्मू-कश्मीर किसी अन्य राज्य की तरह नहीं था। उसका अपना संविधान था। हमारे संविधान में विधानसभा और संविधान सभा दोनों को मान्यता प्राप्त है। मूल ढांचा दोनों के संविधान से निकाला जाएगा। डॉ. अंबेडकर ने संविधान के संघीय होने और राज्यों को विशेष अधिकार की बात कही थी।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के पास अनकंट्रोल्ड पावर नहीं है। आर्टिकल 370 के खंड 1 के तहत शक्ति का उद्देश्य आपसी समझ पर आधारित है।
जम्मू-कश्मीर और भारत के बीच यह व्यवस्था संघवाद का एक समझौता थी। संघवाद एक अलग तरह का सामाजिक अनुबंध है। 370 इस संबंध का ही एक उदाहरण है। इस संघीय सिद्धांत को अनुच्छेद 370 के अंतर्गत ही पढ़ा जाना चाहिए। इसे निरस्त नहीं किया जा सकता है। धारा 370 संविधान के प्रोविजन का एप्लीकेशन है।
सुब्रमण्यम ने पूछा क्या जम्मू-कश्मीर संविधान सभा को संविधान बनाने का काम नहीं सौंपा गया था? इस पर CJI ने कहा 1957 के बाद न तो जम्मू-कश्मीर की विधानसभा और न ही देश की संसद ने जम्मू-कश्मीर संविधान को स्पष्ट रूप से भारतीय संविधान के दायरे में लाने के लिए भारतीय संविधान में संशोधन करने के बारे में कभी सोचा।
इस पर सुब्रमण्यम ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का संविधान जम्मू-कश्मीर के लिए है। यह एक संविधान है क्योंकि इसे एक संविधान सभा ने बनाया था।
जम्मू-कश्मीर संविधान में संशोधन करने की शक्ति केवल उस निकाय के पास हो सकती है जिसे संविधान सभा ने बनाया हो। यही नियम है।
इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा जब हमने 1954 के आदेश के पहले भाग को पढ़ा तो यह स्पष्ट हो गया कि जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान को अपवादों और संशोधनों के साथ अपनाया गया था। आप इसे जम्मू-कश्मीर का संविधान कह सकते हैं लेकिन जो अपनाया गया वह भारतीय संविधान था।
आर्टिकल 370 बहुत फ्लक्सीबल है। आम तौर पर संविधान समय और स्थान के साथ फ्लक्सीबल होते हैं क्योंकि वे एक बार बनते हैं लेकिन लंबे समय तक बने रहते हैं। यदि आप 370 को देखें, तो यह कहता है कि इसमें संशोधन किया जा सकता है। जम्मू-कश्मीर पर लागू होने वाले भारत के संविधान में जो कुछ भी हो रहा है उसे आत्मसात कर लिया जाए।
सुब्रमण्यम ने कहा 370 की एकतरफा व्याख्या करना संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप नहीं होगा।
इसके बाद सीनियर एडवोकेट जफर शाह ने जिरह शुरू की। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 को समझने के लिए अलग-अलग एप्रोच हैं। जम्मू-कश्मीर के महाराजा ने जब भारत के साथ संधि की तो उन्होंने रक्षा, संचार और विदेश मामलों के अलावा बाकी शक्तियां अपने पास रखीं। इसमें संप्रभुता की शक्ति यानी कानून बनाने की शक्ति भी शामिल है। वह दो देशों के बीच संधि थी।
महाराजा चाहते तो पूरी तरह जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
आर्टिकल 370 जम्मू-कश्मीर और भारत के बीच विशेष रिलेशनशिप है। भारत का संविधान उस राज्य के साथ क्या करता है जिसका विलय नहीं हुआ है, बल्कि जिसने भारत के संविधान को स्वीकार किया है?
इस पर CJI ने कहा आगे गुरुवार को सुनवाई करेंगे।
आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट में 3 साल बाद सुनवाई हो रही है। सुनवाई करने वाले पांच जजों की बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एस के कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट में अगस्त में अब तक 3 बार सुनवाई हुई...
8 अगस्त : मंगलवार को 5 घंटे 18 मिनट सुनवाई
8 अगस्त को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, आर्टिकल 370 खुद कहता है कि इसे खत्म किया जा सकता है। इस पर सिब्बल ने जवाब देते हुए कहा था, 370 में आप बदलाव नहीं कर सकते, इसे हटाना तो भूल ही जाइए। फिर CJI ने कहा- आप सही हैं, इसलिए सरकार के पास स्वयं 370 में बदलाव करने की कोई शक्ति नहीं है। सिब्बल बोल- ये व्याख्या (अपने शब्दों में समझाना, इंटरप्रिटेशन) करने वाला क्लॉज है, यह संविधान में संशोधन करने वाला क्लॉज नहीं है। पढ़ें पूरी खबर...
3 अगस्त : गुरुवार को 5 घंटे 11 मिनट सुनवाई
3 अगस्त को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि आर्टिकल 370 को छेड़ा नहीं जा सकता। इसके जवाब में जस्टिस खन्ना ने कहा कि इस आर्टिकल का सेक्शन (c) ऐसा नहीं कहता। इसके बाद सिब्बल ने कहा, मैं आपको दिखा सकता हूं कि आर्टिकल 370 स्थायी है। इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, अभी तक जम्मू-कश्मीर की सहमति की आवश्यकता है और अन्य राज्यों के लिए विधेयक पेश करने के लिए केवल विचारों की जरूरत है। पढ़ें पूरी खबर...
2 अगस्त : बुधवार को 4 घंटे 25 मिनट सुनवाई
इसके पहले 2 अगस्त को सुनवाई के दौरान CJI ने याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि आर्टिकल 370 खुद ही अपने आप में अस्थायी और ट्रांजिशनल है। क्या संविधान सभा के अभाव में संसद 370 को निरस्त नहीं कर सकती? इस पर जवाब देते हुए सिब्बल ने कहा था कि संविधान के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर से 370 को कभी हटाया नहीं जा सकता। पढ़ें पूरी खबर..
10 जुलाई को केंद्र ने मामले में नया एफिडेविट दाखिल किया था
इस मामले को लेकर आखिरी सुनवाई 11 जुलाई को हुई थी। इससे एक दिन पहले 10 जुलाई को केंद्र ने इस मामले में नया एफिडेविट दाखिल किया था। केंद्र ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर 3 दशकों तक आतंकवाद झेलता रहा। इसे खत्म करने का एक ही रास्ता था आर्टिकल 370 हटाना।
IAS शाह फैसल और शेहला राशिद ने याचिका वापस ली
याचिकाकर्ताओं का नेतृत्व कर रहे सीनियर एडवोकेट राजू रामचंद्रन ने आखिरी सुनवाई के दौरान कहा था कि दो याचिकाकर्ता IAS शाह फैसल और शेहला राशिद शोरा ने याचिका वापस लेने के लिए अपील की है।
इस पर केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अगर कोई याचिकाकर्ता अपना नाम वापस लेना चाहता है तो उन्हें कोई कठिनाई नहीं है। इसके बाद बेंच ने नाम वापसी की अनुमति दे दी।
4 साल से मामला सुप्रीम कोर्ट में
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था। अक्टूबर 2020 से संविधान पीठ ही इस मामले की सुनवाई कर रही है।
पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव की याचिका खारिज की थी
6 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बिना किसी देरी के विधानसभा चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि अनुच्छेद 370 से जुड़ा मामला 11 जुलाई को लिस्टेड है और इसके बाद ही चुनाव को लेकर सुनवाई करेंगे।
आर्टिकल 370 से जुड़ी भास्कर की यह खास खबर पढ़ें...
क्या SC में पलट सकता है आर्टिकल 370 पर फैसला, 23 पिटिशनर ने क्या तर्क दिए?
आर्टिकल 370 पर केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस मामले पर देश की सबसे बड़ी अदालत 2 अगस्त से रेगुलर सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ समेत 5 जजों की पीठ दोनों पक्षों की जिरह सुनेगी। इस मामले में दलीलें सुनने के बाद आखिर में फैसला सुनाया जाना है
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