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विद्यार्थी अब क्षेत्रीय बोलियां सीखेंगे, भाषायी बाधाओं को दूर करने में मिलेगी मदद
नोएडा न्यूज़: बेसिक शिक्षा विभाग अब क्षेत्रीय बोलियों को भी सहेजेगा. जिले में विभाग के सरकारी स्कूलों में नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को स्थानीय भाषा में पढ़ाया जाएगा. प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाने वाले शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जा रही है.
नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को ध्यान में रखते हुए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डाइट) से अपने क्षेत्र में बोले जाने वाली भाषाओं के बारे में जानकारी मांगी थी. राज्य शिक्षा संस्थान के क्षेत्रीय बोलियों जैसे भोजपुरी, अवधी, ब्रज और बुंदेलखंडी आदि में शब्दकोश (डिक्शनरी) का विकास करने की जिम्मेदारी दी है.
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ऐश्वर्या लक्ष्मी ने बताया कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा/क्षेत्रीय भाषा/स्थानीय भाषा को पढ़ाई के माध्यम के रूप में अपनाने पर फोकस है. पहली से पांचवीं कक्षा तक के पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राए लाभांवित होंगे. शासन की तरफ से क्षेत्रीय बोलियों का शब्दकोष विकसित करने के आदेश मिले हैं. इसके लिए कार्यशाला आयोजित की जाएगी जिसमें विषय विशेषज्ञों और बोलियों के जानकारों को आमंत्रित करेंगे. इसके लिए शिक्षकों को अभी गणितीय कौशल सहित अन्य प्रशिक्षण दिए जा रहे है. इसके बाद शिक्षकों को बुनियादी भाषा आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा. यूनिसेफ और एलएलबी के तकनीकी सहयोग से प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षण पर 5 मॉड्यूल्स का एक कोर्स तैयार किया है.
क्षेत्रीय बोलियों का शब्दकोश तैयार होने पर भाषायी बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी. कम से कम ग्रेड 5 तक शिक्षा का माध्यम, घर की भाषा, मातृभाषा, स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा रखने पर जोर है. फिर घर या स्थानीय भाषा को जहां भी संभव हो भाषा के रूप में पढ़ाया जाता रहेगा.