दिल्ली-एनसीआर

सख्ती बिल्डर पर 113 करोड़ रुपये का लगा जुर्माना

Admin Delhi 1
11 Feb 2023 8:20 AM GMT
सख्ती बिल्डर पर 113 करोड़ रुपये का लगा जुर्माना
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नोएडा न्यूज़: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने नोएडा के एक बिल्डर पर पर्यावरण नियमों के उल्लंघन करने के कारण 113.25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया और इस मामले में कार्रवाई में साढ़े नौ वर्ष से अधिक की देरी करने पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को फटकार भी लगाई.

एनजीटी ने कहा कि ईडी यह बात भूल गई कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) का दायरा बड़ा है और इस तरह के अपराधों के जरिये पैसे कमाने को कानून में अपराध के रूप में परिभाषित किया गया है.

एनजीटी ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दावा किया कि उप्पल चड्ढा हाई टेक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर के 14 गांवों में स्थित अपने हाई-टेक टाउनशिप के निर्माण के दौरान पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन किया है.

न्यायाधीश एके गोयल की पीठ ने पाया कि परियोजना प्रस्तावक (पीपी) ने पर्यावरण के कई नियमों का उल्लंघन किया है और पर्यावरण की क्षतिपूर्ति के लिए प्रस्तावक को प्रदूषण भुगतान सिद्धांत के आधार पर पर्यावरण मुआवजा देना होगा. इस पीठ में बतौर सदस्य शामिल न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल ने पूरी परियोजना के कुल बजट की 0.75 प्रतिशत राशि बतौर पर्यावरण मुआवजा सुनिश्चित की.

यूपीपीसीबी में राशि जमा कराने का निर्देश: पीठ ने कहा कि पीपी द्वारा 113.25 करोड़ बतौर पर्यावरण मुआवजा तीन महीने के भीतर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) में जमा कराना होगा. पीठ ने कहा कि पीपी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने जैसी दंडात्मक कार्रवाई भी न्यायोचित होगी. हरित पैनल ने कहा कि इस मामले में पर्यावरण नियमों का पालन नहीं किया गया है. इस तरह के अपराध से अर्जित राजस्व पीएमएलए में परिभाषित अपराध की आय है. अधिकरण ने कहा कि ईडी ने इस बात पर गौर नहीं किया कि 2012 के संशोधन अधिनियम के बाद 15 फरवरी 2013 से पीएमएलए का दायरा बहुत बढ़ चुका है. अधिकरण ने कहा कि चूंकि सक्षम अधिकारी ने कभी भी पर्यावरण कानूनों के उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई, इसलिए इस निष्क्रियता ने दोषियों को नियमों का उल्लंघन जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया है.

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