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राज्य सूचना आयोग ने उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण से पुछा तीखा सवाल, जानिए पूरा मामला
एनसीआर नॉएडा न्यूज़: वैसे तो उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) पर राज्य के बेलगाम बिल्डरों को काबू करने की जिम्मेदारी है, लेकिन जब खुद यह नियामक प्राधिकरण ही 'सूचना का अधिकार' जैसे कानून का पालन ना करें तो इससे आगे क्या कहा जाए? दरअसल, नोएडा के एक निवासी ने यूपी रेरा से अपने हाउसिंग प्रोजेक्ट से जुड़ी सूचनाएं मांगी थीं। यूपी रेरा ने सामान्य तौर पर घर खरीदार को सूचनाएं नहीं दीं। उन्होंने 'सूचना का अधिकार अधिनियम' यानी आरटीआई के तहत आवेदन किया। इस आवेदन पर भी यूपी रेरा ने कोई सुनवाई नहीं की।
फ्लैट खरीददार ने यूपी रेरा के खिलाफ सूचना आयोग में अपील की: फ्लैट खरीदार वरुण कृष्णा ने बताया, "यूपी रेरा का काम बिल्डरों कि गलत प्रैक्टिस पर कार्यवाही करना है, लेकिन हमारे मामले में खुद यूपी रेरा ही गलत ढंग से व्यवहार कर रहा है। जब यूपी रेरा ने हमें सूचना नहीं दी तो उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। यूपी रेरा की ओर से राज्य सूचना आयोग में भी कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया। बार-बार सुनवाई पर जब यूपी रेरा से कोई नहीं पहुंचा तो अब आयोग ने प्राधिकरण के खिलाफ एक आदेश जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि अगली सुनवाई से पहले मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध करवाई जाएं। यूपी रेरा के जन सूचना अधिकारी अगली सुनवाई के वक्त व्यक्तिगत रूप से राज्य सूचना आयोग में हाजिर रहेंगे। उन्हें यह भी बताना होगा कि कानून का पालन क्यों नहीं किया? इसके लिए उनके खिलाफ जुर्माना क्यों न लगाया जाए?"
क्या है मामला: वरुण कृष्णा ने बताया नोएडा के सेक्टर-79 में गोल्फ ग्रीन रेजीडेंसी प्राइवेट लिमिटेड को प्राधिकरण ने ग्रुप हाउसिंग के लिए भूखंड का आवंटन किया था। बिल्डर ने इस भूखंड पर सनशाइन सोलारिस नाम की हाउसिंग सोसाइटी का प्रोजेक्ट लांच किया था। जिसके पूरा करने की तारीख 31 दिसंबर 2016 थी। इस परियोजना पर अब तक मामूली निर्माण किया गया है। दूसरी ओर बिल्डर त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट यूपी रेरा में दाखिल नहीं कर रहा है। यूपी रेरा की ओर से बिल्डर पर जुर्माना लगाने की बात कही गई, लेकिन आज तक जुर्माने की वसूली नहीं की गई है। इतना ही नहीं यूपी रेरा ने नियम और कानून को तोड़कर बिल्डर को लगातार राहत दी हैं।
मुख्य सूचना आयुक्त कर रहे हैं मामले की सुनवाई: वरुण कृष्णा सवाल उठाते हैं, "यह सबकुछ किस कानून के तहत किया गया? बिल्डर को राहत देने के लिए जो आदेश जारी किए गए, उन सब की जानकारी यूपी रेरा से मांगी गई थी। यूपी रेरा ने ना तो सामान्य आवेदन पर और ना ही आरटीआई के तहत सूचनाएं दी हैं।" वरुण कृष्णा आगे कहते हैं, "मैंने इसी मुद्दे को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में अपील दाखिल की। अब इस मामले पर 21 अक्टूबर को सुनवाई होगी। मुख्य सूचना आयुक्त भवेश कुमार सिंह इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं।"