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बसंत पंचमी पर विशेष: गुरुकुल संस्कृति की संवाहिका दीदी Sumedha
Gulabi Jagat
1 Feb 2025 2:55 PM GMT
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संस्कृति और संस्कृत की सेवा, संकल्प और समर्पण का जुनून। आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत धारण की प्रतिबद्धता। जीवन को कन्या शिक्षा के प्रति आहूत करने का निर्णय। 1985 में पिताश्री के विवाह प्रस्ताव के एवज में पावन शिक्षा यज्ञ का चुनाव। यह चार दशकीय पुरानी कहानी आचार्या डॉ. सुमेधा की है। शायद आपको विश्वास न आए, लेकिन आप चोटीपुरा के श्रीमद् दयानन्द कन्या गुरुकुल महाविद्यालय में संकल्प से सिद्धि तक की सुगंध संजीदगी से महसूस कर सकते हैं। पिताश्री महाशय हरगोविंद सिंह ने 1985 में अपनी पुत्री डॉ. सुमेधा के सम्मुख विवाह का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने सहर्ष एवम् बेहिचक अपने सपनों के लक्ष्य को पिताश्री को बता दिया। अतंतः पिताश्री ने संस्कृति और संस्कृत की सेवा को विजयी भव का आशीर्वाद दे दिया। 10 बीघा भूमि के जंगल में दो कमरों के संग 06 बालिकाओं के मंगलप्रवेश से 06 मार्च, 1988 को इस गुरुकुल का शंखनाद हो गया। आज यह जंगल मंगलमय है। दीदी सुमेधा के संरक्षण में 20 प्रान्तों की लगभग 1200 बालिकाएँ आवासीय व्यवस्था में विद्याभ्यास और व्रताभ्यास की शिक्षा ग्रहण कर रही हैं।
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संस्कृत एवं संस्कृति की रक्षा में संलग्न हैं। चोटीपुरा के इस गुरुकुल में संस्कृत के माध्यम से वेद, दर्शन, उपनिषद् की शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक विषयों का भी ज्ञान कराया जाता है। इस गुरुकुल में अत्यन्त निर्धन परिवार की लगभग 110 बालिकाओं के लिए आवास, भोजन और शिक्षा की व्यवस्था पूर्णतया निःशुल्क प्रदान की गई है। उल्लेखनीय है, गुरुकुल ने करीब 15 साल पहले तीन अनाथ बहनों को गोद लिया। उच्च शिक्षित किया। इनमें से सबसे बड़ी बहन ने हाल ही में गृहस्थ आश्रम को अपनाया है। दीदी सुमेधा ने गुरुकुल की इस बिटिया का कन्यादान स्वंय किया है। गुरुकुल के संस्कारों की सुगंध के चलते देश की बड़ी-बड़ी संस्कृतविद, आयुर्वेदाचार्य सरीखी हस्तियों का आगमन यहां होता रहता है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रमुख श्री मोहन भागवत, गृहमंत्री श्री अमित शाह, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, बिहार के राज्यपाल मो. आरिफ खां, योगगुरु बाबा श्री रामदेव, आयुर्वेदाचार्य श्री बालकृष्ण, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा, यूपी के पर्यटन एवम् संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह, पदमश्री साध्वी ऋतंभरा समय-समय पर आतिथ्य स्वीकार करके गुरुकुल का मान बढ़ाते रहते हैं। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की सुपौत्री वरेण्या तो यहां अध्ययनरत है, जबकि आचार्य देवव्रत की बेटी मनीषा भी यहां शिक्षा ग्रहण कर चुकी है।
गुरुकुल के नारी सशक्तिकरण के सत्प्रयास के चलते 15 वर्षों में यहाँ की बालिकाओं ने राष्ट्रीय एवं अर्न्तराष्टीªय स्तर पर तीरंदाजी और योगासन प्रतियोगिताओं में अनेक उच्च कीर्तिमान स्थापित किए हैं। एशियन, एशियार्ड, विश्वकप तथा ओलम्पिक तक प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करते हुए 600 से अधिक मेडल गुरुकुल की झोली में डाले हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी गौरवान्वित करने वाले कीर्तिमान गढ़े हैं। यहाँ की 74 बालिकाओं ने नेट और 93 बालिकाओं ने जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण कर विशिष्ट उपलब्धि प्राप्त की है। आईआईटी, मुंबई में भी यहां की बालिकाएं रिसर्च कर रही हैं। गुरुकुल की सुव्यवस्था एवं उत्तम अनुशासन आपकी कार्यकुशलता का प्रमाण है। आपके त्याग, तप एवं सेवा से प्रभावित होकर अनेक बालिकाओं ने सर्विस को महत्त्व न देकर अपना जीवन दीदी के समान ही अविवाहित रहकर बालिका-शिक्षा को समर्पित कर दिया।
01 जनवरी 1960 में पैदा हुईं दीदी सुमेधा ने अपने जन्मग्राम चोटीपुरा में प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करने के अनन्तर कन्या गुरुकुल, नरेला- दिल्ली से शास्त्री, व्याकरणाचार्य, वेदाचार्य और इतिहासाचार्य की उच्च शिक्षा प्राप्त की। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से 1982 में एमए- संस्कृत और 1987 में वैदिक अग्नि देवता विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। अपनी शोध-दृष्टि में आपने अग्निदेवता विषयक सन्दर्भों का सूक्ष्म विश्लेषण करते हुए वैदिक अग्नि के यथार्थ रूप को सुबोध शैली में उद्घाटित किया है, जिसका प्रकाशन 1999 में हुआ है। दीदी 40 वर्षों से संस्कृत विषय में शास्त्री- स्नातक, आचार्य- परास्नातक कक्षाओं को वेद, वेदांग, दर्शन, उपनिषद्, निरुक्त, वैदिक- साहित्य, संस्कृत- साहित्य, संस्कृत- व्याकरण आदि विषयों का कुशल अध्यापन कर रही हैं।
गुरुकुल की ओर से कन्या प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से देशभर में यत्र-तत्र बालिकाओं में आत्म-सम्मान और स्वाभिमान की भावना के साथ-साथ आत्मरक्षा एवम् बौद्धिक विकास हेतु अभियान चलाए जाते हैं। आचार्या सुमेधा महिला सम्मेलनों में प्रेरक और प्रभावशाली उद्बोधन करती हैं। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे न्यूनतम लक्ष्य वाले कार्यक्रमों के दौर में बालिकाओं के प्रति लिंगभेद को दरकिनार कर आत्मविश्वास, संस्कार और उच्च शिक्षा में चोटीपुरा गुरुकुल का यह अद्भुत प्रयास अनुकरणीय है। गुरुकुल में प्रशिक्षित छात्राएँ आज शिक्षा, क्रीडा, योग, प्रशासनिक सेवा जैसे क्षेत्रों में अपना सफल योगदान प्रदान कर देश का नाम उज्ज्वल कर रही हैं। गुरुकुल कन्याओं को वेद-व्याकरणादि संस्कृत शास्त्रों में पारंगत बना रहा है। रूढ़िवादी परंपराओं को ध्वस्त करते हुए संस्कृत, वेद, वेदांगों के शिक्षण से बेटियों का बौद्धिक जागरण हो रहा है। उल्लेखनीय है, गुरुकुल की कन्याएं यूपी की ओर से चार साल से गणतंत्र दिवस की परेड़ में भाग ले रही हैं।
चोटीपुरा (यूपी) के श्रीमद् दयानन्द कन्या गुरुकुल महाविद्यालय की झोली करीब तीन दर्जन सम्मान और पुरस्कारों से लबरेज है। वैदिक विदुषी’ पुरस्कार (आर्य केन्द्रीय सभा, दिल्ली)- 1997, सत्यव्रत अग्निवेश स्मृति सम्मान, विक्रम प्रतिष्ठान (संयुक्त राज्य अमेरिका)- 1999, आर्यसमाज थर्मल कालोनी, पानीपत (हरियाणा)- 2003, जनपद गौरव सम्मान- 2003, आर्य समाज सान्ताक्रुज मुम्बई- 2004, शिक्षक कर्त्तव्यनिष्ठ सम्मान- 2005-06, जनपद सम्मान- गणतन्त्र दिवस (अमरोहा पुलिस)- 2007, परममित्र मानव निर्माण न्यास, दिल्ली एवं गुरुकुल आश्रम आमसेना, उड़ीसा- 2010, प्रेसीडेंट साइटेशन आवार्ड, रोटरी क्लब मुरादाबाद -2010, राष्ट्रीय वाचस्पति परोपकारिणी परिषद् बड़ौत (बागपत)- 2010, इनरव्हील क्लब मुरादाबाद- 2011, राष्ट्रीय वेद वेदांग पुरस्कार (आर्यसमाज भुवनेश्वर, उड़ीसा)- 2012-13, संस्कृत-सेवा-सम्मान (दिल्ली संस्कृत अकादमी, दिल्ली)- 2012, वरिष्ठ नागरिक सम्मान, जुबिलेंट भरतिया फाउंडेशन- 2013, विशिष्ट रोटरी नागरिक सम्मान (रोटरी क्लब, अमरोहा)- 2013, विशिष्ट महिला सम्मान, इनर व्हील क्लब- 2014-15ए महिला शिक्षा और सुरक्षा अभियान सम्मान (उत्तर प्रदेश सरकार)- 2014-15, विशिष्ट महिला सम्मान (ब्यूटीफुल लेड़ीज क्लब)- 2016, ब्रह्मचारी अखिलानन्द आर्य भिक्षु पुरस्कार (आर्य वानप्रस्थ आश्रम, हरिद्वार)- 2016, स्वामी ओमानन्द विद्वत्सम्मान (गुरुकुल झज्जर)- 2017, चन्द्रवती फिल्म्स मुम्बई (संस्कार एवं शिक्षा के क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान हेतु)- 2018, जनपद सम्मान- गणतन्त्र दिवस (अमरोहा पुलिस)- 2019, आर्यसमाज सान्ताक्रुज मुम्बई- 2019, द विजनरीज़ ऑफ मुरादाबाद, हिंदुस्तान-2021, मानव सेवा प्रतिष्ठान, दिल्ली - 2023, शक्ति योद्धा सम्मान (मिशन शक्ति अभियान, अमरोहा)- 2023, सन्त ईश्वर सेवा सम्मान, नई दिल्ली (महिला एवं बाल विकास क्षेत्र)- 2023, प्राच्यविद्याभूषण सम्मान (केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली)- 2024, लोक कल्याण रत्न सम्मान (लोक कल्याण सेवा न्यास, मऊ)- 2024, आर्य गौरव सम्मान (आर्य वानप्रस्थ आश्रम ज्वालापुर, हरिद्वार)- 2024, अमरोहा रत्न सम्मान (दैनिक जागरण)-2025।
(आचार्या डॉ. सुमेधा चोटीपुरा (यूपी) के श्रीमद् दयानन्द कन्या गुरुकुल महाविद्यालय की प्राचार्या है। दीदी 40 वर्षों से संस्कृत में शास्त्री- स्नातक, आचार्य- परास्नातक कक्षाओं को वेद, वेदांग, दर्शन, उपनिषद्, निरुक्त, वैदिक- साहित्य, संस्कृत- साहित्य, संस्कृत- व्याकरण आदि विषयों का अध्यापनरत हैं। )
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