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स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने गांव के लेखपाल शीतला प्रसाद को किया गिरफ्तार, जानिए पूरा मामला

Admin Delhi 1
4 Oct 2022 2:38 PM GMT
स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने गांव के लेखपाल शीतला प्रसाद को किया गिरफ्तार, जानिए पूरा मामला
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एनसीआर नॉएडा न्यूज़: ग्रेटर नोएडा के चिटहेरा गांव में हुए अरबों रुपए के भूमि घोटाले में बड़ी कार्रवाई हुई है। पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह के आदेश पर गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने मंगलवार को गांव के लेखपाल शीतला प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया है। शीतला प्रसाद ने ही गांव की सरकारी जमीन माफिया यशपाल तोमर और उसके गुर्गों के नाम दर्ज की थी। आपको बता दें कि आपके पसंदीदा न्यूज़ पोर्टल 'जनता से रिश्ता' ने इस घोटाले का खुलासा किया था। जिस पर गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने जांच की। माफिया यशपाल तोमर की गिरफ्तारी हुई। सरकारी जमीन हड़पने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई। एफआईआर की जांच एसआईटी कर रही है। इसी सिलसिले में यह पहली गिरफ्तारी हुई है।

भूमाफिया के साथ मिला था लेखपाल शीतला प्रसाद: एसआईटी ने करीब 4 महीने पहले इस मामले में जांच शुरू की थी। पता चला कि जिस दौरान चिटहेरा गांव में अरबों रुपए की सरकारी जमीन भूमाफिया यशपाल तोमर और उसके गुर्गों ने हड़पी है, उस पूरी समयसीमा में गांव का लेखपाल शीतला प्रसाद था। शीतला प्रसाद ने भूमाफिया के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। आपको बता दें कि गांव में एलएमसी जमीन का कस्टोडियन लेखपाल होता है। इसके बावजूद फर्जी पट्टों और इकरारनामा के जरिए बेशकीमती जमीन हड़प ली गईं। एसआईटी को जांच में पता लगा कि इस पूरे घोटाले में शीतला प्रसाद खुद शामिल था। उसके खिलाफ मिले सबूतों के आधार पर मंगलवार को गिरफ्तारी की गई है। गौतमबुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह ने कहा, "चिटहेरा भूमि घोटाले में यह पहली गिरफ्तारी है। जल्दी ही कुछ और लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा।"

पहली एफआईआर शीतला प्रसाद ने दर्ज करवाई थी: अरबों रुपए के इस भूमि घोटाले का खुलासा ट्राईसिटी टुडे ने किया था। जिस पर जांच शुरू हुई। अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) वंदिता श्रीवास्तव की रिपोर्ट पर एफआईआर दर्ज करवाई गई। लेखपाल शीतला प्रसाद ने यह एफआईआर दर्ज करवाई थी। शीतला प्रसाद पूरे घोटाले में खुद आरोपी है। यह सवाल भी ट्राईसिटी टुडे ने उठाया। इसके बाद जिलाधिकारी सुहास एलवाई के आदेश पर संशोधित एफआईआर दर्ज करवाई गई। लेखपाल शीतला प्रसाद को बतौर वादी एफआईआर से बाहर किया गया। कानूनगो रजिस्ट्रार को संशोधित एफआईआर में शिकायतकर्ता बनाया गया था।

क्या है पूरा मामला: लोनी के रहने वाले एक व्यक्ति ने शिकायत डीएम सुहास एलवाई से की थी। जिसमें बताया कि चिटहेरा गांव में दलितों और भूमिहीनों के नाम पर पट्टे आवंटित किए गए। इसके बाद तहसील में रखे दस्तावेजों में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया। मतलब, किसी आवंटी को ग्राम पंचायत समिति ने आधा बीघा जमीन दी थी, दस्तावेजों में कटिंग और गड़बड़ियां करके उनके नाम कई-कई बीघा जमीन कर दी गई। इसके बाद माफिया ओर स्थानीय नेता ने दूसरे जिलों से एससी और एसटी जातियों से ताल्लुक रखने वाले लोगों को चिटहेरा का मूल निवासी बताकर रजिस्ट्री और एग्रीमेंट करवाए गए। जब तक यह जमीन चिटहेरा गांव के दलितों के नाम थी, उन्हें तहसील प्रशासन ने संक्रमणीय भूमिधर घोषित नहीं किया। जैसे ही जमीन बाहरी लोगों के नाम दर्ज हुई, उन्हें संक्रमणीय भूमिधर घोषित कर दिया गया। साथ ही सरकारी जमीन का ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से करोड़ों रुपए का मुआवजा उठा लिया।

साभार- पंकज पाराशर

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