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एसआईटी ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में खंगाली फाइलें, 100 करोड़ की सरकारी जमीन बेचने का मामला
दिल्ली एनसीआर नॉएडा न्यूज़: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में एसआईटी ने 3 घंटे तक अधिकारियों के साथ बैठक की। यह बैठक तुस्याना गांव में पट्टे की भूमि को लेकर हुए घोटाले की जांच को लेकर हुई है। इस दौरान एसआईटी ने पट्टे, चकबंदी कोर्ट की कार्रवाई, सभी शिकायतों और प्रशासन की ओर से जुटाए रिकार्ड के बारे में जानकारी ली। आपको बता दें कि गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर शासन ने इस घोटाले की जांच करने के लिए एक हाईपावर कमेटी का गठन किया है। जिसके अध्यक्ष संजीव मित्तल हैं। जानकारी के मुताबिक अगली बैठक,शनिवार को होगी। जिसमें प्रशासन, शिकायतकर्ताओं समेत अन्य की दिए दस्तावेजों की जांच होगी।
प्राधिकरण में हलचल रही तेज: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय में शाम करीब करीब चार बजे शुरू हुई बैठक साढ़े सात बजे तक हुई। बताया जा रहा है कि शिकायतकर्ता ने एसआईटी से मांग की है कि इस जांच को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराया जाए। दरअसल, प्रशासन की जांच में सामने आया था कि तुस्याना गांव में पट्टा आवंटन में पात्रता के सभी नियम ताक पर रख दिए गए थे।ग्रामीणों के साथ बाहर के लोगों ने मिलीभगत कर पट्टा लिया था। कुछ पट्टाधारकों ने पट्टे की भूमि का मुआवजा उठाने के साथ ही छह प्रतिशत का प्लाट भी ले लिया। फर्जीवाड़े में कई पूर्व प्रधानों की भूमिका सामने आ रही है। मिलीभगत करने वालों के खिलाफ जल्द कार्रवाई की जाएगी।
100 करोड़ रुपए का मुआवजा: वहीं राजस्व विभाग के अधिकारियों की हेरा-फेरी भी सामने आई है। ऐसे में उन पर भी कार्रवाई होना लगभग तय हो गया है। जांच के बाद जो भी अधिकारी गलत पाया गया, उस पर एक्शन लिया जाएगा। बता दें तुस्याना में खाता संख्या 1104, 480, 1106 और 1105 में सरकारी भूमि निहित थी। इस सरकारी भूमि को भूमाफियाओं ने हड़प लिया और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से 100 करोड़ रुपए का मुआवजा उठाया, बल्कि माफिया ने पट्टाधारकों से मिलीभगत कर भूमि पर अवैध कालोनी तक काट दी। आर्थिक रूप से संपन्न लोगों को भी पट्टे आवंटित किए गए।
क्या है मामला: दरअसल, ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण क्षेत्र के तुस्याना गांव में वर्ष 2014 से लेकर 2017 तक भूमाफियाओं के गठजोड़ ने सरकारी जमीन हड़प ली। करीब 100 एकड़ जमीन कुछ स्थानीय लोगों की मिलीभगत से अपने नाम कर ली गई। इसमें राजस्व विभाग के कर्मचारी शामिल रहे। ग्राम पंचायत से ताल्लुक रखने वाले पदाधिकारी भी इस घोटाले में शामिल बताए जा रहे हैं। इसके बाद जमीन ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को बेच दी गई। प्राधिकरण से करीब 100 करोड रुपए मुआवजा ले लिया गया।