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एंटीगुआ में हुआ एसआईडीएस सम्मेलन, सहायता के लिए भारत ने जताई प्रतिबद्धता

Gulabi Jagat
30 May 2024 3:47 PM GMT
एंटीगुआ में हुआ एसआईडीएस सम्मेलन, सहायता के लिए भारत ने जताई प्रतिबद्धता
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नई दिल्ली।घु द्वीपीय विकासशील राष्ट्रों (एसआईडीएस) पर चौथा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन गुरुवार को एंटीगुआ और बारबुडा के सेंट जॉन्स में संपन्न हुआ। कैरेबियाई देश में हुए इस चार दिवसीय सम्मेलन में भारत की ओर से विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) पवन कपूर शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने छोटे द्वीपीय विकासशील देशों को उनकी विकासात्मक आकांक्षाओं को साकार करने में सहायता के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। ‘लचीली समृद्धि की दिशा में मार्ग तैयार करना’ विषय पर आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य 2030 एजेंडा और इसके सतत विकास लक्ष्यों सहित सतत विकास को प्राप्त करने के लिए एसआईडीएस की क्षमता का आकलन करना रहा। कपूर ने सम्मेलन से इतर समूह के राष्ट्राध्यक्षों और मंत्रियों के साथ बैठक की और भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने से लेकर इन देशों के विकास के बारे में बातचीत की।
कपूर ने एंटीगुआ और बारबुडा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन से शिष्टाचार भेंट की, जिस दौरान पीएम ब्राउन ने एंटीगुआ में चौथे एसआईडीएस सम्मेलन के आयोजन में भारत द्वारा दिए गए सहयोग की सराहना की। सम्मेलन से इतर कपूर ने एंगुइला और गुयाना के प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की। गुयाना में भारतीय उच्चायोग ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कुछ तस्वीरें साझा करते हुए लिखा भारत-गुयाना साझेदारी को और मजबूत करते हुए, सचिव (पश्चिम) पवन कपूर ने एंटीगुआ में चौथे एसआईडीएस सम्मेलन के अवसर पर गुयाना के प्रधानमंत्री माननीय ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) मार्क फिलिप से शिष्टाचार भेंट की।
इसके साथ ही कपूर ने एंगुइला के प्रीमियर डॉ. एलिस वेबस्टर, सेंट किट्स और नेविस के विदेश मंत्री डॉ. डेन्जिल डगलस, गुयाना के प्राकृतिक संसाधन मंत्री विक्रम भारत और कैरिकॉम की महासचिव डॉ. कार्ला बेनेट से भी मुलाकात की। सम्मेलन समाप्त होने से पहले एंटीगुआ के विदेश मंत्री चेट ग्रीन ने कपूर के साथ बैठक की, जिस दौरान उन्होंने कोविड महामारी के दौरान भारत द्वारा दी गई सहायता पर आभार व्यक्त किया। बता दें कि एसआईडीएस संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों और संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय आयोगों के 50 से अधिक सदस्यों का एक विशिष्ट समूह है, जो अद्वितीय सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
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