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नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हए दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में दलील दी कि शाहीन बाग का धरना महिलाओं की ओर से किया गया स्वतंत्र आंदोलन नहीं था. धरना और प्रदर्शन स्थल योजनाबद्ध तरीके से मस्जिदों के नजदीक बनाए गए थे. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने उमर खालिद की जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 25 अगस्त को करने का आदेश दिया है.सुनवाई के दौरान उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद Special Public Prosecutor Amit Prasad ने कहा कि आरोपियों के व्हाट्स ऐप चैट में कहा गया कि धरना स्थलों पर ज्यादा हिन्दूओं को लाया जाए ताकि वो धर्मनिरपेक्ष दिखे. उन्होंने कहा कि शाहीन बाग का आंदोलन महिलाओं की ओर से किया गया स्वतंत्र आंदोलन नहीं था.
अमित प्रसाद ने कहा कि दंगे के दौरान हर प्रदर्शन स्थल पर कानूनी मदद के लिए टीम थी. इस टीम का समन्वय डीपीएसजी नामक व्हाट्स ऐप ग्रुप के जरिये किया गया था. उन्होंने कहा कि हर समय पुलिस ने कार्रवाई की, लेकिन उसके तत्काल बाद वकीलों को कानूनी मदद के लिए भेजा गया. प्रदर्शनों में स्थानीय लोगों का समर्थन नहीं था. दूसरे स्थानों से लोगों को लाया जाता था. धरना स्थलों पर भाषण देने के लिए वक्ताओं और रंगकर्मियों को रखा गया था ताकि लोग उबे नहीं. यहां तक कि धरनास्थलों को मस्जिदों के नजदीक बनाया गया था.
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने शरजील इमाम के भाषणों को पढ़ा, जिसमें कहा गया था कि असम और उत्तर-पूर्व को भारत से काट दिया जाएगा. उन्होंने शरजील के आसनसोल में दिए भाषण को पढ़ा, जिसमें सेना लगाने की बात कही गई है. प्रसाद ने कहा कि इसका मतलब है कि उनके दिमाग में सबकुछ तय था. उमर खालिद के भाषण पढ़ते हुए कहा कि उसके भाषणों में चार से पांच चीजें लक्ष्य की गई थीं. उमर के भाषणों में तीन तलाक, कश्मीर, नागरिकता संशोधन कानून और मुस्लिम पर फोकस था.
चार अगस्त को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि शाहीन बाग का प्रदर्शन नानी और दादी का नहीं था, जैसा कि प्रचारित किया गया. दिल्ली पुलिस की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि शाहीन बाग का आंदोलन शरजील इमाम की ओर से एक सुनियोजित तरीके से जुटाए गए संसाधनों द्वारा आयोजित किया गया था. प्रदर्शन स्थल पर समर्थकों की संख्या काफी कम थी. कलाकारों और संगीतकारों को बाहर से लाया जाता था ताकि स्थानीय लोग लगातार प्रदर्शन में हिस्सा लेते रहें.दो अगस्त को अमित प्रसाद ने कहा था कि 13 दिसंबर 2019 को सबसे पहली हिंसा हुई. ये हिंसा शरजील इमाम की ओर से पर्चे बांटने की वजह से हुई. 13 दिसंबर को शरजील इमाम द्वारा जामिया में दिए भाषण का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि शरजील इमाम के भाषण में साफ कहा गया कि उसका लक्ष्य चक्का-जाम था और इस जाम के जरिये दिल्ली में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को बाधित करना था. शरजील के भाषण के तुरंत बाद दंगा भड़का. उसके बाद शाहीन बाग में प्रदर्शन का स्थल बनाया गया.