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नोएडा: जेवर एयरपोर्ट के दूसरे चरण में विकसित होने वाले एविएशन हब की दिशा में कदम बढ़ गए हैं. इसमें एमआरओ (मेंटेनेंस, रिपेयरिंग एंड ओवरहॉलिंग सेंटर) विकसित होगा. यहां पर विमान के पार्ट्स बनाने वाली औद्योगिक इकाइयां लगेंगी. इस सेक्टर की कई बड़ी कंपनियों के साथ जुलाई के अंतिम सप्ताह में बैठक होगी. एमआरओ के लिए कई बड़ी कंपनियां आने के लिए तैयार हैं.
जेवर एयरपोर्ट के दूसरे चरण के लिए 1365 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है. जिला प्रशासन प्रभावित किसानों को मुआवजा दे रहा है. इसके बाद जमीन पर कब्जा लेकर नागरिक उड्डयन विभाग को सौंप दी जाएगी. इस जमीन पर एविएशन हब विकसित किया जाएगा. इसमें एमआरओ हब विकसित होगा. यह देश का सबसे बड़ा हब होगा.
नायल के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि एविएशन हब में विमानों के पार्ट्स बनाने वाली कंपनियां भी आएंगी. विमानों के पार्ट्स बनाने वाली औद्योगिक इकाइयां लगने से काफी सहूलियत मिलेगी. विमानों के लिए जिन पार्ट्स की जरूरत पड़ेगी, वह यहां पर मिल जाएंगे. इसके लिए दूसरी जगहों पर जाना नहीं पड़ेगा. साथ ही, निवेश भी आएगा.
बैठक के बाद टेंडर निकालने की तैयारी बैठक में शामिल होने वाली कंपनियों से सुझाव लिए जाएंगे. इन सुझावों को एमआरओ के लिए निकलने वाले बिड डाक्यूमेंट में शामिल किया जाएगा. इस बैठक के बाद ही बिड डाक्यूमेंट को अंतिम रूप दिया जाएगा. इसके बाद कंपनी का चयन करने के लिए टेंडर निकाले जाएंगे.
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जेवर को विकसित कर रही कंपनी ज्यूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट एजी भी एमआरओ में कदम रख सकती है. वह भी कई कंपनियों के संपर्क में हैं. वह ज्वाइंट वेंचर के जरिये एमआरओ में आ सकती है.