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सेबी ने ग्राहकों के 'पावर ऑफ अटॉर्नी' के दुरूपयोग पर अंकुश लगाने को लेकर दिए दिशा-निर्देश

Admin Delhi 1
5 April 2022 7:26 AM GMT
सेबी ने ग्राहकों के पावर ऑफ अटॉर्नी के दुरूपयोग पर अंकुश लगाने को लेकर दिए दिशा-निर्देश
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दिल्ली: पूंजी बाजार नियामक सेबी ने निवेशकों के अपने शेयर ब्रोकरों को दिये गये 'पावर ऑफ अटॉर्नी' के दुरुपयोग की आशंका को खत्म करने के इरादे से नया दिशानिर्देश जारी किया है। इसके तहत डिलिवरी और निपटान को लेकर प्रतिभूतियों के स्थानांतरण के लिये नई दस्तावेजी व्यवस्था का क्रियान्वयन करना होगा। दस्तावेज...बिक्री के बाद डीमैट खाते से शेयर या बांड का हटना और गिरवी निर्देश (डीडीपीआई)...का क्रियान्वयन प्रतिभूतियों को गिरवी रखने या फिर से गिरवी रखने पर भी लागू होगा। नया दिशानिर्देश एक जुलाई से लागू होगा। इसे 'पावर ऑफ अटॉर्नी' के दुरुपयोग के कुछ मामले सामने के बाद लाया गया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के परिपत्र के अनुसार, डीडीपीआई के तहत ग्राहक शेयर ब्रोकर और 'डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट' को उनके द्वारा किये गये कारोबार के निपटान के लिए भुगतान दायित्वों को पूरा करने के सीमित उद्देश्य को लेकर अपने खाते तक पहुंच के लिये अधिकृत कर सकते हैं। नियामक के अनुसार, डीडीपीआई केवल दो उद्देश्यों तक सीमित होगा। एक ग्राहक के स्वामित्व वाले खाते में रखी गई प्रतिभूतियों के हस्तांतरण के लिये शेयर बाजार से संबंधित डिलिवरी के मामले में या फिर ऐसे ग्राहक द्वारा निष्पादित कारोबार के निपटान दायित्वों को लेकर।

दूसरा, ग्राहक की मार्जिन जरूरतों को पूरा करने के लिये प्रतिभूतियों को कारोबारी सदस्यों/समाशोधन सदस्यों के पक्ष में गिरवी /पुन: गिरवी रखने को लेकर। सेबी ने कहा कि नये दिशानिर्देश के अमल में आने से 'पावर ऑफ अटॉर्नी' (पीओपी) का क्रियान्वयन दोनों उद्देश्यों के लिये नहीं होगा। परिपत्र के अनुसार, डीडीपीआई 'पावर ऑफ अटॉर्नी' के मकसद को पूरा करेगा और इसके दुरुपयोग पर लगाम लगाएगा। ग्राहक डीडीपीआई का उपयोग कर सकते हैं या फिर भौतिक रूप से डिलिवरी निर्देश पर्ची (डीआईएस) या इलेक्ट्रॉनिक डिलिवरी निर्देश पर्ची (ईडीआईएस) जारी कर निपटान पूरा करने का विकल्प चुन सकते हैं।

सेबी ने कहा कि मौजूदा पीओए तब तक वैध रहेंगे जब तक ग्राहक इसे रद्द नहीं कर देता। इस प्रकार शेयर ब्रोकर और डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट ग्राहकों को डीडीपीआई क्रियान्वित करने के लिये प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मजबूर नहीं करेंगे या ग्राहक के डीडीपीआई को क्रियान्वित करने से इनकार करने पर सेवाओं से मना नहीं करेंगे।

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