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पेटेंट कानूनों पर सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम की योजना: दिल्ली विश्वविद्यालय

Admin Delhi 1
25 July 2022 5:57 AM GMT
पेटेंट कानूनों पर सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम की योजना: दिल्ली विश्वविद्यालय
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दिल्ली न्यूज़: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) पेटेंट कानूनों पर एक सॢटफिकेट कोर्स शुरू करने की योजना बना रहा है ताकि छात्रों को उनके अनुसंधान को 'साकार' उत्पाद बनाने में मदद और उन्हें पेटेंट दाखिल करने के बारे में बुनियादी जानकारी मिल सके। यह पहली बार होगा जब इस तरह का पाठ्यक्रम किसी विश्वविद्यालय में कराया जाएगा।

किया जा चुका है समिति का गठन: पेटेंट कानूनों को डीयू के विधि संकाय में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) पत्र के एक भाग के रूप में पढ़ाया जाता है और विश्वविद्यालय में कुछ विज्ञान पाठ्यक्रमों में इस विषय पर एक अध्याय भी शामिल है। पेटेंट कानूनों पर पाठ्यक्रम के लिए विश्वविद्यालय ने पाठ्यक्रम और अन्य तौर-तरीकों को तैयार करने को लेकर एक समिति का गठन किया है। पेटेंट एक प्रकार की बौद्धिक संपदा है जो उसके स्वामी को किसी अन्य को वह आविष्कार करने, उपयोग करने या बेचने से रोकने का कानूनी अधिकार देता है। नवगठित समिति की अध्यक्षता डीयू के बीआर अंबेडकर सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च के मेडिकल बायोटेक्नोलॉजी लेबोरेटरी की प्रोफेसर दमन सलूजा कर रही हैं।

पेंटेंट काूननों के बारे में सिखाई जाएंगी मूल बातें: सलूजा का कहना है कि पाठ्यक्रम से छात्रों को यह समझने में मदद मिलेगी कि पेटेंट के लिए दाखिल करते समय किन बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए, क्योंकि कई छात्रों को इस बात की जानकारी नहीं है कि क्या पेटेंट योग्य है और क्या नहीं। उनका कहना है कि उ'च शिक्षा में बहुत सारे अनुसंधान होते हैं जिनके ठोस परिणाम होते हैं। हालांकि, लोगों को इसके बारे में पता नहीं है कि अपने अनुसंधान को एक वास्तविक उत्पाद कैसे बनाया जाए? लोग पेटेंट नियमों और पेटेंट कानूनों के बारे में नहीं जानते हैं। डीयू इस संबंध में एक सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने की योजना बना रहा है जो इस कमी को पूरा करेगा। सलूजा के अनुसार सर्टिफिकेट कोर्स तीन-चार महीने का कार्यक्रम होगा, इस दौरान छात्रों को पेटेंट कानूनों के बारे में मूल बातें सिखाई जाएंगी। यह पाठ्यक्रम विज्ञान के उन छात्रों के काम आएगा जो अपने अनुसंधान के लिए पेटेंट कानूनों के बारे में जानना चाहते हैं। पेटेंट कानूनों के बारे में जानकारी की कमी है और यही कारण है कि देश नवाचारों को पेटेंट कराने में पिछड़ गया है। इसके अलावा, पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल है।

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