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SC: टैक्स में छूट चाहती हैं तो व्यापारिक गतिविधियों में लिप्त नहीं हो सकती सार्वजनिक संस्थाएं
![SC: टैक्स में छूट चाहती हैं तो व्यापारिक गतिविधियों में लिप्त नहीं हो सकती सार्वजनिक संस्थाएं SC: टैक्स में छूट चाहती हैं तो व्यापारिक गतिविधियों में लिप्त नहीं हो सकती सार्वजनिक संस्थाएं](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/10/20/2133388-court.webp)
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि एक सामान्य सार्वजनिक सुविधा देने वाली संस्थाएं (General Public Utility) किसी भी व्यापार या वाणिज्यिक गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकती हैं। अगर वह धर्मार्थ कार्य करने वाले संगठनों को मिलने वाली आयकर छूट अपने लिए भी चाहती हैं, तो फिर सशुल्क सेवाएं प्रदान करें।
मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने 149 पन्नों का यह फैसला आईटी अधिनियम की धारा 2(15) के प्रावधान की व्याख्या से संबंधित अपीलों पर सुनवाई के दौरान सुनाया। आयकर अधिनियम की धारा 2 (15) धर्मार्थ उद्देश्य को परिभाषित करती है। इसमें गरीबों को राहत देना, शिक्षा, चिकित्सा राहत, पर्यावरण के संरक्षण और स्मारकों या स्थानों या कलात्मक या ऐतिहासिक रुचि की वस्तुओं का संरक्षण और जनोपयोगिता से जुड़ी किसी अन्य वस्तु का संवर्धन करना शामिल है।