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संबित पात्रा ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा जानिए
न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
BJP: भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि केजरीवाल सरकार ने शराब नीति पर अपनी राय देने के लिए बनी कमेटी की अनुशंसाओं को भी दरकिनार कर दिया था। उपराज्यपाल के द्वारा प्रतिबंधित क्षेत्र के अंदर शराब की दुकानों को खोलने पर उठायी गई आपत्ति को भी दरकिनार कर दिया गया...
दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी पर आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच घमासान जारी है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि एक्साइज पॉलिसी में हो रहे भ्रष्टाचार की पूरी जानकारी अरविंद केजरीवाल को थी। उनके इशारे पर ही पूरी साजिश रची गई थी और उन्हें मालूम था कि बाद में जांच होने पर वे जांच के घेरे में आ सकते हैं। यही कारण है कि उन्होंने जानबूझकर एक्साइज पॉलिसी के पेपर पर स्वयं हस्ताक्षर नहीं किए थे। भाजपा ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को इन सवालों के जवाब देने होंगे।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि जब अरविंद केजरीवाल ने अपनी राजनीति की शुरुआत की थी, वे विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं पर आरोप लगाते थे और यह मांग करते थे कि उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। लेकिन आज जब उनके नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, उनके मंत्री जेल में हैं, वे उन्हें ईमानदारी का प्रमाणपत्र दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को अपने भ्रष्ट नेताओं को बचाने की बजाय उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करने देना चाहिए।
पात्रा ने कहा कि नियमों के अनुसार किसी टॉप बिडर के पीछे हटने पर दूसरे नंबर के बोली लगाने वाले व्यक्ति को लाइसेंस दे दिया जाता है, लेकिन शराब पॉलिसी में ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि मार्च से जून तक 19 कंपनियों ने लाइसेंस सरेंडर किया था। लेकिन इस पूरे मामले में कहीं भी दूसरे नंबर के बोली लगाने वाले को दुकानों को खोलने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि कुछ खास लोगों से भ्र्ष्टाचार की रकम ली गई थी।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने शराब नीति पर अपनी राय देने के लिए बनी कमेटी की अनुशंसाओं को भी दरकिनार कर दिया था। उपराज्यपाल के द्वारा प्रतिबंधित क्षेत्र के अंदर शराब की दुकानों को खोलने पर उठायी गई आपत्ति को भी दरकिनार कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यह केवल भ्रष्टाचार का मामला है और मनीष सिसोदिया को इन सवालों के जवाब देने चाहिए।