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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान का रोबोट कमजोर हाथ को महीने भर में देगा मजबूती देगा
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दिल्ली न्यूज़: ब्रेन स्ट्रोक या अन्य कारणों से लकवा मारने के बाद कमजोर हो चुके हाथ को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली का रोबोट एक माह में मजबूती देगा। ऐसे हाथ को फिर से मजबूत (काम करने लायक) बनाने के लिए फिजियोथेरेपी से करीब आठ माह का समय लगता है। लंबे समय तक चलने वाली इस थेरेपी के कारण अधिकतर मरीज बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं। समस्या को देखते हुए एम्स ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ मिलकर एक रोबोट तैयार किया है, जो कृत्रिम बुद्धिमता डिवाइस की मदद से कलाई और अंगुलियों का व्यायाम करवाता है। एम्स लकवाग्रस्त 50 मरीजों को ट्रायल कर चुका है, ट्रायल के दौरान सभी मरीजों के हाथ में सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इस संबंध में आईआईटी से डॉ. अमित मेंदिरत्ता ने बताया कि एम्स के साथ मिलकर रोबोट तैयार किया है। इस रोबोट की मदद से लकवाग्रस्त मरीज की कलाई और अंगुली का व्यायाम करवाया जाता है। उन्होंने कहा कि एम्स में 50 मरीजों पर यह ट्रायल किया गया है और सभी में परिणाम बेहतर आए हैं। एक माह में ही मरीज का कमजोर हाथ फिर से काम करने लगता है। जबकि फिजियोथेरेपी से इसी काम के लिए 6-8 माह का समय लग जाता है। उन्होंने कहा कि यह रोबोट लकवाग्रस्त मरीजों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। खासकर ऐसे मरीजों के लिए यह तकनीक कारगर है, जो लंबे समय तक फिजियोथेरिपी के लिए नहीं आ सकते।
रोबोट एक घंटे करवाता है व्यायाम: डॉ. अमित ने बताया कि यह रोबोट प्रति दिन मरीज की कलाई और अंगुली का निशुल्क एक घंटे व्यायाम करवाता है। सप्ताह में पांच दिन यह व्यायाम चलता है। ऐसे में एक माह में केवल 20 दिन का ही कोर्स होता है। इन दिनों में मरीज का हाथ एक बार फिर से काम करने लगता है। उन्होंने कहा कि यह रोबोट ऐसे मरीजों पर कारगर साबित हो रहा है, जिनका हाथ लकवा मारने के बाद अकड़ जाता है या काम नहीं कर पाता।
एम्स में रोजाना आते हैं 200 से अधिक मरीज: एम्स में न्यूरो विभाग में रोजाना 200 से अधिक मरीज उपचार करवाने आते हैं। इनमें से 4-5 मरीजों को चयन इन रोबोट के माध्यम से व्यायाम करवाने के लिए किया जाता है। डॉ. अमित ने कहा कि यह ट्रायल अभी तक सफल रहा है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों को इसकी सुविधा उपलब्ध करवा पाए।