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अभी कई जिलों में महज एक, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण रोकथाम के लिए बढ़ेंगे निगरानी केंद्र
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण की रोकथाम के लिए वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क को बढ़ाया जाएगा। दिल्ली और एनसीआर के चार जिलों में ही ज्यादातर निगरानी केंद्र हैं। जबकि कई जिलों में महज एक ही केंद्र स्थापित किया गया है। दिल्ली और एनसीआर में देश और दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित हिस्से में शामिल है।
केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने इस पूरे क्षेत्र में प्रदूषण की रोकथाम के लिए निगरानी नेटवर्क में इजाफा करने को कहा है। फिलहाल, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कुल 146 निगरानी केंद्र हैं। इसमें से 65 मैनुअल और 81 रीयल टाइम केंद्र हैं। इनमें से भी भी 50 निगरानी केंद्र अकेले दिल्ली में स्थित हैं। जबकि, गुरुग्राम में 11, गाजियाबाद में आठ, गौतमबुद्ध नगर में 12, फरीदाबाद में पांच और बागपत में चार केंद्र हैं। झज्जर, सोनीपत और रोहतक में तीन-तीन, जबकि अलवर, भरतपुर, भिवाणी, बुलंदशहर, चरखी दादरी, हापुड़, जींद, करनाल, महेंद्रगढ़, मेरठ, मुजफ्फरनगर, पानीपत, रेवाड़ी, शामली, मेवात और पलवत जैसे जिलों में एक या दो निगरानी केंद्र हैं।
आयोग द्वारा हाल प्रदूषण पर हाल ही में जारी नीति के मुताबिक इनमें से भी ज्यादातर निगरानी केंद्र शहरी क्षेत्रों में लगाए गए हैं। इसके चलते पूरे क्षेत्र के बारे में समग्र जानकारी प्राप्त करना और उसी अनुसार योजना बनाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए इस पूरे क्षेत्र में वायु गुणवत्ता निगरानी का नेटवर्क बढ़ाए जाने की जरूरत है।
आयोग के मुताबिक दिल्ली में पर्याप्त संख्या में निगरानी केंद्र मौजूद हैं। यहां पर इन केंद्रों की गुणवत्ता बढ़ाए जाने की जरूरत है। जबकि, एनसीआर के बाकी जिलों में निगरानी केंद्रों की संख्या में भी इजाफा होना चाहिए। इससे वायु गुणवत्ता को लेकर भविष्यवाणी करना भी पहले के मुकाबले आसान हो जाएगा।