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रिपोर्ट: दस साल में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में 12 सौ पांच जवानों ने की खुदकुशी

Admin Delhi 1
30 March 2022 11:42 AM GMT
रिपोर्ट: दस साल में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में 12 सौ पांच जवानों ने की खुदकुशी
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दिल्ली: पिछले दस वर्षों में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के 1205 जवानों ने घरेलू समस्याओं, बीमारी और वित्तीय समस्याओं के कारण आत्महत्या की। लोक सभा में मंगलवार को बालू भाई धानोकर उर्फ सुरेश नारायण, केशरी देवी पटेल और कनकमल कटारा के सवाल के लिखित जवाब में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि दस वर्षो में 1205 जवानों ने रेलू समस्याओं, बीमारी और वित्तीय समस्याओं के कारण आत्महत्या की है। वहीं इन आत्महत्याओं को रोकने के लिये सरकार ने अक्टूबर 2021 में एक 'कार्यबल' का गठन किया था। जिसमें दो माह बाद दिसंबर 2021 में 'कार्यबल' की संरचना में संशोधन किया गया था। इसके साथ ही सरकार सीएपीएफ, असम राइफल्स (एआर) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के कार्य करने की परिस्थितियों में सुधार करने का सतत प्रयास कर रही है। पिछले 2012 में 118, 2013 में 113,2014 में 125, 2015 में 108, 2016 में 92, 2017 में 125, 2018 में 96, 2019 में 129,2020 में 143 और 2021 में 156 ने आत्महत्या की। बलों के जानकारों की मानें तो जवानों के लिये कई अहम कदम उठाए गए हैं। जिसमें सीएपीएफ, असम राइफल्स (एआर) और राष्ट्री सुरक्षा गारद (एनएसजी) के जवानों के स्थानांतरण एवं अवकाश से संबंधित पारदर्शी नीतियां बनाना। किसी जवान द्वारा कठिन क्षेत्र में सेवा करने के पश्चात यथासंभव उसकी पंसदीदा तैनाती पर विचार किया जाता है। ड्यूटी के दौरान घायल होने के कारण अस्पताल में बितायी गई अवधि को ड्यूटी मानी जाती है।

उनकी शिकायतों का पता लगाने और उनका निराकरण करने के लिये सैनिकों के साथ अधिकारियों का नियमित संवाद करना। कार्य के घंटों को नियंत्रित करके पर्याप्त आराम एवं राहत सुनिश्चित करना। सैनिकों के रहन-सहन की दशाओं में सुधार करना, उन्हें पर्याप्त मनोविद/मनोरंजन, खेल, संचार की सुविधाएं प्रदान करना। महिला कर्मचारियों की सुविधा के लिये विभिन्न प्रतिष्ठानों में क्रेच सुविधा (जहां भी व्यवहार्य हो) भी प्रदान की जाती है। पूर्वोत्तर के राज्यों, जम्मू एवं कश्मीर और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों (राज्य की राजधानियों को छोडक़र) में तैनाती के दौरान पिछली तैनाती वाले स्थान पर (परिवार को रखने के लिये) सरकारी आवास को अपने पास रखने की सुविधा। बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना तथा साथ ही उनकी व्यक्तित एवं मनोवैज्ञानिक चिंताओं के निवारण के लिये विशेषज्ञों के साथ बातचीत का आयोजन करना और तनाव के बेहतर प्रबंधन के लिये नियमित रूप से ध्यान एवं योग का आयोजन करना आदी हैं।

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