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रेक्टर का किया घेराव, जेएनयू में ABVP के छात्रों ने अपनी मांगों को लेकर किया प्रदर्शन

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने ने घरेलू टर्मिनलों से संचालित होने वाली भारतीय उड़ानों और एयरपोर्ट पर तैनात सिख कर्मचारियों को तय सीमा की कृपाण ले जाने की इजाजत के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए नागर विमानन मंत्रालय, गृह मंत्रालय, नागरिक विमानन महानिदेशक और ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने आठ हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. बता दें कि एक ऐसी ही याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी दायर की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से इनकार कर दिया था.सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दिल्ली हाईकोर्ट जाने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट में याचिका हिंदू सेना ने दायर किया था. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अंकुर यादव ने कहा था कि इस तरह की अनुमति हवाई यात्रा करने वालों के लिए खतरे की वजह बन सकता है. याचिका में ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी के 4 मार्च और 12 मार्च के आदेश को चुनौती दी गई थी. याचिका में कहा गया था कि ये आदेश हवाई यात्रा की सुरक्षा में सेंध लगाने के समान है. इस आदेश में कहा गया है कि कृपाण की कुल लंबाई 9 इंच से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. आदेश में कहा गया है कि कृपाण के ब्लेड की कुल लंबाई 6 इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए.याचिका में कहा गया है, 'सिख यात्रियों/कर्मचारियों/हितधारकों को उक्त आदेश के तहत दी गई स्वतंत्रता साथी यात्रियों और कर्मचारियों की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है. आदेश यह सुनिश्चित नहीं करता है कि क्या हवाई अड्डे और विमान जैसे उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्रों में कृपाण ले जाने वाला व्यक्ति एक वास्तविक सिख है या फिर कोई ऐसा धोखेबाज है, जो स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर सकता है.'याचिका में कहा गया है कि सिख यात्रियों को दी गई स्वतंत्रता मनमानी है और धर्म के आधार पर किए गए भेदभाव के संबंध में अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है, क्योंकि किसी भी गैर-सिख व्यक्ति को ऐसी कोई भी वस्तु ले जाने की अनुमति नहीं है, जो सह-यात्रियों के लिए संभावित तौर पर खतरा पैदा कर सकती है.नई दिल्ली : JNU कैंपस में गुरुवार को एबीवीपी के छात्रों ने रेक्टर अभय दुबे का घेराव किया. एक कार्यक्रम के बाद रेक्टर को अपनी गाड़ी से दफ्तर जाना था, लेकिन एबीवीपी के छात्रों ने रेक्टर के खिलाफ नारेबाजी करते हुए घेराव किया. उनकी गाड़ी के आगे लेट कर छात्रों ने प्रदर्शन किया. दरअसल एबीवीपी के छात्रों का आरोप है कि जेएनयू भारत के भले ही टॉप यूनिवर्सिटी में आती हो, लेकिन यहां की जो मूलभूत सुविधा है. वह बद से बदतर होती जा रही है. यहां के हॉस्टल में पानी की काफी दिक्कत है. आए दिन कहीं न कहीं हॉस्टल की छत गिर जाती है, जिसमें छात्र घायल हो जाते हैं.छात्रों का आरोप है कि मौजूदा जेएनयू प्रशासन छात्रों के अधिकार का हनन कर रहा है. एबीवीपी के छात्र संघ 12 अगस्त से कैंपस में लगातार प्रदर्शन कर रहा हैं. इनका कहना है वह रेक्टर से ऑफिस में मिलने के लिए कई बार कोशिश की है, लेकिन वह नहीं मिलते हैं. ऐसे में उनका घेराव करना पड़ा. इस प्रदर्शन के दौरान छात्र और स्थानीय सुरक्षाकर्मियों में कई बार झड़प भी हुई. इसके बावजूद एबीवीपी के छात्र लगातार प्रदर्शन करते रहे. आखिर में सीनियर प्रोफेसर के मान मनोवल के बाद छात्र का प्रदर्शन नरम हुआ और मौका देखते ही रेक्टर की गाड़ी वहां से निकल गई.
प्रदर्शन के बाद छात्रों ने बताया कि इस कैंपस में छात्रों को मिलने वाली मूलभूत सुविधा का बुरा हाल है. कागज में जेएनयू भले ही टॉप रैंक में हो, लेकिन जो हकीकत है वह ठीक इसके विपरित है. तमाम परेशानियां है, जो मौजूदा प्रशासन उनके तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं. हॉस्टल में कुछ न कुछ समस्याएं होती रहती है. कभी वाटर कूलर में मरी हुई छिपकली मिलती है, तो कभी कई-कई दिन तक पानी नहीं आता है. यहां के छात्रों का प्रशासन से कई शिकायतें हैं. जिन्हें प्रशासन नहीं सुनता है.