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पढ़ें राजनिवास के सूत्रों का दावा, शराब नीति के मुद्दे पर सिसोदिया ने लिया एकतरफा फैसला
न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
राजनिवास सूत्रों ने सतर्कता निदेशालय की जांच रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि घोटाले में लापरवाही नहीं बरती गई बल्कि मनमानी की गई। मामले में न तो दिल्ली कैबिनेट से बदलाव की स्वीकृति ली गई और ना ही उपराज्यपाल सचिवालय से राय ली गई। हर मुद्दे पर एकतरफा फैसला लिया गया।
दिल्ली की शराब नीति में कथित घोटाले की जांच में हर दिन नया खुलासा हो रहा है। जांच में न केवल आबकारी विभाग के अधिकारी बल्कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ पूरे कैबिनेट की मनमानी सामने आ रही है। राजनिवास सूत्रों ने सतर्कता निदेशालय की जांच रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि घोटाले में लापरवाही नहीं बरती गई बल्कि मनमानी की गई। मामले में न तो दिल्ली कैबिनेट से बदलाव की स्वीकृति ली गई और ना ही उपराज्यपाल सचिवालय से राय ली गई। हर मुद्दे पर एकतरफा फैसला लिया गया।
जांच रिपोर्ट में यह सामने आया है कि मनमाने फैसलों की वजह से ही सरकार को वित्तीय नुकसान हुआ। विदेशी शराब के मामले में आयात पास शुल्क और लाभ मार्जिन की वसूली, ड्राई डे की संख्या में कमी और आबकारी नीति में लगातार विस्तार में झूठ उजागर हुआ है। राजनिवास सूत्रों का कहना है कि पहले तो दिल्ली सरकार 1300 करोड़ रुपये लाभ होने की बात कहकर गुमराह करती रही। जबकि बाद में आबकारी नीति को वापस लेकर पुरानी नीति अपनाने की बात कही जाने लगी। यह भ्रष्टाचार को उजागर करता है। इस बीच नया झूठ भी गढ़ दिया गया है कि पूर्व उपराज्यपाल की वजह से राजस्व का नुकसान हुआ जबकि सतर्कता निदेशालय की जांच रिपोर्ट में सब स्पष्ट हो गया है।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को राजस्व घाटे के लिए पूर्व उपराज्यपाल पर आरोप मढ़ा था। जबकि सूत्रों का कहना है कि सतर्कता निदेशालय (डीओवी) की जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि लाइसेंसधारियों को अप्रत्याशित लाभ दिए जाने की वजह से राजस्व हानि हुई। विदेशी शराब की दरों के फार्मूले बदल दिए गए। आयात पास शुल्क को 8.11.2021 को बदल दिया गया। इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी तक नहीं ली गई। राजनिवास से भी इस मामले में राय नहीं ली गई। जांच में यह भी पाया गया है कि थोक मूल्य में कमी करके खुदरा लाइसेंसधारियों की बीयर और विदेशी शराब की इनपुट लागत कम कर दी गई। वित्त विभाग ने 28-10-2021 को एक नोट प्रस्तावित किया। इसे मुख्यमंत्री ने 1.11.2021 को खारिज कर दिया। कई मामले में विभाग के इस प्रस्ताव को जांच में उचित पाया गया।
ड्राई डे घटा कर की गई हेराफेरी
नई आबकारी नीति में महज 3 दिन ड्राई डे रखा गया था। जांच में पाया गया कि विभाग ने मंत्री परिषद और उपराज्यपाल की राय भी इस संबंध में नहीं ली। जबकि बिक्री नीति दिल्ली के पड़ोसी राज्यों से तालमेल वाली होनी चाहिए, नहीं तो कालाबाजारी होने का खतरा रहता है।
बिना किसी सहमति के नीति को विस्तारित किया
जांच में यह पाया गया कि आबकारी नीति तीन बार विस्तारित की गई। पहली बार 1 अप्रैल को, दूसरी बार 31 मई को और तीसरी बार 1 जून से से 31 जुलाई तक। इसके लिए भी किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई। जबकि इस मामले में भी मंत्री परिषद को उपराज्यपाल की राय लेनी चाहिए थी। बिक्री डेटा पर विचार करने के बाद लाइसेंस शुल्क में वृद्धि की जानी चाहिए थी।