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साक्षी मालिक ने खोला सच: बीजेपी के नेताओं ने दिलवाई थी परमिशन,
नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण मामले में आंदोलनरत पहलवान साक्षी मलिक ने अपने पहलवान पति सत्यव्रत कादियान के साथ एक वीडियो जारी किया है। उन्होंने इस वीडियो के माध्यम से जोर दिया है कि उनका विरोध राजनीति से प्रेरित नहीं है और वो सरकार की खिलाफत नहीं कर रहे, बल्कि उनकी लड़ाई सिर्फ कुश्ती संघ के प्रमुख से है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से उनके आंदोलन को लेकर पब्लिक में एक झूठी कहानी तैयार हो गई है जिसके बाद अब वह अपनी सचाई लोगों तक पहुंचना चाहते हैं।
साक्षी और सत्यव्रत ने कैप्शन में ‘द ट्रुथ’ लिखकर इस वीडियो को शेयर किया। उन्होंने इसमें कहा कि हमारे खिलाफ एक नैरेटिव बनाया जा रहा है। हमारा आंदोलन राजनीति से प्रेरित बिल्कुल नहीं था। हमारे ऊपर आरोप है कि कांग्रेस लीडर दीपेंद्र हुड्डा ने हमें धरना देने के लिए उकसाया। लेकिन जनवरी में हमारी सबसे पहली प्रोटेस्ट जंतर मंतर पर थी जिसकी परमिशन हमें भाजपा के ही 2 नेताओं ने दिलवाई थी।
उन्होंने इसके प्रमाण में एक डॉक्यूमेंट दिखा कर बताया कि जंतर मंतर पर उनके धरने की इजाजत भाजपा के लीडर बबीता फोगाट और तीर्थ राणा ने ही ली थी।उन्होंने आगे कहा कि कुश्ती से जुड़े सभी लोगों को पता था कि महिला पहलवानों का पिछले 10-12 वर्षों से यौन शोषण किया जा रहा है। अगर कोई इसके खिलाफ आवाज उठाता था तो ये बात रेसलिंग फेडरेशन को पता चल जाती थी और उसके करियर को खराब कर दिया जाता था।
आखिर किससे है लड़ाई?
साक्षी और उनके पति ने बताया कि उनका धरना प्रदर्शन सरकार के खिलाफ बिलकुल नहीं है बल्कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण के खिलाफ है, क्योंकि उन्होंने अपने पद पर रहते हुए यौन शोषण किया।
अब तक क्यों थे चुप?
साक्षी मलिक ने वीडियो में बताया कि वो अब तक इसलिए चुप थे क्योंकि पहलवानों में एकता की बहुत कमी थी। वो कभी एक साथ हो ही नहीं पाए। दूसरा कारण है वो नाबालिग पहलवान जिसने पहले 161 के बयान दिए, फिर 164 के बयान दिए, कई दिन बाद उसने अपने बयान बदल लिए। उन्होंने आरोप लगाया कि नाबालिग लड़की के परिवार को डराया धमकाया गया है जिसके बाद उन्हें मजबूरन यह कदम उठाना पड़ा।
28 मई को नई संसद भवन कूच क्यों किया?
साक्षी ने बताया कि 28 मई को होने वाली संसद पर महिला महापंचायत की कॉल हमारी नहीं थी, यह महम में हुई पंचायत में बुजुर्गों व खाप प्रतिनिधियों का फैसला था। फैसले के बाद हमें पता लगा कि इसी दिन नई संसद भवन का उद्घाटन भी है। पर हमने बुजुर्गों का मान-सम्मान रखते हुए संसद भवन कूच किया था।
गंगा में मेडल न बहाने का सच
साक्षी और उनके पति ने वीडियो में कहा कि कुश्ती खेलने वाले लोग बहुत गरीब परिवार से आते हैं। इसलिए उनमें इतनी हिम्मत नहीं होती है कि वो यौन शोषण जैसे मामलों में आवाज उठा सकें। 28 मई को हमारे साथ बहुत बदसलूकी की गई। हमने संविधान के दायरे में रहकर प्रदर्शन किया था। उस दौरान हम इतने आहत हो गए थे कि हमने अपने मेडलों को गंगा में विसर्जित करने का प्रयास किया। जब हम हरिद्वार पहुंचे तो वहां तंत्र से जुड़ा एक व्यक्ति बजरंग के पास आया और उसे साइड में ले गया। उनकी कई नेताओं से बातचीत कराई गई। साथ ही कहा गया कि हम तुम्हें न्याय दिलाएंगे, मेडल विसर्जित मत करो। 7 बजे तक बजरंग को रोके रखा। वहां स्थिति ऐसी बना दी गई थी कि अगर हम मेडल बहाते तो हिंसा हो सकती थी। इसलिए हमने अपना फैसला बदला और वहां से लौटने के बाद वो मेडल अपने कोच और माता-पिता को वापस दे दिए।
इसलिए फिर शुरू करना पड़ा आंदोलन
साक्षी और सत्यव्रत ने बताया कि यौन शोषण के मामलों में एक कमेटी बनाई गई थी। हमें आश्वासन दिया गया था कि न्याय दिलाया जाएगा। हमने काफी देर तक इंतजार भी किया, लेकिन न्याय नहीं मिला तो हमें फिर से जंतर मंतर पर आंदोलन करना पड़ा।
Ashwandewangan
प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।